महादेव सट्टे में कमाई का पैसा क्रिप्टो के माध्यम से विदेश भेजा जा रहा है। दुर्ग का बर्खास्त सिपाही अर्जुन यादव और उसका पैनल चलाने वाला रैकेट दुबई में छिपे प्रमोटर को इसी माध्यम से रोज करोड़ों रुपए भेज रहा था। पैसे भी अलग-अलग राज्यों से भेजे गए क्योंकि क्रिप्टो को ट्रेस करना मुश्किल है। इसका मालिक कौन है? पैसे कहां निकाले गए? कौन इसे उपयोग कर रहा है? यह पता नहीं लगाया जा सकता।
ब्लॉकचेन से ये पता चल सकता है कि कितना पैसा निवेश किया गया है। इसके अलावा कोई दूसरी इंफर्मेशन नहीं मिलती। ये माध्यम सेफ होने के साथ-साथ खर्चीला भी नहीं है। पैसों काे विदेश ट्रांसफर करने पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। एसीबी-ईओडब्ल्यू इसका तोड़ पता करने के लिए तकनीकी जांच कर रही है। फिलहाल ब्लॉकचेन के माध्यम से ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्रिप्टो के माध्यम से आखिर कितना पैसा ट्रांजेक्शन किया है।
ईओडब्ल्यू के चीफ और रायपुर आईजी अमरेश मिश्रा के अनुसार महादेव सट्टेबाज हर आधे घंटे में अपना खाता बदल रहे हैं। अलग-अलग खाते में पैसा जमा कराया जा रहा है। क्योंकि लगातार इनके खातों को लगातार ब्लॉक कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पकड़े गए आरोपियों के मोबाइल की जांच के दौरान इसका खुलासा हुआ है। महादेव सट्टे के ग्रुप में ऐसा चैट मिला है। उसकी तस्दीक की जा रही है।
काला कारोबार व लेनदेन चल रहा डार्कनेट में
साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू ने बताया कि अवैध कारोबार और लेनदेन करने वाले डार्कनेट का उपयोग करते हैं। अज्ञात लेनदेन का यह बाजार है। इसमें उपयोगकर्ताओं और डार्कनेट प्रदाताओं दोनों के लिए सुरक्षा और गुमनामी बनाने के लिए टोर नेटवर्क मौजूद है। इसमें लेनदेन के लिए डार्क वॉलेट का उपयोग बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से किया जाता है।
इसके उपयोगकर्ताओं को ट्रैक करना और उनका पता लगाना लगभग असंभव है। जबकि डिजिटल पैसे का पता लगाया जा सकता है। डिजिटल पैसों एक रिकॉर्ड रहता है। लेकिन इसका मालिक कौन है, पैसा कहां जा रहा है, कौन निकाल रहा है, इसकी जानकारी नहीं रहती है।
10 हजार करोड़ का महादेव
आईटी, ईडी, ईओडब्ल्यू और पुलिस समेत कई एजेंसियां महादेव सट्टे की जांच कर रही हैं। अब तक की जांच में पता चला है कि सट्टेबाजी के प्रमोटरों ने ऑनलाइन सट्टे से 10 हजार करोड़ से ज्यादा कमाए हैं। इसमें 1100 करोड़ शेयर मार्केट में लगाए हैं। होटल, जमीन, कारोबार में भी पैसा निवेश किया गया है। डिजिटल करेंसी में भी 2000 करोड़ से ज्यादा पैसा निवेश किया गया है। रोजाना करोड़ों रुपए का इससे लेनदेन किया जा रहा है। “
क्या है डिजिटल करेंसी
शेयर मार्केट एक्सपर्ट अर्पित कोठारी ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी एक तरह से अदृश्य मुद्रा है। क्रिप्टोकरेंसी पर किसी देश, किसी सरकार और किसी संस्था का अधिकार नहीं होता और ना ही कोई संस्था इसकी कीमत अपने नियंत्रण में रखती है। इसका लेनदेन कंप्यूटर, स्मार्टफोन, कार्ड और ऑनलाइन क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के माध्यम से किया जाता है। इसे एटीएम का उपयोग करके भौतिक नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है। यह ब्लॉकचेन सिस्टम पर काम करता हैं। इसमें एथेरियम एक ब्लॉकचेन प्लेटफार्म है। बिटकॉइन, ईथर, लाइटकॉन और लहर अन्य क्रिप्टो करेंसी हैं।
कई क्रिप्टो डीलर जो कमीशन लेकर करते हैं ट्रांजेक्शन
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार देश में कई ऐसे क्रिप्टो डीलर हैं जो कमीशन लेकर कैश को क्रिप्टो में एक्सचेंज करते हैं। बड़े बुकी और सटोरी क्रिप्टो डीलर को हवाला करते हैं। उस पैसे को क्रिप्टो में एक्सचेंज कर विदेश भेज देते हैं। इसके लिए उन्हें दो से तीन प्रतिशत कमीशन मिलता है। 200-300 करोड़ रुपए आराम से क्रिप्टो में एक्सचेंज कर देते हैं।
छत्तीसगढ़ में भी तीन से चार डीलर हैं, जो इस तरह का काम कर रहे हैं। विदेश में रहने वाले भी इन डीलर की मदद से यहां रहने वाले लोगों तक पैसा पहुंचाते है। विदेश में क्रिप्टो में पैसा भेजा जाता है। क्रिप्टो को रखकर डीलर बताए पते पर कैश छोड़ देते हैं। इससे उनकी टैक्स की बचत हो जाती है। इसका कोई ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड भी नहीं रहता है।