‘जेठालाल’ नाम सुनते ही सभी के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। साथ ही याद आता है एक्टर दिलीप जोशी का चेहरा जिन्होंने टीवी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के इस किरदार से घर-घर में पहचान बनाई है। उनकी फैन फॉलोइंग की बात करें तो हर उम्र के लोग उनकी एक्टिंग के दीवाने हैं। 26 मई 1968 में जन्मे दिलीप आज अपना 56वां जन्मदिन मना रहे हैं।
दिलीप ने 12 साल की उम्र में बतौर बैकस्टेज आर्टिस्ट करियर की शुरुआत की थी। तब उन्हें हर रोल के 50 रुपए मिलते थे। लेकिन आज दिलीप एक दिन की फीस 1.5 लाख लेते हैं। उन्होंने 1989 में अपना बॉलीवुड डेब्यू सलमान खान और भाग्यश्री की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ से किया था। इसमें उन्होंने सलमान के नौकर ‘रामू’ की छोटी सी भूमिका निभाई थी। इस फिल्म से उन्हें कुछ खास पहचान नहीं मिली। इसके बाद उन्हें सलमान के साथ दूसरी बार ‘हम आपके हैं कौन’ में सपोर्टिंग आर्टिस्ट का रोल मिला। इस फिल्म के बाद उन्हें थोड़े बहुत लोग जानने लगे थे। दिलीप के को-एक्टर्स का कहना है कि वो वन टेक आर्टिस्ट हैं। उन्हें केवल सामने वाले एक्टर की वजह से रीटेक लेना पड़ता है।
दिलीप जोशी ने ‘हम आपके हैं कौन’, ‘वन टू का फोर’, ‘हमराज’, ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’, ‘खिलाड़ी 420’ जैसी कई फिल्मों में काम किया। इसके अलावा टीवी का साथ भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कई टीवी शोज में काम किया, लेकिन उन्हें इतने से भी वो पहचान नहीं मिल पाई थी। देखते ही देखते साल 2006 में वह बेरोजगार हो गए।
दिलीप ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो माधुरी दीक्षित के फैन थे। ‘हम आपके हैं कौन’ के दौरान उन्होंने पहली बार माधुरी को सामने से देखा, तो उनके लिए वो किसी फैन मोमेंट से कम नहीं था। माधुरी से मिलने के लिए दिलीप कॉल टाइम से पहले ही सेट पर रेडी होकर पहुंच गए थे। उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर सूरज बड़जात्या की तारीफ करते हुए बताया कि उन्होंने मुझे माधुरी के सामने फेमस गुजराती एक्टर बताकर इंट्रोड्यूस किया था। मुझे इस बात से बेहद खुशी हुई थी।
एक इंटरव्यू में अपने स्ट्रगल के दिनों पर बात करते हुए दिलीप ने बताया कि कई फिल्में करने के बाद भी लंबे समय तक उनके पास कोई काम नहीं था। जिस वक्त उनकी बेटी का जन्म हुआ तब उनके अकाउंट में मात्र 25 हजार रुपए थे, जिसमें से 13 हजार रुपए अस्पताल में खर्च हो गए।
आर्थिक समस्या से जूझ रहे दिलीप को कॉमेडी सर्कस ऑफर हुआ। इसमें उन्हें अच्छे पैसे भी ऑफर किए गए, लेकिन शो में बिलो द बेल्ट टाइप जोक होने की वजह से दिलीप ने यह ऑफर ठुकरा दिया था। दिलीप हमेशा से ऐसा काम करना चाहते थे, जो उनके परिवार के लोग गर्व से देख सकें। इसके डेढ़ महीने बाद उन्हें साल 2008 में ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में काम मिला और घर-घर में उन्होंने अपनी पहचान बना ली।
शूटिंग के दौरान सलमान के साथ कमरा शेयर किया था
दिलीप जोशी ने एक इंटरव्यू के दौरान सलमान खान के साथ काम करने का किस्सा शेयर किया था। दिलीप ने कहा था- फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ की शूटिंग फिल्मिस्तान स्टूडियो में चल रही थी। इस दौरान उन्हें सलमान के साथ कमरा शेयर करने का मौका मिला था, लेकिन सलमान ने कभी इस बात पर आपत्ति नहीं जताई। स्टार होने के बाद भी उन्होंने कोई नखरा नहीं किया। बल्कि उन्होंने मेरी बहुत मदद की। सलमान के साथ काम करने में बहुत मजा आया।
शूटिंग के दौरान सलमान को पता चला कि दिलीप थिएटर बैकग्राउंड से आते हैं। यह जानने के बाद सलमान दिलीप से अक्सर सीन के बाद पूछते थे कि सीन कैसा था।
शाहरुख के साथ फिल्म में काम करने का एक्सपीरियंस
दिलीप ने शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘वन टू का फोर’ में काम किया था। दिलीप बताते हैं कि शाहरुख के साथ सीन होने से पहले हमने रिहर्सल करने की सोची। अब क्योंकि दिलीप थिएटर बैकग्राउंड से हैं, उन्हें इंप्रोवाइज करने की आदत थी। उन्होंने एक सीन में थोड़ा सा इंप्रोवाइज किया। ये देख शाहरुख ने उनकी तरफ नजर घुमाई। अब शाहरुख के इस लुक का मतलब दिलीप समझ नहीं पा रहे थे। उन्होंने सोचा कि शायद मुझे इंप्रोवाइज नहीं करना चाहिए था।
जब हमने दोबारा रिहर्सल किया तो मैंने वही लाइन्स बोलीं, जो स्क्रिप्ट में लिखी थी। ये देख शाहरुख ने मुझसे कहा- नहीं..नहीं पहले वाला ही बोलिए। वो ज्यादा बेहतर है। ये सुनकर दिलीप को बेहद खुशी हुई। उनका कहना है कि शाहरुख भी थिएटर बैकग्राउंड से हैं, इसलिए वो इस बात को समझ रहे थे। दिलीप का कहना है कि शाहरुख बहुत कोऑपरेटिव हैं, उनके साथ काम करके उन्हें बहुत मजा आया था।
दिलीप 12वीं क्लास में फेल हो गए थे। उनका दिल पढ़ाई में नहीं लगता था। उन्होंने बचपन में फिल्म या टीवी में एक्टर बनने के बारे में सोचा ही नहीं था। हां, लेकिन उन्हें नाटक करने का खूब शौक था। पोरबंदर के गोसा गांव के एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में जन्मे दिलीप ने मुंबई के एमएम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से बैचलर ऑफ कॉमर्स (बी.कॉम) में एडमिशन लिया।
हालांकि नाटक में ज्यादा मन लगने और पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और पृथ्वी थिएटर से जुड़ गए। वैसे दिलीप को आज भी पढ़ाई बीच में छोड़ने का अफसोस है।
नाटक करने का शौक लिए दिलीप 12 साल की उम्र से ही ड्रामा से जुड़ गए। एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने ड्रामा से जुड़े कुछ मजेदार किस्से सुनाए। पृथ्वी थिएटर से जुड़ने के बाद उन्हें शुरुआत में बैक स्टेज का काम मिला था, लेकिन उन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की। उन्हें लाइव ऑडियंस के सामने परफॉर्म करना बेहद पसंद है। उनका कहना है कि जब सैकड़ों लोग आपके सामने आपके एक्ट पर तालियां बजाते हैं, तो तालियों की गड़गड़ाहट से बहुत सुकून मिलता है।
भगवान रणछोड़ दास बनकर 6 मिनट तक खड़े रहे दिलीप जोशी
ये उस वक्त की बात है जब दिलीप ने पहला प्ले किया था, इसमें उन्होंने भगवान रणछोड़ दास का किरदार निभाया था। इस प्ले में वो लगभग 5 से 6 मिनट तक मूर्ति बनकर खड़े थे। अब क्योंकि वो भगवान बनकर खड़े थे, सीन में उनकी पूजा की जानी थी। उनके सामने अगरबत्ती जला दी जाती है जिसका धुंआ उनकी आंखों में लगने लगता है। अब वो अपनी पलके तो झपका नहीं सकते थे, लेकिन उनकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। ऑडियंस में बैठा एक बच्चा जोर से चिल्लाता है कि मम्मी..मम्मी भगवान रो रहे हैं।
ये देख सभी उनके लिए तालियां बजाने लगते हैं। वहीं दिलीप के मन में चल रहा था कि जल्दी से सीन खत्म हो और उनका डायलॉग आए, ताकि वो हिल सकें और कुछ बोल सकें। यह किस्सा दिलीप ने मैशेबल इंडिया के साथ बातचीत के दौरान बताया।
पजामे का नाड़ा टूट गया, फिर भी प्ले कम्प्लीट किया
एक बार वो प्ले कर रहे थे। प्ले के दौरान उन्हें बीच में कॉस्ट्यूम चेंज करना था, जैसे ही वो चूड़ीदार पजामा और कुर्ता पहनकर स्टेज पर आए। उनके पजामा का नाड़ा टूट गया। उन्हें जैसे ये महसूस हुआ उन्होंने दोनों हाथ आगे करके पजामा का सहारा देकर अपना प्ले कम्प्लीट किया।
9 से 9 वाली जॉब करने वाला भी फेज रहा है
दिलीप के जीवन में 1985 से 1990 तक ऐसा फेज था, जब उन्हें 9 से 9 दुकान पर जाकर टिपिकल रूटीन फॉलो करना पड़ता था। दरअसल, वो एक ट्रैवल एजेंसी की दुकान पार्टनरशिप में चलाते थे। उन्होंने ये काम लगभग 5 साल तक किया था। 5 साल तक काम करने के बाद दिलीप ने तय कर लिया था कि वो इसके लिए नहीं बने हैं। अब उनसे यह नहीं हो पाएगा, लेकिन यह काम छोड़ने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी से डिस्कस किया।
दिलीप ने पत्नी से कहा- मैं एक्टिंग करना चाहता हूं, लेकिन वो लाइन बहुत इनसिक्योर है काम मिल भी सकता है और नहीं भी। उनकी पत्नी ने सारी बात सुनी तो उन्होंने कहा- हमें कौन सा करोड़पति बनना है। थोड़े बहुत में भी हम गुजारा कर सकते हैं। आप जो करना चाहते हैं करिए। पत्नी की ये बात सुनकर दिलीप की हिम्मत बढ़ी। उन्होंने वह काम छोड़ा और एक्टिंग में करियर बनाने के लिए निकल पड़े।
दिलीप जोशी से मिली करियर की बड़ी सीख
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में आत्माराम तुकाराम भिड़े का किरदार निभाने वाले एक्टर मंदार चंदवाडकर ने कहा- जब मैंने 2008 में ये शो जॉइन किया, तब मैं उनका फैन था। उनके एक पुराने शो में उनकी एक्टिंग देखकर मैं उनका फैन हो गया था। इतना ही नहीं जब इस रोल को पाने के प्रोसेस के बारे में उन्होंने बताया तो उनकी इज्जत और बढ़ गई थी। मंदार बताते हैं- मैंने उनसे बहुत सी सीख ली, लेकिन जो सबसे बड़ी बात सीखी वो ये कि, ‘एक्टर सभी होते हैं, रिएक्टर कम होते हैं।’
एक बेहतर रिएक्टर होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि जब आप किसी के डायलॉग पर अच्छा रिएक्ट करते है, तो इससे सामने वाले का सीन और बेहतर हो जाता है। मान लीजिए, किसी को-एक्टर ने पंच लाइन दी और आपने रिएक्ट ही नहीं किया, तो पूरा सीन खराब हो जाता है। अच्छा एक्टर होने के साथ-साथ अच्छा रिएक्टर होना भी जरूरी है।
वो किसी भी सीन को केवल अपने लिए बेहतर नहीं बनाते हैं, पूरी टीम का सीन अच्छा हो, वो हमेशा इस पर ध्यान देते हैं। एक बात जो सभी ने दिलीप को लेकर कही कि वो कभी अपने बर्थडे के लिए एक्साइटेड नहीं रहते हैं। वो केवल अपनी फैमिली के साथ समय बिताना पसंद करते हैं या कहीं दर्शन करने जाना पसंद करते हैं। अगर इत्तफाक से उस दिन शूट होता है, तो सेट पर शूट के लिए आते हैं। मंदार ने कहा कि वो एक खुली किताब की तरह हैं, उनका व्यक्तित्व बहुत सादा है।
एक्टर दयाशंकर पांडे ने कहा- मुझे दिलीप जोशी से जलन होती है..
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में पुलिस चालू पांडे का किरदार निभा रहे एक्टर दयाशंकर पांडे ने दिलीप जोशी के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि मुझे कई बार दिलीप जोशी से जलन होती है, क्योंकि कई बार जब एक्टर का मूड ऑफ होता है, तो आपका कोई न कोई सीन खराब हो जाता है, लेकिन उनके साथ ऐसा नहीं है, उनका मूड जैसा भी हो उसका प्रभाव उनके काम पर नहीं पड़ता है। वो जैसे पहले दिन अपने काम को लेकर एक्टिव थे, उसी तरह आज भी हैं।
वन टेक आर्टिस्ट हैं दिलीप जोशी
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में डॉक्टर हाथी के बेटे का किरदार निभा रहे एक्टर कुश शाह ने कहा कि वो दिलीप जोशी को अपना मेंटॉर मानते हैं। वो अपने जन्मदिन को बहुत स्पेशल न समझकर बाकी आम दिन जैसा ही समझते हैं। जब कुश से पूछा गया कि आपने दिलीप से क्या सीखा है? कुश कहते हैं कि उन्होंने दिलीप से ह्यूमर और सेंस ऑफ ह्यूमर दोनों ही सीखा है। उनसे केवल मजाक करना ही नहीं बल्कि मजाक को अपने ऊपर लेना भी सीखा है। दिलीप जोशी बहुत ही स्पिरिचुअल हो गए हैं, खाने के शौकीन होने के बाद भी वो शाम के बाद खाना नहीं खाते हैं।
कुश बचपन से ही उनका प्ले देखते आ रहे हैं। बता दें कि गुजराती थिएटर्स में दिलीप का बहुत बड़ा नाम है। हम उनसे हर दिन इंस्पायर्ड होते हैं। उनके बारे में वो बात जो उन्हें बहुत स्पेशल बनाती है, कि शूटिंग के वक्त बहुत ही रेयर चांस होता है, जब वो रीटेक लेते हैं। उनके मामले में रीटेक तभी होते हैं, जब उनके सामने वाला आर्टिस्ट रीटेक ले।
‘सर आंखों पर’ में बुड्ढा बनकर जीत लिया था सभी का दिल
‘सर आंखों पर’ 1999 में आई थी। इस फिल्म में आशा पारेख भी थीं। यह एक्ट्रेस की आखिरी फिल्म थी, क्योंकि इसके बाद आशा पारेख ने एक्टिंग छोड़ दी थी। ‘सर आंखों पर’ में दिलीप जोशी ने ‘बुड्ढा’ बनकर आशा पारेख के साथ डांस किया और सबका दिल जीत लिया। इस फिल्म में उनके अलावा शाहरुख खान, शम्मी कपूर, मौसमी चटर्जी, दिव्या दत्ता, गुलशन ग्रोवर, फरीदा जलाल और आयशा जुल्का समेत 20 एक्टर्स थे।