इमरान हसीब, जो बिहार के गोपालगंज से हैं, ने BPSC 69वीं परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल की है और अब वे बिहार सरकार में डिस्ट्रिक्ट एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर के रूप में अपनी सेवाएं देंगे।
इमरान के माता-पिता ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं रखी, हालांकि वे खुद केवल 10वीं पास थे और उनकी मां ने कभी स्कूल नहीं किया। इमरान की तीन बड़ी बहनें मास्टर्स तक पढ़ी हैं, और उनका बड़ा भाई जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्नातक हैं।
इमरान ने गोपालगंज में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 11वीं की पढ़ाई की। दिल्ली विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में स्नातक करने के बाद, उन्होंने महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप के लिए चयनित होकर सिविल सर्विसेज की दिशा में कदम बढ़ाया।
BPSC की तैयारी के दौरान इमरान ने एंथ्रोपोलॉजी को ऑप्शनल विषय के रूप में चुना, क्योंकि यह विषय न केवल उन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को समझने में मदद करता था, बल्कि इसमें वे उन यूनिक दृष्टिकोणों को भी विकसित कर सकते थे, जो सिविल सर्विसेज के लिए आवश्यक होते हैं।
इमरान का मानना था कि एंथ्रोपोलॉजी एक स्थिर विषय है जिसमें कम करंट अफेयर्स होते हैं, और यह सिविल सर्विसेज परीक्षा के लिए स्कोरिंग भी है। इसके अलावा, उन्होंने अपने फेलोशिप अनुभव का उपयोग करते हुए जिले में स्किल डेवलपमेंट और रोजगार के अवसरों पर काम किया।
BPSC के इंटरव्यू में इमरान से विभिन्न सामान्य ज्ञान सवाल भी पूछे गए, जैसे बिहार के थानों की संख्या और राज्य के क्षेत्रफल के बारे में। इमरान ने इन सवालों का संयम के साथ उत्तर दिया और इस अनुभव को उन्होंने अपनी सफलता की दिशा में एक अहम कदम बताया।