डब्ल्यू 52 सट्टेबाजी रैकेट: फर्जी बैंकों से सट्टा लेन-देन, बैंकों की भूमिका पर सवाल…!

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अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पुलिस ने एक बड़े ऑनलाइन सट्टा रैकेट का खुलासा किया है, जो देशभर के विभिन्न बैंकों की शाखाओं में फर्जी खाते खोलकर करोड़ों रुपये की सट्टा रकम का लेन-देन कर रहा था। इस गिरोह के मुख्य आरोपी सुधीर गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि उसके चार अन्य सहयोगी पहले ही पुलिस गिरफ्त में आ चुके हैं। इस गिरोह के जरिए कई बैंक खातों का फर्जीवाड़ा किया गया था, और बैंकों से अब इस मामले में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने का इंतजार किया जा रहा है, जिससे कई राज खुल सकते हैं।

फर्जी खातों का नेटवर्क और ऑनलाइन सट्टा

सुधीर गुप्ता और उसके सहयोगियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित 15 बैंकों की शाखाओं में फर्जी खाते खोले थे। इन खातों के माध्यम से ऑनलाइन सट्टे का लेन-देन किया जाता था। विशेष रूप से बैंक ऑफ महाराष्ट्र से ही 15 करोड़ रुपये के लेन-देन का पता चला है। हालांकि, बाकी 14 बैंकों के बारे में अभी जानकारी नहीं मिली है। पुलिस अब उन बैंकों से जानकारी प्राप्त करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है, जिससे यह मामला और भी गहराई में जा सकता है।

इस रैकेट में सुधीर गुप्ता और उसके साथी बैंकों में फर्जी तरीके से खातों का संचालन कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने आधार कार्ड, वोटर कार्ड, स्मार्टफोन नंबर, और अन्य दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। इन दस्तावेजों के आधार पर बैंकों में खाता खोला जाता था, और फिर इन खातों के जरिए सट्टा की रकम का आदान-प्रदान किया जाता था।

 

 

सुधीर गुप्ता की गिरफ्तारी और पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने सुधीर गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन इससे पहले वह गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गया था। हालांकि, उसके चार अन्य सहयोगी पहले ही पकड़े जा चुके थे। पुलिस ने इस मामले में सुधीर गुप्ता से गहन पूछताछ की है और उसने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं।

इस गिरोह का मास्टर माइंड सुधीर गुप्ता सोमवार की रात को यह सोचकर घर वापस लौट आया था कि उसके गिरफ्तार सहयोगियों को जमानत मिल जाएगी। इसी बीच पुलिस ने उस पर दबिश डाली और उसे गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के बाद उसके पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं, जिनमें पासबुक, चेक बुक, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड और मोबाइल सिम शामिल हैं। इनका इस्तेमाल सट्टे का लेन-देन और धोखाधड़ी के लिए किया जाता था।

फर्जी तरीके से खोले गए बैंक खाते

गिरोह के सदस्य देशभर के विभिन्न बैंकों की शाखाओं में फर्जी खाते खोलने में माहिर थे। इसके लिए उन्होंने अन्य लोगों के नाम का आधार कार्ड, मोबाइल नंबर आदि लेकर खाते खोले थे। इनमें से कुछ खातों के बारे में जानकारी बिना व्यक्तियों की अनुमति के ली गई थी, जबकि कुछ लोगों ने अपने खातों को आरोपितों को कमिशन के बदले में उपयोग करने दिया था।

इन फर्जी खातों का इस्तेमाल न केवल ऑनलाइन सट्टे के लिए किया गया, बल्कि कई बैंकों से बड़ी रकम का लेन-देन भी किया गया। पुलिस अब इन फर्जी खातों से जुड़ी जानकारी जुटाने में लगी है, ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके।

बैंकों से जानकारी का इंतजार

इस मामले में सरगुजा पुलिस ने 14 बैंकों को पत्र भेजकर उनसे इस बारे में जानकारी मांगी है। बैंकों की शाखाओं में जिन खातों में सट्टे के पैसे का लेन-देन हुआ है, उनकी जानकारी पुलिस को प्राप्त होनी बाकी है। नगर निरीक्षक मनीष सिंह परिहार के अनुसार, बैंकों से जानकारी मिलने में थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि बैंकों को खातों के लेन-देन के बारे में अपनी शाखाओं से जानकारी एकत्र करनी होगी।

पुलिस को उम्मीद है कि इन बैंकों से मिलने वाली जानकारी से यह खुलासा हो सकता है कि इस धोखाधड़ी में कितने खातों का इस्तेमाल हुआ और इन खातों में कितनी रकम का लेन-देन हुआ।

बैंकों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

इस पूरे प्रकरण में बैंकों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बैंकों के द्वारा इतने बड़े पैमाने पर फर्जी खाता खोलने की अनुमति देने पर जांच की जा रही है। क्या बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत थी, या फिर उनके द्वारा लापरवाही बरती गई थी? यह सवाल भी जांच के दायरे में हैं।

पुलिस ने सभी बैंकों से यह जानकारी मांगी है कि उनके यहां फर्जी खाते किस तरह खोले गए और इन खातों से लेन-देन कैसे हुआ। इसके बाद पुलिस ने यह भी कहा है कि बैंकों के कर्मचारियों की लापरवाही या मिलीभगत का पता लगाने के लिए गहरी जांच की जाएगी।

 

मामले की गंभीरता और आगे की जांच

सुधीर गुप्ता के गिरोह की यह धोखाधड़ी इतनी संगीन है कि यह पूरे देश के बैंकिंग सिस्टम को सवालों के घेरे में डालती है। बैंकों में खुले फर्जी खाते और उनके माध्यम से हो रहा ऑनलाइन सट्टा कर्जदाताओं, बैंकों और आम जनता के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन गया है।

पुलिस का कहना है कि इस मामले में कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं, और आगे की जांच से कई और राज भी खुल सकते हैं। इसके साथ ही बैंकों को भी अपनी जांच प्रक्रियाओं को और अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाने की जरूरत है।

समाप्ति और आगामी कार्रवाई

पुलिस इस मामले में पूरी सच्चाई का पता लगाने के लिए अपने प्रयास जारी रखे हुए है। आने वाले दिनों में बैंकों से प्राप्त जानकारी से यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस धोखाधड़ी में कितने लोग शामिल थे और किस स्तर तक यह सट्टा रैकेट फैल चुका था। पुलिस ने इस गिरोह के नेटवर्क को पूरी तरह से नष्ट करने का संकल्प लिया है।

अभी बैंकों से जानकारी मिलने का इंतजार है, जो इस मामले में नए खुलासे कर सकती है।

 

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