सड़क पर जानवरों को लेकर हाई कोर्ट सख्त, शासन से मांगी रिपोर्ट…!

Spread the love

छत्तीसगढ़ में आवारा मवेशियों की समस्या को लेकर उच्च न्यायालय ने शासन को सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं। इस मामले में सुनवाई करते हुए, चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने शासन से जानकारी मांगी कि उसने कोर्ट के पूर्व आदेशों का पालन किया है या नहीं। न्यायालय ने यह भी पूछा कि इस समस्या का समाधान करने के लिए जो एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार की जा रही थी, उसका क्या हाल है।

 

 

समस्या की गंभीरता और शासन का जवाब

छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा आम समस्या बन चुकी है। यह न केवल सड़क दुर्घटनाओं के कारण जान और माल की हानि का कारण बनता है, बल्कि इससे यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि इस समस्या को हल करने के लिए जो मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है, उसका ड्राफ्ट अभी अंतिम रूप में नहीं आ पाया है। उन्होंने कोर्ट से 15 दिनों का और समय मांगा ताकि एसओपी को पूरी तरह से तैयार किया जा सके।

कोर्ट का निर्देश और आगामी सुनवाई

हाई कोर्ट ने शासन के अनुरोध को स्वीकार करते हुए, मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी 2025 को तय की है। कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि 23 अक्टूबर 2024 को दिए गए आदेश के पालन में, राज्य के मुख्य सचिव को यह बताना होगा कि सरकार ने राजमार्गों और सड़कों पर आवारा मवेशियों की समस्या को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं। इसके अलावा, रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा के संभागीय आयुक्तों द्वारा किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की जानी थी।

गठित समिति की रिपोर्ट की स्थिति

सुनवाई के दौरान यह भी पता चला कि सरकार ने अन्य राज्यों में लागू किए गए तंत्र और उनकी प्रभावशीलता का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित की थी, लेकिन उस समिति की रिपोर्ट अभी तक कोर्ट में पेश नहीं की गई। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह इस रिपोर्ट को जल्द से जल्द प्रस्तुत करें और इस पर भी जवाब दें कि क्यों यह रिपोर्ट अब तक पेश नहीं की गई।

सरकार को निर्देश: मवेशियों की समस्या का समाधान जल्द हो

इस मामले में कोर्ट ने शासन और संबंधित विभागों को यह निर्देश दिए कि वे आवारा मवेशियों की समस्या का समाधान करने के लिए एक प्रभावी कार्य योजना तैयार करें। इसके साथ ही, कोर्ट ने मामले पर लगातार नजर बनाए रखने का आदेश दिया है ताकि इस दिशा में कोई महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सके।

 

 

सर्वेक्षण रिपोर्ट और समाधान के उपाय

राज्य सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। सर्वेक्षण रिपोर्ट में जो प्रमुख बिंदु शामिल हैं, उनके अनुसार, राज्य के सभी जिलों में आवारा पशुओं की समस्या को सुलझाने के लिए ग्राम पंचायतों और नगर निगमों के साथ मिलकर कई बैठकें आयोजित की गई हैं। इन बैठकों में पशु मालिकों को भी शामिल किया गया है ताकि वे जिम्मेदार बनें और अपने जानवरों को सड़कों पर न छोड़ें।

साथ ही, सड़कों के किनारे आवारा पशुओं के विश्राम के लिए विशेष स्थानों का निर्धारण भी किया गया है। इन स्थानों की सफाई और समतलीकरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है ताकि पशुओं के लिए सुरक्षित और साफ स्थान प्रदान किया जा सके। इस प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

ग्राम पंचायतों और नगर निगमों की भूमिका

आवारा मवेशियों की समस्या को हल करने के लिए राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों और नगर निकायों को जिम्मेदारी दी है। इन पंचायतों और निकायों के साथ मिलकर स्थानीय स्तर पर मवेशियों की देखभाल और उनके आवास स्थानों की व्यवस्था की जा रही है। यह कदम स्थानीय प्रशासन और समुदाय के सहयोग से इस समस्या को हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

समाधान के दिशा में आवश्यक कदम

हाई कोर्ट के आदेश और राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद, आवारा मवेशियों की समस्या को पूरी तरह से खत्म करना आसान नहीं है। इसके लिए सरकार को विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना होगा, जैसे कि मवेशियों के मालिकों को जिम्मेदार ठहराना, सड़क किनारे विशेष स्थानों का निर्माण करना, और लोगों को इस समस्या के प्रति जागरूक करना।

साथ ही, यह भी जरूरी है कि सरकारी एजेंसियां मवेशियों के लिए बेहतर जगह उपलब्ध कराएं, ताकि वे सड़क पर न आकर निर्धारित स्थानों पर आराम करें। इसके अलावा, लोगों को यह समझाना होगा कि मवेशियों को सड़कों पर छोड़ने से सिर्फ उनका ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों का भी जीवन खतरे में पड़ता है।

सामाजिक सहयोग की आवश्यकता

आवारा मवेशियों की समस्या का समाधान केवल सरकारी प्रयासों से नहीं हो सकता। इसके लिए समाज के हर वर्ग का सहयोग जरूरी है। लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि मवेशियों को सड़क पर छोड़ने से केवल उनकी ही नहीं, बल्कि दूसरों की भी जान खतरे में पड़ती है। अगर यह समस्या हल नहीं होती है, तो इसका असर सड़कों पर आवागमन करने वाले लोगों पर भी पड़ेगा।

हाई कोर्ट का यह कदम निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण पहल है, जो छत्तीसगढ़ में आवारा मवेशियों की समस्या के समाधान की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, इसे पूरी तरह से हल करने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। इसके लिए सभी को जिम्मेदारी का अहसास करना होगा और इसे एक सामाजिक मुद्दा समझकर सुलझाने के प्रयास करने होंगे।

मुख्य बिंदु:

  1. हाई कोर्ट ने शासन से आवारा मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी।
  2. एसओपी का ड्राफ्ट अभी अंतिम रूप में तैयार नहीं हो सका, शासन को 15 दिन का समय।
  3. सर्वेक्षण रिपोर्ट में ग्राम पंचायतों और नगर निकायों द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख।
  4. मवेशियों के लिए विशेष स्थान चिह्नित किए गए और उनकी सफाई व समतलीकरण की प्रक्रिया जारी।
  5. अन्य राज्यों में अपनाए गए तंत्र की रिपोर्ट अभी तक पेश नहीं की गई।
  6. शासन को आवारा मवेशियों की समस्या को रोकने के लिए प्रभावी कार्य योजना तैयार करने का निर्देश।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *