विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अगर दुनिया में चीन की ताकत बढ़ रही है तो ये भी उतना ही बड़ा सच है कि भारत का प्रभाव भी बढ़ता जा रहा है। पत्रकार लायनेल बार्बर के साथ बातचीत के दौरान जयशंकर बोले- भारत और चीन दो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैं। हम दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और जनसंख्या के हिसाब से हम सबसे आगे हैं।
लंदन में भारतीय हाई कमीशन की तरफ से आयोजित एक चर्चा में जयशंकर ने वैश्विक मामलों में भारत की पोजिशन पर बात की। इस चर्चा का विषय था- अरबों लोग दुनिया को कैसे देखते हैं।
कनाडा और खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के मामले पर बात करते हुए जयशंकर ने कहा- जब कनाडा में भारत के हाई कमीशन पर हमले हुए और डिप्लोमैट्स को धमकाया गया तब कनाडाई सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।
जयशंकर बोले- कनाडा में चरमपंथ बढ़ रहा
विदेश मंत्री ने आगे कहा- हम जांच से इनकार नहीं कर रहे हैं लेकिन कनाडा ने अब तक निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट्स के शामिल होने से जुड़े कोई सबूत नहीं दिए हैं। हमें लगता है कि कनाडा की राजनीति में हिंसा और चरमपंथ को जगह मिल रही है, जिससे भारत में अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा है।
जयशंकर ने कहा- हम एक लोकतांत्रिक देश हैं और कनाडा में भी लोकतंत्र है। ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी आती हैं। इस आजादी का गलत इस्तेमाल करना और ऐसा होने देना सही नहीं है। दुनिया में भारत के प्रभाव पर विदेश मंत्री ने कहा- सही मायने में भारत की वजह से वैश्विक महंगाई काबू में आ पाई है। हम इसके लिए धन्यवाद का इंतजार कर रहे हैं।
विदेश मंत्री ने कहा- भारत की वजह से दुनिया में महंगाई नहीं बढ़ी
जयशंकर बोले- हमने तेल खरीदने की अपनी पॉलिसी में बदलाव करके बाजार में महंगाई को कम किया है। दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग की वजह से तेल की बढ़ती कीमतों और महंगाई दर के बीच भारत ने रूस से सस्ते दामों में तेल खरीदकर कई यूरोपीय देशों को बेचा था।
जयशंकर ने बताया- जब तेल के दाम तेजी से ऊपर जा रहे थे, जब हमने उस जगह से तेल नहीं खरीदा जहां से यूरोपीय देश खरीद रहे थे। इससे डिमांड बैलेंस में रही और महंगाई पर काबू किया जा सका।
रूस से रिश्ते बनाए रखना चाहता है भारत
रूस-यूक्रेन जंग के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा- हमने सीखा है कि लोग आदर्शों की बात करते हैं, लेकिन अपने हितों को हमेशा ऊपर रखते हैं। जंग के मामले में हमारा एक बड़ा हित ये है कि हम रूस के साथ अपने रिश्तों को बनाए रखना चाहते हैं।
बता दें कि 24 फरवरी को शुरू हुई रूस-यूक्रेन जंग पर भारत का स्टैंड हमेशा न्यूट्रल रहा। भारत ने यूनाइटेड नेशन्स (UN) में भी रूसी हमले के खिलाफ बोलने के अमेरिकी और यूरोपीय दबाव को खारिज किया। इतना ही नहीं, इसके बाद रूस को अपना सबसे बड़ा ऑयल सप्लायर बनाया। अमेरिका दौरे से पहले PM मोदी ने कहा था कि हम इस जंग के मामलें में शांति के पक्ष में हैं।