छत्तीसगढ़ विधानसभा में ईश्वर साहू द्वारा भुवनेश्वर हत्याकांड की CBI जांच को मिली मंजूरी, कई और बड़े मुद्दों से गूंजता सदन…!

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छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में बिरनपुर में मॉब लिंचिंग के बाद भुनेश्वर साहू हत्याकांड की जांच CBI से कराने की घोषणा कर दी है। डिप्टी CM विजय शर्मा ने कहा कि, गांव में भुनेश्वर साहू की हत्या के बाद न्याय की लड़ाई लड़ते-लड़ते उनके पिता आज सदन में अपनी बात कह रहे हैं, यह अद्भुत संयोग है।

सामान्य मजदूर से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे भुनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू ने ध्यानाकर्षण के जरिए सदन में मामला उठाया। उन्होंने कहा कि, घटना के वक्त CBI जांच की बात कही गई थी। क्या सीबीआई जांच कराई जाएगी? इसके बाद उप मुख्यमंत्री ने सदन में जांच की घोषणा की।

डिप्टी CM ने कहा कि, इस प्रकरण में सेक्शन 173 CRPC के तहत विवेचना जारी है। 40 लोगों के नाम दिए गए थे, उसमें 12 लोग के नाम FIR में थे। आगे भी करवाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि, भागीरथी साहू की शिकायत पर अपराध पंजीबद्ध किया गया है।

बाघ की मौत और भैंसाझार पर हंगामा

प्रश्नकाल में मंत्री केदार कश्यप को विपक्ष के अलावा उनके दल के विधायक ने घेरा। गाेमर्डा अभयारण्य में बाघ की मौत और भैंसाझार सिंचाई प्रोजेक्ट के मामले में मंत्री फंसते दिखाई दिए। सदन के भीतर जबरदस्त बहस और विवाद होता रहा।

कांग्रेस विधायक राघवेंद्र सिंह ने अरपा-भैंसाझार सिंचाई प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठाया। जवाब में मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि इसमें काम चल रहा है और लगभग साढ़े 12 हजार हेक्टेयर में सिंचाई का काम हो रहा है। लगभग साढ़े 8 करोड़ के आसपास का काम बाकी है। जिसके बाद 25000 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

विधायक ने जानकारी मांगी कि कितनी बार इस प्रोजेक्ट का समय बढ़ाया गया। मंत्री ने जवाब में बताया कि 8 बार प्रोजेक्ट का समय बढ़ा गया है। कांग्रेस विधायक ने कहा- 10 साल से काम रुका हुआ है। मंत्री ने फिर कहा की काम जल्द पूरा कर लेंगे।

टूट पड़ा धरमलाल का धैर्य

वहीं धरमलाल कौशिक ने कहा कि मंत्री जी बता रहे हैं कि 25000 में से 12000 में सिंचाई शुरू हो चुकी है। मतलब अभी आधा भी नहीं हुआ है। लागत बढ़ रही है। जिनके खेत में नहर निकाली ही नहीं गई, वहां भी पेंमेंट कर दिया गया है। 10 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का पेमेंट हुआ है, उसे कब तक वापस करेंगे। अधिकारियों पर कार्रवाई कब तक करेंगे।

इसके जवाब में मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जो संबंधित अधिकारी हैं, उनके ऊपर कार्रवाई की गई है। भूमि अधिग्रहण के मामलों की वजह से देरी हुई है। मंत्री केदार ने कहा- जिन अफसरों के माध्यम से यह चूक हुई है उसके लिए जो भी विधि सम्मत कार्रवाई होगी वह हम करेंगे।

धरमलाल कौशिक इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा की कार्रवाई कब तक हो जाएगी यह बताइए। मतलब आप बचाने का प्रयास कर रहे हैं। आपको कोई फायदा होगा नहीं, ना नहर का काम हो रहा है, ना सिंचाई हो रही है और उसके बाद में लागत राशि बढ़ाते जा रहे हैं।

कार्रवाई करेंगे तो कितने साल में करेंगे। शीघ्र नहीं ये बताएं कि दो महीना, एक महीना, 15 दिन टाइम लिमिट होना चाहिए। दूसरी बात जो पैसा भुगतान हुआ है गलत आदमी को वह कब तक वसूलेंगे। केदार कश्यप ने कहा कि जो गलत भुगतान हुआ है तत्काल वसूली की कार्रवाई की जा रही है।

धर्मजीत ने कहा ठेकेदार शक्तिशाली है

विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा, 25000 हेक्टेयर में सिंचाई का प्रोजेक्ट है। मंत्री कह रहे हैं कि अभी साढ़े 12 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है, मतलब 50% ही अपने टारगेट को अचीव किया है। आप एक तरफ जवाब दे रहे हैं कि 80% नहर का निर्माण हो गया, फिर साढ़े 12 हेक्टेयर में सिंचाई कैसे हो रही है।

मैं यह बिल्कुल नहीं पूछूंगा कि आठ बार आपने समय वृद्धि क्यों की, आठ बार समय वृद्धि होने के बाद में समझ गया हूं कि इसके ठेकेदार साहब कितने शक्तिशाली हैं। मैं आपसे जानना चाहता हूं कि सिंचाई कब होगी।

हम आपके अधिकारियों से सदन में इतनी बहस नहीं कर सकते। क्या आप इंजीनियर, चीफ इंजीनियर एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के साथ भैंसाझार डैम के साइड से बैठ करके हमको स्थल का मूल्यांकन और सत्यापन और भौतिक दर्शन करने का कष्ट करेंगे क्या ।

चरण दास महंत ने इस मामले में पूछा कि वहां का ठेकेदार कौन है, जिसका जिक्र धर्मजीत जी कर रहे थे। उस ठेकेदार का नाम बता दीजिए। मंत्री केदार ने कहा इसकी जानकारी बाद में दूंगा। अजय चंद्राकर ने बीच में कहा, नहीं ये जानकारी तो दी जा सकती है।

मंत्री ने फिर कहा- मैसर्स राधेश्याम अग्रवाल एवं सुनील अग्रवाल नाम की एजेंसी ने काम किया है। डॉ रमन सिंह ने कहा कि एक बार वरिष्ठ विधायकों के साथ जाकर के अधिकारियों के साथ जाकर के बिलासपुर में समस्या का समाधान करिए, मीटिंग करिए। मंत्री ने हामी भरी।

फिर मरे हुए बाघ ने मंत्री को परेशान किया

चरणदास महंत ने गोमर्डा में मारे गए बाघ को लेकर कहा कि मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि न्यायिक जांच चल रही है तो इसलिए हम चुपचाप बैठे हैं। अब आप बता दो कौन सा न्यायिक जांच चल रही है। आपके विभाग वाले असत्य कथन कहलवा रहे हैं।

महंत बोले- न्यायिक जांच विभाग नहीं कर सकता, इसमें जज नियुक्त होते हैं। वह आप कर नहीं सकते विभाग नहीं कर सकता, मैं तो सिर्फ न्यायिक जांच की बात कर रहा हूं। आपने क्यों कहा कि न्यायिक जांच चल रही है। इतना सा बोल दीजिए कि मेरे से गलती हो गई, झूठ बोल रहा हूं, खेद व्यक्त कर रहा हूं और मेरी मांग विधायकों की टीम से जांच इसे स्वीकार कर रहे हैं कि नहीं बता दीजिए।

मंत्री कश्यप ने कहा- वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 55 के अधीन यदि अभियुक्त न्यायिक हिरासत में है। शिकायत अभियुक्त की गिरफ्तारी तिथि से 60 दिन के अंदर फाइल कर दी जानी चाहिए जो अवधि 25 मार्च 2024 को खत्म होने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी में कोर्ट चालान नियम अनुसार दायर किया जाएगा। महंत ने फिर से कहा मैं पूछ रहा हूं कि न्यायिक जांच का आदेश दिखाइए।

लगातार न्यायिक जांच के बयान पर घिरता देख मंत्री केदार कश्यप बोले कि मैंने जो उत्तर दिया है। शायद उसका गलत मतलब निकल गया आपने कहा था न्यायिक जांच, महंत ने कहा- मैं कह रहा हूं कि खेद व्यक्त करिए यदि असत्य कहा है विधायकों की टीम से जांच करवा लीजिए, मंत्री का क्या बिगड़ जाएगा सदन को असली तथ्य पता लग जाएगा।

क्या हुआ था बिरनपुर में ?

8 अप्रैल 2023 के दिन दो गुटों में हुए झगड़े के बीच भुवनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी। मामले ने तूल पकड़ा। विवाद को धार्मिक रंग देने के प्रयास भी हुए। झगड़ा बच्चों की मारपीट से शुरू हुआ। बवाल इतना हुआ कि गांव में कुछ घर जला दिए गए।

8 अप्रैल 2023 को भुनेश्वर साहू की हत्या के ठीक 2 दिन बाद जब कर्फ्यू जैसे हालात थे तब धारा 144 में बेहद संध्यास्पद परिस्थितियों में गांव के ही रहीम (55) और उसके पुत्र ईदुल मोहम्मद (35) की हत्या किन्हीं अज्ञात लोगों ने कर दी। तब ऐसा लग रहा था कि दो मुसलमानों की हत्या के बाद हिंदूवादियों का आक्रोश थम जाएगा लेकिन गांव बिरनपुर में तो दो सप्ताह तक कर्फ्यू कर्फ्यू जैसे हालात के बावजूद लोगों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा था। इस पूरी घटना को राष्ट्रबोध के 9 अप्रैल 2023 के वीडियो के अलावा कई अन्य संबंधित वीडियो में आप देख सकते हैं। जिन परिस्थितियों में भुनेश्वर साहू की हत्या की गई और उसके बाद जिस तरह से पुरानी कांग्रेस सरकार के द्वारा लीपा पोती की कोशिश हुई उसकी परिणिति विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के रूप में के रूप में प्रकट भी हुई।

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