रायपुर : जल जीवन मिशन से हर घर नल लगाने की योजना के मामले में छत्तीसगढ़ का स्थान देश के सभी 34 राज्यों में 31 वे स्थान पर इसलिए है क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान जमकर कमीशन खोरी के कारण इस योजना की रफ्तार धीमी पड़ गई। पूर्व पीएचई मंत्री रुद्र कुमार के कार्यकाल में सिर्फ चार ठेकेदारों से ही माल खरीदने का गोलमाल शुरू हुआ इसके बाद बाजार में एक ही कंपनी की पाइप खरीदने को ठेकेदार मजबूर हो गए। आज की तारीख में इस गोलमाल के कारण घरेलू कनेक्शन में लगने वाली कंपोजिट पाइप की बाजार से गायब है। आने वाली गर्मी के मौसम में गरीब जनता को इस योजना का सही लाभ लेने से सिर्फ भ्रष्टाचार के कारण वंचित होना पड़ेगा।
राष्ट्रबोध की पड़ताल में पता चला कि पीएचई विभाग ने कंपोजिट पाइप बनाने वाली 4 कंपनी के इंस्पेक्शन की अनुमति पर फिलहाल रोक लगा दी है। इंस्पेक्शन नहीं होने के कारण बाजार में एक ही विशेष कंपनी का पाइप बिक रहा है। इसका फायदा उठाते हुए कंपनी ने पाइप के दाम बढ़ा दिए हैं। इसे कंपनी और पीएचई अधिकारियों की मिलीभगत बताया जा रहा है।
जून 2021 से लेकर जून 2022 तक चार सिर्फ चार चार कंपनियों को ही इनपैनल किया गया था। इसके बाद रातों-रात पाइप सहित तमाम सामानों के रेट रातों-रात एकदम से बढ़ गए। यह चारों ही फर्म पुराने मंत्री के करीबियों की बताई गई जिनके माध्यम से करोड़ों की कमीशन खोरी होती रही।
मोटा माल कमाने वाली चार कंपनियों के पैसे रोके गए
नल जल योजना के तहत उपयोग में ली जाने वाली कंपोजिट पाइप को लगाने से पहले थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन का कार्य करवाना अनिवार्य होता है। जिसकी अनुमति कार्यालय जल जीवन मिशन से दी जाती है। कंपनी के अधिकारियों की ओर से लगातार PHE विभाग जाकर और पत्र के माध्यम से इंस्पेक्शन के लिए कहा जा रहा है।
लेकिन आज तक थर्ड CIPET को इंस्पेक्शन करने PHE विभाग ने कोई पत्र नहीं भेजा है। जबकि कंपनियों की ओर से सिक्योरिटी डिपाजिट की राशि और सभी दस्तावेज दिए गए हैं। विभाग की ओर से वेक्टस, जिंदल, नेक्सजेन और काइटेक मल्टी नेशनल कंपनी का इंस्पेक्शन रोका गया है।
भ्रष्टाचार के इस मामले में चुप्पी साध लिए है अधिकारी
प्राइवेट कंपनी के अधिकारियों से राष्ट्रबोध को मिली जानकारी के अनुसार इंस्पेक्शन रोकने के संबंध में जब विभाग के अधिकारियों से कारण पूछा जाता है, तो वे रोक लगाने का कोई विशेष कारण हमें नहीं बता रहे है। बाजार में सिर्फ एक ही कंपनी की पाइप बिक रही है। जिस कारण ठेकेदार तो परेशान है ही साथ ही जल जीवन मिशन का टारगेट भी रुक सा गया है।
ऐसे चलता रहा है कमीशन खोरी का खेल
राष्ट्रबोध को अंदर खाने से मिली जानकारी के अनुसार जल जीवन मिशन में बड़े कमीशन खोरी के चक्कर में सिर्फ एक कंपनी का इंस्पेक्शन हुआ है, बाकि कंपनी के इंस्पेक्शन की अनुमति नहीं दी जा रही है। विभाग की ओर से जिस विशेष कंपनी का इंस्पेक्शन करवाया गया है जबकि उस मालदार कंपनी का मालिक ओडिसा में ब्लैक लिस्टेड किया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ में उस कंपनी का मालिक नई कंपनी के नाम से काम कर रहा है।
3 दिन का आदेश 3 महीने बाद भी पूरा नहीं हुआ
4 कंपनियों के पत्र व्यवहार करने के बाद कार्यालय जल जीवन मिशन के तत्कालीन संचालक आलोक कटियार ने 28 दिसंबर 2023 को 3 दिनों के अंदर चार कंपनियों की ओर से सबमिटेड डाटा का एनालिसिस कर इंस्पेक्शन शुरू करने कहा था, लेकिन आज करीब 3 महीने बाद भी इंस्पेक्शन का काम शुरू नहीं हो पाया है।
15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नल जल मिशन के बारे में बताया था कि 2023 तक इस योजना को पूरा किया जाएगा जिसमें 50% राज्य को और 50% केंद्र को अंशदान देना होगा इस पूरी योजना के लिए करीब साढे तीन लाख करोड़ का बहुत बड़ा बजट केंद्र की ओर से प्रस्तुत किया गया। लेकिन पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने लक्ष्य 100% से कहीं पीछे करीब 32% ही लक्ष्य हासिल किया जिसके बाद जनता ने उनकी सरकार को ही गिरा दिया। अब जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ की नई भाजपा सरकार के ऊपर है कि जल्दी से जल्द गरीबों को नल जल योजना का लाभ मिल सके। घर-घर पानी यदि गर्मी के मौसम में मिल जाता है तो करोड़ों लोगों को बहुत लाभ मिलेगा।