छत्तीसगढ़ में रविवार को हरेली का त्यौहार मनाया जा रहा है। स्थानीय अंदाज में इसे कहा जाता है हरेली तिहार। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सरकारी आवास में विशेष आयोजन किया गया। यहां मुख्यमंत्री खुमरी पहने नजर आए। उनकी पत्नी कौशल्या साय भी पारंपरिक वेशभूषा में थीं। दोनों ने कृषि यंत्रों की पूजा की, पशुओं को चारा खिलाया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हाथ पर लड्डू चलाते नजर आए, हरेली पर कहां -क्या कुछ खास होता रहा देखिए इस रिपोर्ट में।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने निवास कार्यालय में परंपरागत रूप से छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली परिवार और आम लोगों के साथ मनाया। CM साय और उनकी पत्नी ने सबसे पहले विधिवत रूप से तुलसी माता, नांगर, कृषि उपकरणों, गेड़ी की पूजा कर अच्छी फसल, किसानों और प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की।
मुख्यमंत्री निवास को छत्तीसगढ़ी ग्रामीण परिवेश में ढालते हुए, पारंपरिक सजावट और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप सजाया गया है। इस मौके पर आयोजित हो रहे छत्तीसगढ़ी संगीत, लोकनृत्य, पारंपरिक गड़वा बाजा, राउत नाचा और गेड़ी नृत्य का भी विशेष आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर परंपरागत कृषि उपकरणों के स्टॉल भी लगाए गए हैं।
छत्तीसगढ़ की प्राचीन धरोहर की तस्वीर
- काठा : इस चित्र में सबसे बाएं दो गोलनुमा लकड़ी की संरचना दिख रही है, जिसे काठा कहा जाता है। पुराने समय में धान इसी से मापा जाता था। एक काठा में चार किलो धान आता है। काठा में ही नाप कर पहले मजदूरी के रूप में धान का भुगतान किया जाता था।
- खुमरी : सिर के लिए छाया प्रदान करने के लिए बांस की पतली पतली टुकड़ों से बनी, गुलाबी रंग से रंगी और कौड़ियों से सजी घेरेदार टोपी खुमरी कहलाती है। यह प्रायः गौ वंश चराने वाले चरवाहा मवेशी चराते समय अपने सिर पर पहनते हैं।
- कांसी की डोरी : खुमरी के बगल में डोरी का गोलनुमा गुच्छा कांसी पौधे के तने से बनी डोरी है। यह पहले चारपाई या खटिया में उपयोग होने वाले निवार के रूप में प्रयोग किया जाता था।
- झांपी : चित्र के सबसे दाएं तरफ ढक्कन युक्त लकड़ी की गोलनुमा बड़ी संरचना झाँपी कहलाती है। यह पुराने जमाने में छत्तीसगढ़ में बैग या पेटी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता था।
- कलारी : बांस के डंडे के छोर पर लोहे का नुकीली हुक लगा हुआ वस्तु कलारी कहलाता है। यह प्रायः धान मिंजाई के दौरान उपयोग में लाया जाता था। यह धान को मिंजते समय धान को उलटने पलटने के काम आता था
छत्तीसगढ़ी पकवान की महक
CM हाउस में आने वालों के स्वागत के लिए ठेठरी, खुरमी, पीडिया, गुलगुला भजिया, चीला जैसे पकवान बनाए गए हैं। हरेली तिहार का आरंभ सावन महीने की अमावस्या से होता है। यह त्योहार मानसून के मौसम के आगमन का प्रतीक है, जो खेती के लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है। हरेली का त्यौहार का संबंध कृषि से जुड़ा है इस दिन खेतों में बोनी पूर्ण होने के बाद अच्छी फसल की आस में कृषि यंत्रों की पूजा की जाती है।
हरेली त्यौहार में स्वच्छता का भी महत्व है गांवों में विशेष सफाई और सजावट की जाती है। घरों के आंगनों और खेतों में नीम के पत्तों, आम की पत्तियों और गोबर से अल्पना बनाई जाती है, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ में हरेली का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
गांव में बच्चे त्योहारों को आनंद गेड़ी चढ़कर लेते हैं। बच्चे से लेकर बूढ़े तक गेड़ी दौड़ में शामिल होते हैं। इस दिन खेती-किसानी में सहयोग देने वाले पशुओं विशेष रूप से गाय, बैल की पूजा की भी पूजा की जाती है। घरों में इस दिन छत्तीसगढ़ी पकवान बनाए जाते हैं।
किसानों को अनुदान पर 1600 ट्रैक्टर दिए जाएंगे
छत्तीसगढ़ के किसानों को उन्नत कृषि यंत्र की सौगात भी दी गई। किसानों को कृषि यंत्रीकरण मिशन के तहत 20 ट्रैक्टर एवं एक हारर्वेस्टर का वितरण भी किया जाएगा। कृषि यंत्रीकरण मिशन के तहत राज्य के 1600 किसानों को ट्रैक्टर दिए जाने का लक्ष्य है।