पुलिस कार्रवाई पर विवाद: कांकेर जिले के भैंसगांव और टोंडामरका गांवों से पांच ग्रामीणों को नक्सली बताकर पुलिस ने गिरफ्तार किया।
ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन: बड़ी संख्या में ग्रामीण कोतवाली थाना पहुंचे और पुलिस पर बेगुनाहों को नक्सली बताकर उठाने का आरोप लगाया।
जिला पंचायत सदस्य की नाराजगी: मृदुला भास्कर और पूर्व जिला पंचायत सदस्य पुलिस के रवैये से नाराज, चेतावनी दी कि अगर सही जानकारी नहीं मिली तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
पुलिस का दावा: गिरफ्तार किए गए लोग 2015 में ग्रामीणों से मारपीट और धमकी देकर उन्हें गांव से भगाने में शामिल थे।
कोर्ट में पेशी: सभी गिरफ्तार आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया।
ग्रामीणों का आरोप: पकड़े गए सभी लोग खेती-किसानी करने वाले निर्दोष ग्रामीण हैं, जिन्हें जबरन नक्सली बताकर गिरफ्तार किया गया।
पांच ग्रामीणों को नक्सली बताकर पुलिस ने उठाया, कांकेर में विरोध तेज
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में पांच ग्रामीणों को नक्सली बताकर गिरफ्तार करने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। ग्रामीणों ने इस कार्रवाई का विरोध करते हुए पुलिस पर बेगुनाह लोगों को जबरन नक्सली बताकर उठाने का आरोप लगाया। इसके खिलाफ भैंसगांव और टोंडामरका के ग्रामीण बड़ी संख्या में कोतवाली थाना पहुंचे और पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने किया विरोध
गिरफ्तार ग्रामीणों की रिहाई की मांग को लेकर जिला पंचायत सदस्य मृदुला भास्कर और अन्य जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणों के समर्थन में थाने पहुंचे। मृदुला भास्कर ने कहा, “पुलिस अंदरूनी इलाकों के निर्दोष लोगों को जबरन उठा ले जाती है और किसी को कोई जानकारी नहीं दी जाती। ग्रामीणों में इसको लेकर भारी आक्रोश है। अगर पुलिस ने अपने रवैये में बदलाव नहीं किया, तो बड़ा आंदोलन होगा।”
पुलिस का पक्ष:
पुलिस का दावा है कि गिरफ्तार किए गए तीन ग्रामीणों ने 2015 में भैंसगांव और बुधियारमारी गांवों में तीन परिवारों से मारपीट की थी और उन्हें जान से मारने की धमकी देकर गांव छोड़ने पर मजबूर किया था। इसके आधार पर एनआईए और जिला पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की।
पुलिस ने किन गांवों में की कार्रवाई?
8 मार्च को एसडीओपी कांकेर मोहसिन खान और कोरर थाना प्रभारी जितेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में पुलिस बल ने नक्सल प्रभावित इलाकों में छापेमारी की। इस दौरान पीढापाल, भैंसगांव, बुधियारमारी और टोंडामरका गांवों में फरार नक्सली सहयोगियों को खोजने की कार्रवाई की गई।
गिरफ्तार किए गए ग्रामीण:
कार्तिक उसेंडी (बुधियारमारी)
संतुराम हुपेंडी (बुधियारमारी)
चंदन सलाम (बुधियारमारी)
सोमारू कावड़े (भैंसगांव)
लक्ष्मण नुरेटी (भैंसगांव)
कोर्ट में पेशी के बाद भेजे गए जेल
पुलिस के मुताबिक, इन आरोपियों को पूछताछ के बाद 9 मार्च को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस ने यह भी बताया कि गिरफ्तार आरोपी पहले से फरार नक्सलियों के सहयोगी थे और कुछ हार्डकोर नक्सलियों की गिरफ्तारी के बाद मिले सबूतों के आधार पर ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
ग्रामीणों का पुलिस पर गंभीर आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस और एनआईए की टीम बिना किसी सूचना के रात के अंधेरे में गांव में घुसी और निर्दोष लोगों को जबरन उठा ले गई। पूर्व जिला पंचायत सदस्य नरोत्तम पडोटी ने कहा, “ये सभी लोग खेती-किसानी करने वाले निर्दोष ग्रामीण हैं। पुलिस ने बिना किसी ठोस सबूत के इन्हें गिरफ्तार किया है।”
बढ़ सकता है विरोध, आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि अगर सही जानकारी नहीं दी गई और बेगुनाह लोगों को जल्द रिहा नहीं किया गया, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने एनआईए टीम की मौजूदगी और गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल उठाए और कहा कि प्रशासन को इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरतनी चाहिए।
पुलिस का बयान:
एसडीओपी मोहसिन खान ने कहा, “नक्सली गतिविधियों में संलिप्त लोगों की पहचान कर कार्रवाई की जा रही है। कई ग्रामीण पहले नक्सलियों के मददगार रहे हैं, जिनकी अब जांच हो रही है। गांव के लोग इसी बारे में जानकारी लेने आए थे, जिन्हें समझा-बुझाकर वापस भेज दिया गया।”
आगे क्या?
यह मामला अब राजनीतिक रूप लेने लगा है। स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों ने पुलिस पर मनमानी का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस का कहना है कि नक्सल गतिविधियों में शामिल लोगों पर कार्रवाई की जा रही है। आने वाले दिनों में इस मामले में और ज्यादा विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकता है।