सीनियर अफसर का दावा: महिला COs पर ईगो और निर्णय क्षमता को लेकर सवाल, ट्रेनिंग में अंतर बना

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भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने महिला कमांडिंग अफसरों (COs) के कामकाज की समीक्षा के बाद दावा किया है कि वे अक्सर जरूरत से ज्यादा शिकायत करती हैं। यह रिपोर्ट 26 नवंबर को मीडिया में सामने आई है।

बताया गया है कि यह रिपोर्ट लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी ने तैयार की है, जिन्होंने 17 कॉर्प्स में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद इसे 1 अक्टूबर को ईस्टर्न कमांड के कमांडर-इन-चीफ को एक पत्र के माध्यम से भेजा था।

इस रिपोर्ट में महिला COs के व्यवहार पर सवाल उठाए गए हैं, जिसमें ईगो प्रॉब्लम, निर्णय लेने की प्रक्रिया में मनमानी, और जूनियर्स के साथ ‘टॉक्सिक’ रवैये का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, महिला COs छोटी-छोटी बातों पर सेलिब्रेशन करती हैं और अपने आदेशों को चुनौती मानने की प्रवृत्ति रखती हैं।

रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद सेना के भीतर और बाहर इस पर चर्चा तेज हो गई है। रिपोर्ट में महिला कमांडर्स के व्यवहार और लीडरशिप स्टाइल पर 5 प्रमुख टिप्पणियां की गई हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, महिला COs के कामकाज पर फीडबैक निम्नलिखित हैं:

  1. कम संवेदनशीलता: महिला COs अपने अधीनस्थ अधिकारियों और जवानों के प्रति कम संवेदनशील होती हैं और अक्सर अपने निर्णय अकेले लेती हैं।
  2. जूनियर्स के लिए अनुचित व्यवहार: रिपोर्ट में एक उदाहरण देते हुए कहा गया है कि एक महिला कमांडर ने अपने सूबेदार मेजर (SM) को हमेशा उनकी गाड़ी का दरवाजा खोलने का आदेश दिया।
  3. जूनियर्स के श्रेय का दावा: महिला COs अक्सर अपने अधीनस्थों के काम का श्रेय लेती हैं, जिससे यूनिट का माहौल खराब होता है।
  4. ट्रेनिंग में अंतर: महिलाओं को पुरुषों जैसी कठोर ट्रेनिंग नहीं मिलती, जिससे उन्हें जूनियर्स की समस्याओं को समझने में दिक्कत होती है।
  5. जेंडर न्यूट्रैलिटी पर जोर: रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि महिलाओं को भेदभाव रहित जिम्मेदारियां और पावर दी जानी चाहिए, बजाय केवल समान अधिकार देने के।

लेफ्टिनेंट जनरल पुरी, जिन्हें 2022 में राष्ट्रपति द्वारा अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था, ने इस रिपोर्ट में महिला नेतृत्व की कमियों को सुधारने के उपायों की भी सिफारिश की है।

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