छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव-2023 की मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 3 दिसंबर को मतों की गिनती होगी। इससे पहले चुनाव ड्यूटी से नाम हटवाने वाले कर्मचारियों के मतदान न करने को लेकर पूर्व सीएम रमन सिंह ने सवाल उठाए हैं। क्योंकि ऐसे कर्मचारी 22 हजार से ज्यादा हैं। रमन ने CEO छत्तीसगढ़ को टैग कर ट्वीट किया है और इसे निर्वाचन प्रक्रिया में चूक बताया है।
उन्होंने लिखा- मतदान ड्यूटी में शामिल होने के बाद नाम हटवाने वाले कई कर्मचारी मतदान नहीं कर पाए हैं। इन अधिकारी-कर्मचारियों के लोकतंत्र की रक्षा के लिए मतदान पर फैसला लेने का निवेदन करता हूं। इस ट्वीट के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। ट्वीट के बाद आयोग के अधिकारी जिला निर्वाचन अधिकारियों से चर्चा करने की बात कह रहे हैं।
पहले चरण में 17 हजार से ज्यादा डाक मत जमा हुए
आयोग से मिले आंकड़ों के मुताबिक पहले चरण के चुनाव में 5300 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इन मतदान केंद्रों में 25 हजार 420 अधिकारी-कर्मचारियों को ड्यूटी करने के लिए चयनित किया गया था। इनमें से 21 हजार 216 अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। 4 हजार 204 लोगों को रिजर्व में रखा गया था। पहले चरण में 17 हजार 234 अधिकारी-कर्मचारियों ने डाक मत पत्र समय पर जमा किया।
22 हजार से ज्यादा डाक मतपत्र जमा नहीं हुए
दूसरे चरण के मतदान के दौरान 18 हजार 833 मतदान केंद्र बने थे। इस चरण में 90 हजार 272 अधिकारी-कर्मचारी चयनित किए गए थे। इनमें से 75 हजार 332 की ड्यूटी लगी थी। 14 हजार अधिकारी-कर्मचारियों को रिजर्व में रखा गया। इनमें से तय समय तक 71 हजार 427 लोगों ने डाक मत पत्र जमा किया है। बाकी लोगों का डाक मत पत्र अभी तक आयोग के पास नहीं पहुंचा है। इनकी संख्या 22 हजार से ज्यादा है।
बीजेपी नेताओं के अनुसार मतदान ना कर पाने वाले अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या आयोग के आंकड़ों से ज्यादा है। क्योंकि इसमें उन लोगों का नाम शामिल नहीं किया गया है, जिन्होंने किसी कारणवश अपना नाम ड्यूटी से हटवा लिया था।
क्या होता है डाक मत पत्र
इस व्यवस्था को उन मतदाताओं के लिए प्रयोग में लाया जाता है जो अलग-अलग वजहों से अपने क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप में वोट नहीं डाल पाते हैं। ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग इन मतदाताओं को डाक मत पत्र के जरिए वोट डालने की सुविधा उपलब्ध कराता है। अब डाक मतदान ई-डाक मतदान प्रणाली से भी होने लगा है। इसके साथ ही हर चुनाव में सबसे पहले डाक मत पत्रों की ही गिनती होती है।
इस व्यवस्था का उपयोग चुनाव ड्यूटी में सेवा देने वाले अधिकारी, सशस्त्र बलों के कर्मचारी, देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी, सेना अधिनियम-1950 के तहत आने वाले सभी सुरक्षा बल कर्मचारी करते हैं। 21 अक्टूबर, 2016 को भारत सरकार ने चुनाव नियामावली- 1961 के नियम 23 में संशोधन कर इस सेवा को अधिसूचना जारी कर शुरू किया था। इसके बाद ई-डाक के जरिए मतदान की सुविधा शुरू हुई।
काउंटिंग तक डाक मत पत्र किया जाता है मान्य
छत्तीसगढ़ निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया, कि डाक मत पत्र से संबंधित जो भी आंकड़ा सार्वजनिक किया गया है, वो आंकड़ा फाइनल नहीं है। डाक मत पत्र काउंटिंग डे की सुबह आठ बजे तक आयोग स्वीकार करता है। कई कर्मचारी पोस्ट ऑफिस के जरिए भी इसे भेजते हैं, इसलिए इस आंकड़े को अंतरिम कहा गया है।