छत्तीसगढ़ में ईडी और आईटी तो एक्टिव हैं ही, चुनाव के तुरंत बाद सक्रिय हुए सेंट्रल जीएसटी ने ऐसे कारोबारियों पर फंदा कसा है, जिन्होंने बकाया टैक्स जमा या रिटर्न दाखिल नहीं किया है। ऐसे 6000 से ज्यादा कारोबारियों की पहचान कर उन्हें नोटिस दी जा रही है। एक साथ बड़ी संख्या में नोटिस जारी होने की वजह से व्यापारियों में हड़कंप हैं।
व्यापारी संगठनों का आरोप है कि पहले ही आचार संहिता के दौरान ई-वे बिल के नाम पर जमकर गाड़ियां रोकी गई हैं। इसके बाद अब नोटिस देकर परेशान किया जा रहा है। उधर, सेंट्रल जीएसटी अफसरों ने साफ किया कि जिन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं, उनमें या तो विवादिक हिसाब वाले कारोबारी हैं या फिर टैक्स-रिटर्न नहीं जमा करनेवाले। टैक्स नहीं देने वाले व्यापारियों को कुछ अरसा पहले रिमाइंडर भेजा था। उन्होंने जवाब नहीं दिया, इसलिए नोटिस भेज रहे हैं।
सेंट्रल जीएसटी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2017-2018 के विवादित मामलों के निराकरण के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया गया था। इसी तरह 2018-2019 के प्रकरणों के निराकरण के लिए दिसंबर 2023 और 2019-2020 के पेंडिंग मामले खत्म करने मार्च 2024 तक की डेडलाइन रखी गई है। सितंबर 2023 तक जिन मामलों का निराकरण नहीं हुआ उन्हें सबसे पहले नोटिस जारी की गई है। इनके अलावा जिन व्यापारियों की डेडलाइन दिसंबर 2023 है उन्हें बकाया टैक्स अदा करने रिमाइंडर भेजा जा रहा है। 2017-18 वाले कई मामले टैक्स चोरी वाले भी हैं, जिन्हें जुर्माने के साथ टैक्स अदा करना है। ऐसे व्यापारियों ने कुछ समय भी लिया था। इसके बावजूद टैक्स जमा नहीं किया।
चुनाव के दौरान नाकों पर जांच ने किया परेशान
चुनावी आचार संहिता की वजह से छापे कम मारे गए और जांच नाकों में सबसे ज्यादा गाड़ियां रोकी गई। व्यापारी संगठनों का आरोप है कि ई-वे बिल के नाम पर गाड़ियां जबर्दस्ती रोकी गई। कई यात्री बसों को रोकने की वजह से आम लोग भी नाराज हुए। विभाग ने पिछले महीने 5.53 करोड़ की इनपुट टैक्स क्रेडिट चोरी करने के मामले में रायपुर के एक कारोबारी को गिरफ्तार किया था। नवंबर में टैक्स चोरी के मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई हैै। संकेत मिले हैं कि दिसंबर में राज्य के कई जिलों में एक साथ छापेमारी की तैयारी है।
रायपुर-बिलासपुर में ट्रिब्यूनल
शहर के चार्टड एकाउंटेंट्स से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी से संबंधित प्रकरणों का निराकरण करने के लिए ट्रिब्यूनल गठन का आदेश जारी किया गया है। छत्तीसगढ़ यह ट्रिब्यूनल कोर्ट रायपुर और बिलासपुर में बनेगा। इसका नोटिफिकेशन जारी हो गया है। जल्द ही नया सेटअप और अपील का पूरा सिस्टम तैयार हो जाएगा। ट्रिब्यूनल के ज्यादातर काम ऑनलाइन ही होंगे। ट्रिब्यूनल में व्यापारी उन मामलों को ले जा सकते हैं, जिनके स्थानीय स्तर पर हुए निराकरण से वे संतुष्ट नहीं हों।
लोहा, कोयला, सीमेंट पर नजर
छत्तीसगढ़ में सेंट्रल जीएसटी को सबसे ज्यादा टैक्स लोहा, कोयला और सीमेंट के कारोबार से ही मिलता है। दावा किया जाता है कि छत्तीसगढ़ में जमा टैक्स की 60% रकम इन सेक्टरों से ही आती है। सेंट्रल जीएसटी को 2023-2024 में 16480 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली का लक्ष्य मिला है। इसमें 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर के बीच ही करीब 9000 करोड़ रुपए की आ चुके हैं। पिछले साल में अप्रैल से अक्टूबर तक 7882 करोड़ रुपए मिले थे। इस बार ज्यादा टैक्स मिलने की वजह से विभाग संतुष्ट है।