राजधानी रायपुर में हाल ही में एक नए ठगी के पैटर्न का खुलासा हुआ है, जहां मोबाइल चोरी करने के बाद ठग उसका इस्तेमाल ऑनलाइन बैंक ट्रांजेक्शन करने के लिए करते हैं। एक रिटायर बैंक अधिकारी दिनेश पांडेय के मोबाइल चोरी होने के दो दिन बाद उनके खाते से 1.72 लाख रुपए निकाल लिए गए। पुलिस जांच में यह सामने आया कि चोरी हुए मोबाइल से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किया गया था, और पैसे दूसरे राज्यों के खातों में ट्रांसफर किए गए थे।
यह पहला मामला नहीं है; एक दर्जन से ज्यादा लोग इसी पैटर्न से ठगी का शिकार हो चुके हैं। अब साइबर सेल ने इन मामलों की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का मानना है कि एक गिरोह मोबाइल चोरी कर उसके जरिए बैंक खातों में सेंध लगा रहा है। इस प्रकार की ठगी से बचने के लिए पुलिस और बैंक प्रशासन ने लोगों को चेतावनी दी है कि मोबाइल चोरी होने या गुम होने पर तुरंत सिम ब्लॉक कराएं और बैंक को सूचित करें।
इस नए ठगी के तरीके में गिरोह के सदस्य भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मोबाइल चोरी करते हैं और फिर उसमें मौजूद ई-वॉलेट ऐप्स जैसे पेटीएम, फोन-पे या गूगल पे से पैसे ट्रांसफर करते हैं। यदि मोबाइल पर लॉक या पासवर्ड होता है तो वे उसे क्रैक करने की कोशिश करते हैं। पुलिस के अनुसार अब यह ठगी का तरीका स्थानीय पॉकेटमारों द्वारा भी अपनाया जा रहा है, जो पहले चोरी किए गए मोबाइल को ठग गिरोह को बेचते हैं और फिर उनका इस्तेमाल ठगी के लिए किया जाता है।