राजधानी के व्यस्त बाजारों में मोबाइल चोरी की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं, और चोरों द्वारा इन मोबाइलों का दुरुपयोग भी हो रहा है। इसके बावजूद, चोरी की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पुलिस थाने में सिर्फ गुमशुदगी का फार्म भरवाया जा रहा है। जब लोग चोरी की शिकायत लेकर थाने पहुंचते हैं, तो उन्हें गुम मोबाइल का फार्म थमा दिया जाता है और उनसे यह कहा जाता है कि इस फार्म को भरकर नई सिम प्राप्त करें।
थाने में बैठे पुलिसकर्मी भी यह नहीं जांचते कि चोरी हुआ मोबाइल किसी अन्य सिम में तो नहीं चला रहा। इस लापरवाही का परिणाम यह हो रहा है कि चोरी के बाद मोबाइल का गलत इस्तेमाल हो रहा है। शहर के आधे दर्जन थानों में मोबाइल चोरी और पॉकेटमारी की शिकायतों के बावजूद कोई भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई, और केवल गुम मोबाइल का फार्म भरने के लिए कहा गया।
पुलिस का कहना है कि काम का दबाव और कम स्टाफ के कारण मोबाइल चोरी की जांच बंद कर दी गई है। ठगों को इस बात का पूरी जानकारी है, जिस कारण वे चोरी किए गए मोबाइल के जरिए पीड़ितों के खातों में सेंधमारी कर रहे हैं।
राजधानी में प्रतिदिन औसतन 50 मोबाइल चोरी हो रहे हैं, और पुलिस सिर्फ कुछ चुनिंदा मामलों में ही कार्रवाई करती है। इन चोरी के मोबाइलों की कुल कीमत हजारों में पहुंचती है, लेकिन पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण चोरी का कोई ठोस समाधान नहीं निकल पा रहा है।