राजधानी रायपुर के पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में बच्चा बदलने का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। जुड़वा बच्चों के माता-पिता की याचिका को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन, रायपुर एसपी व अस्पताल प्रबंधन के दो डॉक्टरों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
दरअसल, जगदलपुर के बड़े बचेली निवासी अशोक सिंह व उनकी पत्नी उषा सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया कि उनकी दो बेटियां हैं। कुछ साल पहले बेटे की मौत हो गई थी। पत्नी उषा सिंह के कहने पर उन्होंने रायपुर के पहजलानी टेस्ट ट्यूब सेंटर में 27 अक्टूबर 2022 को आइवीएफ तकनीक के जरिए ट्रीटमेंट शुरू कराया। 6 सप्ताह बाद 8 दिसंबर 2022 को गर्भपात हो गया। बताया गया कि शारीरिक कमजोरी के कारण ऐसा हुआ है। हास्पिटल प्रबंधन ने दूसरी बार फिर से 24 अप्रैल 2023 को प्रक्रिया शुरू की। जिसके बाद वो नियमित जांच कराते रहे। दिसंबर 2023 में पत्नी की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें लेकर रायपुर पहुंचे और सेंटर में भर्ती कराया। अस्पताल में उषा सिंह को आपरेशन थिएटर ले जाया गया, जिसके बाद जब उसे बाहर निकाला गया तो पत्नी को बताया गया कि एक बेटा और एक बेटी हुई है। इसके कुछ समय बाद अस्पताल स्टाफ ने मां को जुड़वां बच्ची लाकर सौंप दिया।
बच्चा बदलने का आरोप
जिसके बाद उन्होंने जुड़वा बच्चियों को देखकर हैरानी जताई, क्योंकि उन्हें एक बेटा और एक बेटी होने की जानकारी दी गई थी। इस पर परिजनों ने अस्पताल में बच्चा बदलने का आरोप लगाया, जिसकी शिकायत उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से की। लेकिन, प्रबंधन ने उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया।
मैच नहीं हुआ एक बच्ची का DNA
इस दौरान उन्होंने अस्पताल स्टाफ पर बच्चा बदलने की आशंका जताई। शक के आधार पर ही उन्होंने DNA टेस्ट कराने का फैसला लिया। इसके लिए प्राइवेट लैब से संपर्क किया। उनकी वैन पहलाजानी टेस्ट ट्यूब सेंटर पहुंची, जहां दोनों बच्चों का सैंपल लिया गया। जांच के बाद एक बच्ची की DNA रिपोर्ट 90% मैच हुई। जबकि, दूसरे की मैचिंग जीरो थी।
बच्चा दिलाने और धोखेबाज डॉक्टरों पर एफआईआर की मांग
याचिकाकर्ता पति-पत्नी ने याचिका में अपने बेटे को अस्पताल प्रबंधन से वापस दिलाने की मांग की है। इसके साथ ही धोखेबाजी में शामिल दो डाक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया गया है। याचिका में DNA रिपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं। मां-पिता की याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य शासन, रायपुर एसपी व अस्पताल प्रबंधन के साथ ही स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. नीरजा पहलाजानी व डा. समीर पहलाजानी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।