राहत : स्वागत ​विहार में अवैध कब्जे की 225 एकड़ जमीन 15 साल बाद शासन ने ली, अब 3500 पीड़ितों को देंगे प्लॉट…!!

Spread the love

न्यू स्वागत विहार डूंडा की करीब 225 एकड़ जमीन 15 साल बाद प्रशासन ने वापस ले ली है। इस जमीन को बिल्डर ने अपने निजी प्रोजेक्ट में मिलाकर उसकी रजिस्ट्री भी करवा ली थी। बाद में यही जमीन 3500 से ज्यादा लोगों को प्लॉट काटकर बेच दी। निगम आयुक्त ने इस जमीन का खसरा नंबर सार्वजनिक किया है। जिन लोगों के पास इन खसरा नंबरों के प्लॉट की रजिस्ट्री है, उन्हें 6 से 8 अगस्त तक सामुदायिक भवन गुरुद्वारे के पास देवपुरी में दस्तावेज जमा करने होंगे। इसके लिए निर्धारित प्रारुप भी जारी किया गया है। इस फॉर्म में पूरे दस्तावेजों के साथ बताना होगा कि बिल्डर ने उन्हें सरकारी जमीन बेची है। दस्तावेजों की पूरी जांच के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा कि उन्हें जमीन का आवंटन किया जाए या नहीं? जो लोग तय समय में अपने दस्तावेज नहीं देंगे, उन्हें बाद में मौका नहीं दिया जाएगा।

2009-10 में न्यू स्वागत विहार प्रोजेक्ट में 225 एकड़ सरकारी जमीन को शामिल कर लिया गया था। इसमें नाले की जमीन भी शामिल थी। उस समय 5000 से ज्यादा लोगों ने इस प्रोजेक्ट में प्लॉट खरीदे थे। ज्यादातर लोगों को सरकारी जमीन बेची गई थी। इस टाउनशिप में बोरियाकला, डूंडा और सेजबहार की सरकारी जमीन थी।

जांच के बाद शासन ने टाउनशिप के पुराने ले-आउट को निरस्त कर नया ले-आउट तैयार कर लिया है। अब सरकारी जमीन की पहचान होने के बाद उसे वापस शासन के खाते में चढ़ा दिया गया है। लेकिन जिन लोगों को सरकारी जमीन बेची गई थी, उन्हें राहत देने के लिए सरकार ने फैसला लिया है कि उन्हें वही जमीन वापस की जाएगी। लेकिन इसके लिए उन्हें पूरे दस्तावेज देने होंगे।

आगे क्या: पहली बार लोग जमीन के मालिक बन सकेंगे
न्यू स्वागत विहार जमीन पर दावा-आपत्ति लेने के बाद निगम कमिश्नर उसका निराकरण करेंगे। सभी आपत्तियों को सुलझाने के बाद नए ले-आउट प्लान के साथ उसे नगर निवेश विभाग को भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद सरकारी जमीन उन लोगों को वापस की जाएगी, जिन्होंने वहां जमीन बिल्डर से खरीदी थी।

राज्य सरकार से रजिस्ट्री शुल्क पर फैसला आने के बाद उसकी रजिस्ट्री लोगों को कर दी जाएगी। यानी 15 साल बाद लोग खुद की खरीदी गई जमीन के मालिक बन सकेंगे। अभी जमीन पर विवाद होने की वजह से जिन लोगों ने बैंक लोन लिया है वो किस्त तो अदा कर रहे हैं, लेकिन अपनी जमीन आज तक एक ईंट भी नहीं रख पाए हैं।

पूरे प्रोजेक्ट में इस तरह के विवाद

  • सरकारी जमीन पर कब्जा कर जमीन बेची।
  • एक ही प्लॉट की रजिस्ट्री कई को की गई।
  • एग्रीमेंट से ही एक जमीन कई को बेच दी।
  • सरकारी नाले को पाटकर प्लाटिंग की गई।

अभी दावा-आपत्ति के लिए समय दिया गया है। दस्तावेज मिलने के बाद जांच की जाएगी। फिर ले-आउट अप्रूवल के लिए भेजेंगे। कोशिश है कि लोगों को जमीन जल्द वापस की जाए।
-अबिनाश मिश्रा, निगम आयुक्त

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *