प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर विश्व भर के सनातनियों के लिए एक राष्ट्र मंदिर होगा…!

पूज्य भगवान श्रीराम हमें सदैव ही मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में दिखाई देते रहे हैं। पूरे विश्व में भारतीय नागरिकों को प्रभु श्रीराम के वंशज के रूप में जानने के कारण, आज पूरे विश्व में हर भारतीय की यही पहचान भी बन पड़ी है। लगभग हर भारतीय न केवल “वसुधैव कुटुंबकम”, अर्थात इस धरा पर निवास करने वाला प्रत्येक प्राणी हमारा परिवार है, के सिद्धांत में विश्वास करता है बल्कि आज लगभग हर भारतीय बहुत बड़ी हद्द तक अपने धर्म सम्बंधी मर्यादाओं का पालन करते हुए भी दिखाई दे रहा है। भारत में भगवान श्रीराम धर्म एवं मर्यादाओं के पालन करने के मामले में मूर्तिमंत स्वरूप माने जाते हैं। इस प्रकार वे भारत की आत्मा है।  विशेष रूप से आज जब पूरे विश्व में आतंकवाद अपने पैर पसार रहा है एवं जब विकसित देशों में भौतिकवादी विकास सम्बंधी मॉडल के दुष्परिणाम, लगातार बढ़ रही मानसिक बीमारियों के रूप में दिखाई देने लगे हैं, ऐसे में पूरा विश्व ही आज भारत की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहा है कि ऐसे माहौल में केवल भारतीय सनातन संस्कृति ही विश्व को आतंकवाद से मुक्ति दिलाने में सहायक होगी एवं भारतीय आध्यात्मवाद के सहारे मानसिक बीमारियों से मुक्ति भी सम्भव हो सकेगी। इसी कारण से आज विशेष रूप से विकसित देशों यथा, जापान, रूस, अमेरिका, दक्षिणी कोरीया, फ्रान्स, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा, इंडोनेशिया आदि अन्य देशों की ऐसी कई महान हस्तियां हैं जो भारतीय सनातन धर्म की ओर रुचि लेकर, इसे अपनाने की ओर लगातार आगे बढ़ रही हैं। भारत में सनातन धर्म का गौरवशाली इतिहास पूरे विश्व में सबसे पुराना माना जाता है। कहते हैं कि लगभग 14,000 विक्रम सम्वत् पूर्व भगवान नील वराह ने अवतार लिया था। नील वराह काल के बाद आदि वराह काल और फिर श्वेत वराह काल हुए। इस काल में भगवान वराह ने धरती पर से जल को हटाया और उसे इंसानों के रहने लायक बनाया था। उसके बाद ब्रह्मा ने इंसानों की जाति का विस्तार किया और शिव ने सम्पूर्ण धरती पर धर्म और न्याय का राज्य कायम किया। सभ्यता की शुरुआत यहीं से मानी जाती है। सनातन धर्म की यह कहानी वराह कल्प से ही शुरू होती है। जबकि इससे पहले का इतिहास भी भारतीय पुराणों में दर्ज है जिसे मुख्य 5 कल्पों के माध्यम से बताया गया है। यदि भारत के इतने प्राचीन एवं महान सनातन धर्म के इतिहास पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि हिन्दू सनातन संस्कृति एवं सनातन वैदिक ज्ञान वैश्विक आधुनिक विज्ञान का आधार रहा है। इसे कई उदाहरणों के माध्यम से, हिन्दू मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए, समय समय पर सिद्ध किया जा चुका है। सनातन वैदिक ज्ञान इतना विकसित था, जिसके मूल का उपयोग कर आज के आधुनिक विज्ञान के नाम पर पश्चिमी देशों द्वारा वैश्विक स्तर पर फैलाया गया है। दरअसल, सैकड़ों सालों के आक्रमणों और ग़ुलामी ने हमें सिर्फ राजनीतिक रूप से ही गुलाम नहीं बनाया गया था बल्कि मानसिक रूप से भी हम ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़े गए थे। अंग्रेजों के शासन ने हमें हमारी ही संस्कृति के प्रति हीन भावना से भर दिया था। जबकि हमारे ही ज्ञान का प्रयोग कर वे संसार भर में विजयी होते रहे और नाम कमाते रहे। अब जरूरत है कि हम अपनी इस सांस्कृतिक धरोहर को जाने और इस पर गर्व करना भी सीखें।  इसी क्रम में पूरे विश्व में निवास कर रहे हिन्दू सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जिनके नाम से आज विश्व में भारत की पहचान होती है, का एक भव्य मंदिर भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में बनाया जाना शाश्वत प्रेरणा के साथ साथ एक आवश्यकता भी माना जाना चाहिए। चूंकि बाबर एवं मीर बाकी नामक आक्रांताओं ने भगवान श्रीराम के मंदिर का विध्वंस कर उस स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण कर लिया था अतः पुनः इस स्थान को मुक्त कराने हेतु प्रभु श्रीराम के भक्तों को 492 वर्षों तक लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। अतीत के 76 संघर्षों में 4 लाख से अधिक रामभक्तों ने बलिदान दिया है एवं लगभग 36 वर्षों के सुसूत्र ऋंखलाबद्ध अभियानों के फलस्वरूप सम्पूर्ण समाज ने लिंग, जाति, वर्ग, भाषा, सम्प्रदाय, क्षेत्र आदि भेदों से ऊपर उठकर एकात्मभाव से श्रीराम मंदिर के लिए अप्रतिम त्याग और बलिदान किया है। अंततः उक्त बलिदानों के परिणामस्वरूप 9 नवम्बर 1989 को श्रीराम जन्मभूमि पर अनुसूचित समाज के बन्धु श्री कामेश्वर चौपाल ने पूज्य संतों की उपस्थिति में शिलान्यास सम्पन्न किया था। परंतु, प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण करने हेतु जमीन के स्वामित्व सम्बंधी कानूनी लड़ाई अभी भी समाप्त नहीं हुई थी। इस प्रकार आस्था का यह विषय न्यायालयों की लम्बी प्रक्रिया (सत्र न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तक) में भी फंस गया था। अंत में, पौराणिक-साक्ष्यों, पुरातात्विक-उत्खनन, राडार तरंगों की फोटो प्रणाली तथा एतिहासिक तथ्यों के आधार पर उच्चत्तम न्यायालय की 5 सदस्यीय पीठ ने 9 नवम्बर 2019 को सर्व सम्मति से एकमत होकर निर्णय देते हुए कहा “यह 14000 वर्गफीट भूमि श्रीराम लला की है।” इस प्रकार सत्य की प्रतिष्ठा हुई, तथ्यों और प्रमाणों के साथ श्रद्धा, आस्था और विश्वास की विजय हुई। तत्पश्चात, भारत सरकार ने 5 फरवरी 2020 को “श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र” नाम से न्यास का गठन कर अधिग्रहीत 70 एकड़ भूमि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को सौंप दी। तदुपरांत 25 मार्च, 2020 को श्री राम लला तिरपाल के मन्दिर से अपने अस्थायी नवीन काष्ठ मंदिर में विराजमान हुए।  अंततः 5 अगस्त 2020 को सदियों के स्वप्न-संकल्प सिद्धि का वह अलौकिक मुहूर्त उपस्थित हुआ। जब पूज्य महंत नृत्य गोपाल दास जी सहित देश भर की विभिन्न आध्यात्मिक धाराओं के प्रतिनिधि पूज्य आचार्यों, संतो, एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सर संघचालक डा0 मोहन भागवत जी के पावन सानिध्य में भारत के जनप्रिय एवं यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भूमि पूजन कर मंदिर निर्माण का सूत्रपात किया। इस शुभ मुहूर्त में देश के 3000 से भी अधिक पवित्र नदियों एवं तीर्थों का जल, विभिन्न जाति, जन जाति, श्रद्धा केंद्रों तथा बलिदानी कार सेवकों के घर से लायी गई रज (मिट्टी) ने सम्पूर्ण भारत वर्ष को आध्यात्मिक रूप से “भूमि पूजन” में उपस्थित कर दिया था। आज, प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर अब अपनी सम्पूर्णता की ओर तेजी से अग्रसर है और इस विशाल एवं भव्य मंदिर का शुभारम्भ भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी 22 जनवरी 2024 को परम पूज्य संत मंडल एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सर संघचालक श्री मोहन जी भागवत के सानिध्य में करने जा रहे है।    भारत में पूज्य संतों ने यह आह्वान किया है कि श्रीराम जन्म भूमि में भव्य मंदिर बनने के साथ साथ जन जन के हृदय मंदिर में श्रीराम एवं उनके नीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा भी होनी चाहिए। श्रीराम 14 वर्षों तक नंगे पैर वन वन घूमें। समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। उन्होंने वंचित, उपेक्षित समझे जाने वाले लोगों को आत्मीयता से गले लगाया, अपनत्व की अनुभूति कराई, सभी से मित्रता की। जटायु को भी पिता का सम्मान दिया। नारी की उच्च गरिमा को पुनर्स्थापित किया। असुरों का विनाश कर आतंकवाद का समूल नाश किया। राम राज्य में परस्पर प्रेम, सद्भाव, मैत्री, करुणा, दया, ममता, समता, बंधुत्व, आरोग्य, त्रिविधताप विहीन, सर्वसमृद्धि पूर्ण जीवन सर्वत्र था। अतः हम सभी भारतीयों को मिलकर पुनः अपने दृढ़ संकल्प एवं सामूहिक पुरुषार्थ से पुनः एक बार ऐसा ही भारत बनाना है।  प्रभु श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या में केवल एक भव्य मंदिर बनाने की परिकल्पना नहीं की गई है बल्कि भव्य मंदिर के साथ साथ विशाल पुस्तकालय, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र, वेदपाठशाला, यज्ञशाला, सत्संग भवन, धर्मशाला, प्रदर्शनी, आदि को भी विकसित किया जा रहा है, ताकि आज की युवा पीढ़ी को प्रभु श्रीराम के काल पर अनुसंधान करने में आसानी हो। प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर को राष्ट्र मंदिर इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि यहां आने वाले हर व्यक्ति को यह मंदिर भारतीय सनातन संस्कृति की पहचान कराएगा। पूरे विश्व में यह मंदिर हिन्दू सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए आस्था का केंद्र बनने जा रहा है अतः यहां पूरे विश्व से सैलानियों का लगातार आना बना रहेगा। यह मंदिर पूरे विश्व में हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र बनने के साथ साथ पर्यटन के एक विशेष केंद्र के रूप में भी विकसित होने जा रहा है, इसलिए प्रभु श्रीराम की कृपा से करोड़ों व्यक्तियों की मनोकामनाओं की पूर्ति के साथ साथ लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदत्त होंगे। प्रहलाद सबनानी  सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक  के-8, चेतकपुरी कालोनी, झांसी रोड, लश्कर, ग्वालियर –…

भारतीय रिजर्व बैंक को अब ब्याज दरों में कटौती के बारे में सोचना चाहिए…!

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक 8 दिसम्बर 2023 को समाप्त हुई और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांत दास ने नीतिगत रेपो दर में किसीभी प्रकार का परिवर्तन न करते हुए इसे 6.50 प्रतिशत पर यथावत बनाए रखा है, क्योंकि मुख्य रूप से भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर नियंत्रण में बनी हुई है। हालांकि अभी यह देश के मध्यावधि लक्ष्य 4 प्रतिशत के अंदर नहीं आई है।  परंतु, भारतीय अर्थव्यवस्था जिस गति से आगे बढ़ रही है, इसे देखते हुए एवं आर्थिक विकास की दर को और अधिक गति देने के उद्देश्य से अब भारत में ब्याज दरों को कम किये जाने का समय आ गया लगता है।उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर का 4 प्रतिशत से अधिक बने रहने के पीछे मुख्य कारण तेल एवं खाद्य पदार्थों (फल, सब्जी, आदि) में अचानक वृद्धि होते रहना है।अन्यथा, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर तो लम्बे समय से रिणात्मक बनी हुए है एवं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मूल मुद्रा स्फीति की दर भी पूर्ण रूप से नियंत्रणमें है। हां, वैश्विक स्तर पर आर्थिक परिस्थितियां जरूर भारत में ब्याज दरों को कम करने के पक्ष में नजर नहीं आ रही हैं।चीन सहित, विश्व के कई देशों में आर्थिक विकास दर कम हो रही है एवं इन देशों में मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से ब्याज दरों को अभी भी ऊंची दरों पर बनाए रखा गया है। इसी माह अमेरिका में सम्पन्न हुई फेडरल रिजर्व की बैठक में फेड रेट में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। चूंकि अन्य देशों में ब्याज की उच्च दर अभी भी बनी हुई है अतः अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपए पर दबाव बना हुआ है। इन परिस्थितियों के बीच यदि भारतीय रिजर्व बैंक भारत में ब्याज दरों को कम करता है तो भारतीय रुपए पर दबाव और अधिक बढ़ेगा। अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों में मुद्रा स्फीति की दर में सुधार जरूर दृष्टिगोचर है। अमेरिका में तो अभी हाल ही में सोवरेन बांड प्रतिफल में गिरावट भी दर्ज हुई है एवं अमेरिकी डॉलर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कुछ कम हुई है। इससे कई देशों के पूंजी (शेयर) बाजार मजबूत हुए हैं। अतः अब आगे आने वाले समय में इन परिस्थितियों के बीच विश्व के विभिन्न देशों द्वारा ब्याज दरों में कमी किए जाने की सम्भावना बढ़ती जा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था को तो इससे अत्यधिक लाभ होगा। ब्याज दरें कम होने से भारतीय उद्योग द्वारा निर्मित किए जाने वाले उत्पादों की उत्पादन लागत कम होगी और भारत में निर्मित होने वाले उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बन जाएंगे, इससे इन उत्पादों का भारत से निर्यात बढ़ेगा। भारत में आंतरिक आर्थिक परिस्थितियां लगातार अनुकूल बनी हुई हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने के बाद द्वितीय तिमाही में भी 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की गई है। यह वृद्धि दर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्तर के वित्तीय संस्थानों एवं भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अनुमानों से कहीं अधिक है। भारत में लगातार बढ़ रहे निवेश एवं केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे पूंजीगत एवं अन्य खर्च में अपार वृद्धि के चलते सम्भव हो पा रहा है। विनिर्माण एवं निर्माण गतिविधियों में अतुलनीय वृद्धि के चलते दूसरी तिमाही में विकास दर अत्यंत आकर्षक रही है। आगे आने समय में भी विनिर्माण गतिविधियों में मजबूती, निर्माण में भारी वृद्धि एवं ग्रामीण इलाकों में बढ़ रही उत्पादों की मांग के चलते घरेलू स्तर पर उत्पादों की मांग में और अधिक सुधार होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। अतः भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमानों में सुधार करते हुए इसे 7 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर को नियंत्रण में करना चाहता है। जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की इस दर में विभिन्न खाद्य पदार्थों की कीमतें भी शामिल रहती हैं। खाद्य पदार्थों की कीमतें पूर्णत: मांग एवं आपूर्ति के सिद्धांत पर तय होती हैं। जब किसी वर्ष किसी खाद्य पदार्थ की फसल संतोषजनक होती है तो उस खाद्य पदार्थ की कीमतें नियंत्रण में रहती है और यदि किसी मौसम में किसी सब्जी अथवा फल की फसल ठीक नहीं रहती है तो उसकी कीमतें बाजार में आसमान छूने लगती हैं। जैसा कि अक्सर भारत में प्याज, टमाटर एवं अन्य सब्जियों एवं फलों की स्थिति में देखा गया है। इस प्रकार की मुद्रा स्फीति को ब्याज दरों में वृद्धि कर नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इन पदार्थों की कीमतों को तो केवल इनकी आपूर्ति को बढ़ाकर ही नियंत्रण में लाया जा सकता है। फिर, इन पदार्थों की बढ़ती कीमतों के चलते यदि ब्याज दरों में वृद्धि हो रही है तो यह अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों, विशेष रूप से उद्योग एवं सेवा क्षेत्र, के लिए हानिकारक परिणाम देता दिखाई दे रहा है। इन कारणों के चलते अब भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मूल मुद्रा स्फीति की दर को ही नियंत्रित करना चाहिए एवं उसके आधार पर ही ब्याज दरों में वृद्धि अथवा कमी  की जानी चाहिए। जब फल एवं सब्जियों की कीमतों में अचानक हो रही वृद्धि को ब्याज दरें बढ़ाकर नियंत्रित ही नहीं किया जा सकता है तो फिर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में इन मदों को शामिल ही क्यों रखा जाना चाहिए। अतः कुल मिलाकर अब भारत में थोक मूल्य सूचकांक आधारित एवं  उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मूल मुद्रा स्फीति की दर अब नियंत्रण में है इसलिए आगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत में ब्याज दरों को कम करने के सम्बंध में विचार किया जाना चाहिए। प्रहलाद सबनानी सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक के-8, चेतकपुरी कालोनी, झांसी रोड, लश्कर, ग्वालियर – 474 009 मोबाइल क्रमांक – 9987949940…

इस्लामिक कट्टरवाद अमानवीयता की जननी – दिव्य अग्रवाल

सम्पूर्ण विश्व इस बात से अवगत है की इस्लामिक कटटरवाद , अमानवीयता , क्रूरता , हिंसा…

फोटो खिंचवाने तीसरी पंक्ति में बैठे विधायक मोहन यादव को भाजपा ने सीएम बनाया ! यूपी और बिहार की राजनीति में पड़ेगा गहरा असर…!

भोपाल : भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में एक बार फिर चौकाने वाला कदम उठाते हुए मध्य…

मीना यादव का मृत शरीर मानवता की भलाई के लिए दान किया गया…!

दुर्ग : मरने के बाद मानवता की भलाई के लिए दुर्ग की एक महामानव की पार्थिव…

रायपुर में 11वीं के स्टूडेंट पर चाकुओं से हमला, पुलिस ने शातिर आरोपियों का निकाला जुलूस…!

रायपुर में 11वीं क्लास के स्टूडेंट को तीन युवकों ने घेरकर चाकू मार दिया। छात्र की…

छत्तीसगढ़ के अवैध कब्जों के विरुद्ध बुलडोजर एक्शन के विरुद्ध कांग्रेस का रिएक्शन…!

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता आते ही बुलडोजर एक्शन पर कांग्रेस का उल्टा रिएक्शन आया है.…

7 महीने से गायब प्रेमी जोड़े की लाश खेत में मिली, लड़की शादीशुदा थी..!

रायपुर के अभनपुर इलाके में पिछले 7 महीने से गायब प्रेमी जोड़े का शव बरामद हुआ…

छत्तीसगढ़ के नए सीएम को लेकर रमन सिंह ने बताई नई बात, रिक्शा वाले से विधायक बने ईश्वर साहू ने सदन पर माथा टेका…!

छत्तीसगढ़ में 8 अक्टूबर तक नए सीएम का सस्पेंस समाप्त हो जाएगा । इस बारे में…

बिना लाइसेंस के चल रहे थे 3 हेल्थ सेंटर, नोटिस देकर मांगा जवाब…!

स्वास्थ्य विभाग की औचक जांच में शहर के तीन हेल्थ सेंटरों के पास लाइसेंस नहीं मिले…