सोमवार को महापर्व छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन है। रायपुर के महादेव घाट में छठ व्रतियों ने पूजन किया। बिहार की लोक परंपराओं के अनुसार बनाए जाने वाले ठेकुआ प्रसाद को एक दूसरे को बांटा। छठ पूजा करने वाले परिवारों ने महादेव घाट कार्यक्रम स्थल पर कुछ प्रसाद दान भी किया ताकि जिन घरों में छठ पूजा ना हुई हो उन तक भी यह प्रसाद पहुंच सके।
रविवार रात भर यहां भोजपुरी सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते रहे बिहार से आए कलाकारों ने भोजपुरी भजन प्रस्तुत किया। इससे पहले रविवार को कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी शामिल हो चुके हैं।
17 नवंबर से शुरू हुए छठ पूजा में पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन यानी कल (19 नवंबर) शाम का अर्घ्य सूर्य देवता को विधि-विधान से व्रती ने दिया। इसमें डूबते सूरज को अर्घ्य दिया गया।
खरना पूजा का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से ही छठ पूजा का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है, जो 36 घंटे तक चलता है। सोमवार को उगते सूर्य को व्रती अर्घ्य दे चुके है और इसी के साथ छठ का महापर्व संपन्न हुआ। छठ का पर्व संतान की प्राप्ति, उसके लंबी आयु, सुख-शांति के लिए किया जाता है। साथ ही ये प्रकृति से जुड़ा पर्व भी है।
सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है
-छठ पूजा में व्रती यदि ही विधि और श्रद्धा भाव से उगते सूरज को अर्घ्य दें तो छठी माता प्रसन्न होकर उनकी पूजा को स्वीकार कर लेती हैं। सदा अपनी कृपा बनाए रखती हैं।
-सूर्य पूजा के समय महिलाएं सूती साड़ी, वहीं पुरुष धोती पहनते हैं।
– इस पूरी पूजा में साफ-सफाई, शुद्धता का ख्याल खास तौर पर रखा जाता है।
-अर्घ्य देते समय कलश से गिरते हुए जल की धारा को देखकर भगवान सूर्य को प्रणाम किया जाता है।
-पूजा की सामग्री के साथ व्रती नदी, तालाब किनारे पहुंचते है। सूप में सभी पूजा की सामग्री रखी होती है। पानी में खड़े होकर सूप और जल से भरा कलश लेकर उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
-हाथों को ऊपर करके पूजा की सामग्री को सूरज भगवान, छठी मैया को अर्पित किया जाता है। मंत्र जाप करके जल से अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद सूर्य भगवान को नमस्कार करें। पानी में खड़े होकर ही 5 बार परिक्रमा करें। इसके बाद इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना की जाती है।