मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बंजारा समाज के गौरवशाली इतिहास को किया नमन
विश्व बंजारा दिवस के खास अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रायपुर में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ द्वारा किया गया था, जिसका नाम रखा गया था – “विशाल बंजारा महाकुंभ”। यह आयोजन रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में बड़े ही उत्साह और पारंपरिक रंग-रूप के साथ हुआ।
इस विशेष मौके पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पारंपरिक बंजारा वेशभूषा धारण की, जो उनके समाज के प्रति सम्मान और अपनापन दिखाता है। उन्होंने अपने संबोधन में बंजारा समाज की संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक योगदान को बड़े आदर और भावुकता से याद किया।
मुख्यमंत्री ने कही ये महत्वपूर्ण बातें –
बंजारा समाज का समृद्ध इतिहास
मुख्यमंत्री ने कहा कि बंजारा समाज का इतिहास बहुत ही समृद्ध और प्रेरणादायक रहा है। यह समाज प्राचीन समय से ही व्यापार और यात्रा से जुड़ा रहा है। पुराने समय में जब न तो रेलगाड़ी थी और न ही ट्रक, तब बंजारा समाज के लोग बैल गाड़ियों के जरिये एक राज्य से दूसरे राज्य और यहां तक कि एक देश से दूसरे देश तक व्यापार करते थे।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
उन्होंने यह भी कहा कि देश की आज़ादी की लड़ाई में भी बंजारा समाज का उल्लेखनीय योगदान रहा है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब समाज के लोगों ने बहादुरी से विदेशी हुकूमत का विरोध किया और देशभक्ति का परिचय दिया।
लखी शाह जी का प्रेरणादायक योगदान
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बंजारा समाज के महानायक लखी शाह जी को विशेष रूप से याद किया। उन्होंने बताया कि लखी शाह के पास करीब दो लाख बैल हुआ करते थे, जो व्यापार के लिए उनके कारवां का हिस्सा होते थे। उनके व्यापारिक सफर में रावलपिंडी से लेकर काबुल और कंधार तक की यात्रा शामिल होती थी। ये सब उन्होंने उस समय किया जब यात्रा करना बेहद कठिन और जोखिम भरा होता था।
दिल्ली के चांदनी चौक में थी बड़ी संपत्ति
इतिहास के अनुसार, उस दौर में दिल्ली के चांदनी चौक में लखी शाह की बहुत जमीन और संपत्ति थी। हालांकि उनके पास अपार धन-संपत्ति थी, फिर भी वे विनम्र और परोपकारी स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने अपना धन समाज की भलाई और जरूरतमंदों की मदद के लिए खर्च किया।
औरंगज़ेब की सेना का सामना
मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि लखी शाह ने 95 वर्ष की उम्र में भी औरंगजेब की सेना का मुकाबला किया। यह दिखाता है कि वे न केवल व्यापारी बल्कि बहादुर योद्धा भी थे। उनका जीवन आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
महिलाओं ने दिखाया पारंपरिक लड़ी नृत्य
कार्यक्रम के दौरान बंजारा समाज की महिलाओं ने पारंपरिक ‘लड़ी नृत्य’ की शानदार प्रस्तुति दी। यह नृत्य बंजारा समाज की संस्कृति और उत्सवधर्मिता का प्रतीक है। रंग-बिरंगे परिधान, पारंपरिक आभूषण और ताल से ताल मिलाकर किया गया यह नृत्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया।
कार्यक्रम का महत्व
यह कार्यक्रम केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह बंजारा समाज की एकता, इतिहास और आत्मसम्मान का उत्सव था। मुख्यमंत्री के शामिल होने से इस कार्यक्रम को राज्य स्तरीय पहचान भी मिली और समाज को नए आत्मबल और उत्साह की अनुभूति हुई।
✅ मुख्य बिंदु (Highlights) –
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बंजारा पोशाक पहनकर बंजारा समाज को सम्मान दिया।
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“विशाल बंजारा महाकुंभ” का आयोजन रायपुर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में हुआ।
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कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ द्वारा किया गया था।
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मुख्यमंत्री ने बंजारा समाज के गौरवशाली इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की सराहना की।
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उन्होंने बंजारा समाज के महानायक लखी शाह का उल्लेख करते हुए उनके योगदान को याद किया।
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लखी शाह के पास दो लाख बैल थे, और उनका व्यापार रावलपिंडी से काबुल-कंधार तक फैला था।
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95 वर्ष की उम्र में लखी शाह ने औरंगज़ेब की सेना का सामना किया था।
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⚪ बंजारा महिलाओं द्वारा पारंपरिक ‘लड़ी नृत्य’ की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में रंग भर दिया।
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मुख्यमंत्री की उपस्थिति ने समाज को गर्व और सम्मान की अनुभूति कराई।
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यह आयोजन समाज की एकता, संस्कृति और गौरव को दर्शाता है।