पीएम मोदी ने कहा- बात हुई लेकिन अमेरिका के बयान से बांग्लादेश ग़ायब क्यों, छिड़ी बहस

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दोनों देशों के बयानों में सिर्फ़ एक फ़र्क़ ये रहा कि भारत की ओर से बताया गया कि मोदी-बाइडन के बीच बांग्लादेश के मुद्दे पर भी बात हुई. वहीं अमेरिकी व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में बांग्लादेश का नाम तक नहीं दिखा. भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक़, दोनों नेताओं ने बांग्लादेश के मुद्दे पर चिंता ज़ाहिर की और क़ानून व्यवस्था के फिर से स्थापित होने पर ज़ोर दिया ताकि अल्पसंख्यकों ख़ासकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनश्चित की जा सके. अब इस मुद्दे पर ये चर्चा हो रही है कि आख़िर अमेरिका के बयान में बांग्लादेश का ज़िक्र क्यों नहीं है? भारत से लेकर बांग्लादेश तक इस मुद्दे पर प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है. इसके लेकर काफ़ी बहस हो रही है कि भारत ने जो बात कही, उस पर अमेरिका चुप क्यों रहा?

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सलाहकार कंचन गुप्ता ने इसका जवाब देते हुए लिखा, ”बाइडन, मोदी की बातचीत को पवन खेड़ा ग़लत तरीक़े से पेश कर रहे हैं. भारत सरकार की प्रेस रिलीज़ में कही गई हर बात पर चर्चा हुई. इसमें बांग्लादेश के हालात पर हुई चर्चा भी शामिल है. भारत सरकार का बयान बातचीत को सही ढंग से पेश करता है. ये आम चलन है कि बातचीत के बाद दो देश अलग-अलग बयान जारी करते हैं. जिन मुद्दों पर बात हुई, उनमें से कुछ का ज़िक्र बयान में हो सकता है और कुछ का नहीं.’  उन्होंने कहा, ”जब साझा प्रेस रिलीज़ या बयान जारी होता है तभी दोनों के बयान एक जैसे हो सकते हैं. किसी एक प्रेस रिलीज़ में कोई बात नहीं है तो उस पर चर्चा ही नहीं हुई- ये कहना ग़लत है.’ पूर्व विदेश सचिव और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार कंवल सिब्बल ने इस ट्वीट को साझा करते हुए लिखा, ”अगर किसी को कूटनीति से जुड़ी परंपराओं की जानकारी नहीं है तो बेहतर है वो चुप रहे. ऐसा नहीं है कि भारत और अमेरिका की प्रेस रिलीज़ में फ़र्क़ को सिर्फ़ भारत में ही नोटिस किया गया. बांग्लादेश में भी मुख्य विपक्षी दल बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा ज़िया की बीएनपी के सोशल मीडिया हैंडल्स की ओर से दोनों देशों के बयान को एक साथ साझा किया गया और लिखा गया- दो आधिकारिक बयान एक-दूसरे के साथ-साथ.

पत्रकार आदित्य राज कौल ने इस ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा, ” बांग्लादेश में हिंदुओं पर भारतीय पीएम के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की हुई बातचीत को अमेरिका ने अपने बयान में जगह नहीं दी तो ख़ालिदा की पार्टी कटाक्ष कर रही है. एक तरह से बांग्लादेश की एक बड़ी राजनीतिक पार्टी अल्पसंख्यकों का मखौल उड़ा रही है. शर्मनाक. पांच अगस्त को जब शेख़ हसीना के हाथ से सत्ता चली गई थी, उसके बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा पर बहस हो रही है.

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