छत्तीसगढ़ के ज्यादातर ब्लड बैंक ड्राई हो गए हैं। इसकी वजह भीषण गर्मी में ब्लड डोनर्स की कमी को बताया जा रहा है। ब्लड की कमी की समस्या से थैली सीमिया पीड़ित मरीजों को ज्यादा मुसीबत हो रही है। वहीं, इमरजेंसी वाले मरीजों के परिजन भी ब्लड बैंक के चक्कर काट-काटकर परेशान हैं।
दरअसल, गर्मी बढ़ने से सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। ऐसे में ब्लड की डिमांड भी बढ़ गई है। ऐसे हालात में ब्लड बैंकों में खून की किल्लत शुरू हो गई है। बिलासपुर के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स, जिला अस्पताल के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में भी ओ पॉजिटिव रक्त की कमी हो गई है।
वहीं, जरूरी ब्लड ग्रुप के लिए भी मरीज के परिजनों को भटकना पड़ रहा है। हालत ये है कि शहर के प्राइवेट ब्लड बैंकों में भी ब्लड नहीं मिल रहा है।
गर्मी की वजह से सामने नहीं आते ब्लड डोनर
दरअसल, लोगों में यह गलतफहमी है कि गर्मी के दिनों में ब्लड नहीं देना चाहिए। इससे चक्कर आने जैसी कई समस्याएं होती हैं। यही वजह है कि ब्लड डोनर नहीं मिल रहे हैं और ब्लड बैंक ड्राई हैं।
जबकि, विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि रक्तदान करने के लिए कोई समय या मौसम का अनुकूल होना जरूरी नहीं है। कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति किसी भी मौसम में बेझिझक रक्तदान कर सकता है।
ब्लड बैंकों के चक्कर काट रहे मरीज के परिजन
बिलासपुर समेत रायपुर और बड़े शहरों में ब्लड की किल्लत चल रही है। ऐसे में मरीज के परिजन ब्लड बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। जिन्हें पांच यूनिट ब्लड की जरूरत है, उन्हें महज एक यूनिट से काम चलाना पड़ रहा है। वहीं, कई ऐसे मरीज हैं, जिन्हें ब्लड की कमी के चलते ऑपरेशन टालना पड़ा है।
बलौदाबाजार निवासी दसरू ध्रुव की पत्नी बिलासपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती है। वह पांच दिनों से ब्लड बैंक का चक्कर काट रहा है। गुरुवार को ब्लड डोनर लाने पर उसे केवल एक यूनिट ब्लड मिल सका।
इसी तरह सुरेश कुमार अहिरवार के परिचित की बच्ची को भी ब्लड की जरूरत है। लेकिन, ब्लड नहीं मिल रहा है। ब्लड डोनेट करने पर बड़ी मुश्किल से उसे एक्सचेंज में एक यूनिट ही ब्लड मिल सका।
थैली सीमिया पीड़ित मरीजों के लिए गंभीर हालात
ब्लड की कमी होने के कारण बिलासपुर समेत छत्तीसगढ़ के थैली सीमिया पीड़ित मरीजों के लिए ज्यादा संकट की स्थिति है। बिलासपुर जिले में 180 थैली सीमिया बच्चों को खून की जरूरत होती है। इसके साथ ही सिकलसेल रोगियों को भी ब्लड की डिमांड होती है।
ब्लड नहीं मिलने के कारण इस तरह की गंभीर और रक्त की जरूरत वाली बीमारी से जूझ रहे लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।
400 से 500 यूनिट क्षमता, रोजाना भटक रहे मरीज
बिलासा ब्लड बैंक के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी विकास मिश्रा बताते हैं कि बिलासपुर ही नहीं बल्कि, कोरबा, रायपुर, राजनांदगांव, दुर्ग-भिलाई समेत ज्यादातर जिलों के ब्लड बैंकों में खून की किल्लत है। ब्लड बैंक की 400 से 500 यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है।
आमतौर पर रोज 25 से 30 यूनिट ब्लड की खपत होती है। लेकिन, गर्मी में ब्लड बैंक ड्राई हो गए हैं और डिमांड लगातार बढ़ रही है। हालत यह है कि हर जगह रोजाना 15 से 20 मरीजों के परिजन खून के लिए भटक रहे हैं और खून नहीं मिलने से निराश होकर लौट रहे हैं।
सामाजिक संस्था जज्बा चला रही अभियान, डोनर के लिए ऑफर
बिलासपुर में पिछले 13 साल से काम कर रही सामाजिक संस्था जज्बा एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक संजय मतलानी ने बताया कि इस संकट से निपटने और थैली सीमिया पीड़ित बच्चों को खून मुहैया कराने के लिए 19 मई को राजा रघुराज स्टेडियम में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है।
संस्था के साथ शाहेदा फाउंडेशन और ख्वाब वेलफेयर फाउंडेशन भी सहयोग करेगा। शिविर में बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। शिविर में डोनर को हेलमेट, सर्टिफिकेट के साथ ही गारंटी गार्ड दिया जाएगा। एक हजार यूनिट ब्लड जुटाने की तैयारी की गई है।