CGPSC के पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी से जुड़े मामले में लगातार बड़े खुलासे हो रहे हैं। 2019 से 2022 के बीच हुई भर्ती में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप में वे जेल में हैं। इस बीच, दैनिक भास्कर ने सोनवानी की संपत्ति निवेश की जांच की, जिसके तहत पता चला कि सोनवानी और उनके परिवार के सदस्य रायपुर, धमतरी और सरगुजा में 50 एकड़ से अधिक ज़मीन के मालिक हैं।
सोनवानी ने अपने 3 साल 3 महीने के कार्यकाल (2 जुलाई 2020 से 8 सितंबर 2023 तक) में संपत्ति में काफी निवेश किया। मैनपाट के उरंगा गांव में बेटे के नाम पर 5 एकड़ ज़मीन खरीदी, जिसमें एक रिसॉर्ट बनवाया। इस रिसॉर्ट के निर्माण के लिए मज़दूरों को सरबदा से मैनपाट भेजा गया था।
उन्होंने पत्नी डॉ. पद्मिनी, बेटे अभिषेक और बेटी डॉ. कृति के नाम पर रायपुर, धमतरी और सरगुजा में कई ज़मीनें खरीदीं। सीबीआई ने सोनवानी के साथ बजरंग पॉवर एंड इस्पात के चेयरमैन एसके गोयल को भी 18 नवंबर को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने डिप्टी कलेक्टर के पद पर अपने बेटे और बहू की नियुक्ति के लिए सोनवानी की पत्नी के एनजीओ को 45 लाख रुपये दिए थे।
सीबीआई ने भुईंया सॉफ़्टवेयर के जरिए सोनवानी की संपत्ति की जानकारी जुटाई और पाया कि उन्होंने सरबदा में 20 से 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से ज़मीनें खरीदीं। सोनवानी के परिवार के नाम पर 44 से अधिक संपत्तियां हैं।
इसके अलावा, अब सीबीआई के रडार पर दो और नाम हैं: पूर्व पीएससी सचिव जीवन किशोर ध्रुव (जो 2021 में पीएससी के लिए बेटे का चयन होने के बाद 2024 में पद से हटाए गए थे) और राज्य प्रशासनिक सेवा की तत्कालीन पीएससी परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक (जो 2024 में बस्तर में पदस्थ की गईं)।
सीबीआई इन तीनों के आपसी संबंधों की जांच कर रही है, क्योंकि पीएससी की मुख्य परीक्षा, प्रश्न पत्र छपवाना, इंटरव्यू पैनल तय करना और रिजल्ट जारी करने जैसी जिम्मेदारियों का सीधा संबंध अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक से है। सीबीआई के सूत्रों के अनुसार, इनके अलावा भी कई अन्य कर्मचारी जांच के दायरे में हैं।
सोनवानी और गोयल ने मिलकर स्कूल बनाने के लिए 45 लाख रुपये लिए थे। गोयल के पैसे से सोनवानी ने अपने पैतृक गांव में स्कूल का निर्माण किया था।