छत्तीसगढ़ में इस बार नगरीय निकाय चुनाव ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। इस संबंध में राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए मतपत्र का प्रावधान हटाकर ईवीएम का संशोधित नियम लागू किया गया है।
चुनाव आयोग ने अब तैयारी शुरू कर दी है, और 18 जनवरी के बाद कभी भी चुनाव तारीखों का ऐलान हो सकता है।
ईवीएम पर वापसी और बदलाव
2019 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दौरान बैलेट पेपर से नगरीय निकाय चुनाव हुए थे। इससे पहले, 2014 में चुनाव ईवीएम के जरिए हुए थे। अब राज्य सरकार ने ईवीएम के प्रावधान को फिर से लागू कर दिया है।
यह फैसला सिर्फ नगरीय निकाय चुनावों पर लागू होगा, जबकि पंचायत चुनाव पारंपरिक बैलेट पेपर के जरिए होंगे। अधिसूचना में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार चुनाव संपन्न कराए जाएंगे।
इस बार नगरीय निकाय चुनाव में महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष, और नगर पंचायत अध्यक्षों के पदों पर भी संशोधित नियम लागू किए गए हैं। इसके तहत, महापौर का चुनाव सीधे जनता के वोटों से होगा, जबकि पहले यह चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता था।
चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द
चुनाव आयोग के अनुसार, 18 जनवरी के बाद किसी भी समय नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों की तारीखों की घोषणा की जा सकती है।
- 15 जनवरी को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होनी थी, लेकिन अब इसे 18 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
- तारीखों की घोषणा के बाद, नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव की अधिसूचना एक साथ जारी होगी, लेकिन मतदान अलग-अलग समय पर होगा।
2019 और 2014 के चुनावों की तुलना
2019 में कांग्रेस सरकार के दौरान नगरीय निकाय चुनाव बैलेट पेपर से कराए गए थे। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि मतदाता और चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाया जा सके।
वहीं, 2014 के चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। इस बार सरकार ने इसे दोबारा लागू करने का फैसला लिया है।
इसके अलावा, 2019 में महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुआ था, जिसे इस बार फिर से प्रत्यक्ष प्रणाली में बदल दिया गया है। अब महापौर का चुनाव सीधे जनता करेगी।
चुनाव आयोग और ईवीएम की तैयारी
राज्य निर्वाचन आयोग ने ईवीएम से चुनाव कराने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
- ईवीएम की जांच और टेस्टिंग के लिए इंजीनियरों की मदद ली जा रही है।
- आयोग का कहना है कि ईवीएम से चुनाव कराना समय और संसाधन दोनों के लिहाज से फायदेमंद है।
डिप्टी सीएम अरुण साव ने ईवीएम को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा,
“ईवीएम से छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं होती। यह बात सर्वोच्च न्यायालय और अन्य संस्थाएं भी स्पष्ट कर चुकी हैं। इसके बावजूद, विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, ईवीएम पर सवाल उठाकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करती है।”
बैलेट पेपर से पंचायत चुनाव क्यों?
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए बैलेट पेपर का उपयोग होगा। इसकी मुख्य वजह यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ईवीएम का उपयोग तकनीकी कारणों से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
बैलेट पेपर का उपयोग करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पंचायत चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से और ग्रामीण मतदाताओं के लिए आसानी से संपन्न हो सके।
ईवीएम बनाम बैलेट पेपर: एक नजर
- ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन)
- तेज और सुरक्षित।
- समय और कागज की बचत।
- छेड़छाड़ से मुक्त।
- नगरीय निकाय चुनाव में उपयोग।
- बैलेट पेपर
- पारंपरिक और सरल।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर समझ।
- पंचायत चुनाव में उपयोग।
महापौर चुनाव का बदलाव
इस बार, महापौर का चुनाव जनता के सीधे वोटों से होगा।
पहले यह चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता था, जिसमें जनता पार्षदों को चुनती थी और फिर पार्षद महापौर का चुनाव करते थे।
अब नई प्रणाली के तहत, जनता सीधे महापौर के उम्मीदवार को वोट देगी। यह कदम अधिक पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।
चुनाव की तैयारियां तेज
अधिसूचना जारी होने के बाद से चुनाव आयोग ने सभी जिलों में तैयारियां तेज कर दी हैं।
- नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव दोनों के लिए गाइडलाइन्स तय की जा रही हैं।
- ईवीएम की तकनीकी जांच और उसकी कार्यप्रणाली सुनिश्चित की जा रही है।
- मतदान केंद्रों की सूची और सुरक्षा व्यवस्था की योजना भी तैयार की जा रही है।
छत्तीसगढ़ में चुनावी हलचल
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस बार, ईवीएम बनाम बैलेट पेपर का मुद्दा चर्चा का विषय है। जहां एक ओर नगरीय क्षेत्रों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जाएगा, वहीं पंचायतों में बैलेट पेपर से पारंपरिक प्रणाली का पालन होगा।
सरकार और चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम दोनों चुनावों को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए उठाया गया है।
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। ईवीएम और बैलेट पेपर का संतुलित उपयोग राज्य की विविध जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
आगामी चुनाव न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुदृढ़ करेंगे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सभी मतदाता, चाहे शहरी हों या ग्रामीण, अपने मताधिकार का प्रयोग सुगमता से कर सकें।