“बैंक की सहायक प्रबंधक ने फर्जी ज्वेल लोन बनाकर 1.65 करोड़ का घोटाला किया, EOW ने की गिरफ्तारी”

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फर्जी ज्वेल लोन घोटाला: ओडिशा से गिरफ्तार हुई छत्तीसगढ़ की बैंक मैनेजर
छत्तीसगढ़ राज्य में आर्थिक अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी ACB-EOW (एंटी करप्शन ब्यूरो – आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने एक बड़े बैंकिंग घोटाले का खुलासा किया है। इस घोटाले में आरोपी बनी बैंक की सहायक प्रबंधक अंकिता पाणिग्रही को EOW की टीम ने ओडिशा के बरगढ़ से गिरफ्तार किया है। अब पुलिस आरोपी महिला से गहन पूछताछ कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल हो सकता है।


घोटाले का पूरा मामला क्या है?

यह मामला इंडियन ओवरसीज बैंक की राजिम शाखा, जिला गरियाबंद का है। यहां पर साल 2022 में बैंक की सहायक प्रबंधक के रूप में कार्यरत अंकिता पाणिग्रही ने ऐसा अपराध किया, जिसने बैंक की साख को हिला कर रख दिया।

ब्यूरो द्वारा जारी की गई प्रेस नोट के अनुसार, अंकिता ने बैंक के बंद खातों का गलत इस्तेमाल किया और उनके नाम पर फर्जी ज्वेल लोन तैयार किए। इसके जरिए उन्होंने बैंक से करीब 1 करोड़ 65 लाख रुपए का गबन कर लिया।


कैसे किया गया फर्जीवाड़ा?

अंकिता पाणिग्रही ने बैंक के उन खातों को चुना जो पहले से बंद हो चुके थे या जिनमें कोई लेनदेन नहीं हो रहा था। उन खातों को आधार बनाकर उन्होंने सोने के आभूषणों (ज्वेलरी) के नाम पर फर्जी ऋण निकाले। बैंक रिकॉर्ड में यह दिखाया गया कि खाताधारकों ने सोना जमा कर लोन लिया है, जबकि असल में ऐसा कुछ नहीं था।

बिना किसी असली गहने के, उन्होंने बैंक के रिकॉर्ड में नकली गिरवी रखे गहनों को दर्ज कर दिया और करोड़ों रुपए लोन के रूप में निकाल लिए। यह सब एक सुनियोजित योजना के तहत किया गया, ताकि कोई संदेह न हो।


कैसे हुआ खुलासा?

जब साल 2022 के अंत में बैंक की आंतरिक ऑडिट टीम ने दस्तावेजों की जांच की, तब यह घोटाला सामने आया। ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि जिन खातों पर लोन दिखाया गया है, वे या तो बंद हो चुके हैं या उनमें किसी भी तरह की ज्वेलरी गिरवी नहीं रखी गई थी।

इसके बाद बैंक प्रबंधन ने मामले को गंभीरता से लिया और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को इसकी सूचना दी। फिर EOW ने जांच शुरू की और साक्ष्यों के आधार पर अंकिता पाणिग्रही के खिलाफ वर्ष 2023 में औपचारिक मामला दर्ज कर लिया।


⚖️ कौन-कौन सी धाराएं लगीं?

इस मामले में अंकिता पाणिग्रही पर निम्न धाराएं लगाई गई हैं:

  1. धारा 13(क) – भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित अधिनियम 2018 के अनुसार), जिसके तहत सार्वजनिक पद पर रहते हुए अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर व्यक्तिगत लाभ कमाने का अपराध आता है।

  2. धारा 409 भादवि – जिसमें सरकारी कर्मचारी या बैंक कर्मी द्वारा अपनी जिम्मेदारी में सौंपे गए पैसे या संपत्ति का दुरुपयोग शामिल है।

इन धाराओं के तहत आरोपी को गंभीर आर्थिक अपराधों का दोषी माना गया है, और अगर आरोप साबित होते हैं, तो उसे लंबी सजा हो सकती है।


गिरफ्तारी की प्रक्रिया

जब अंकिता पाणिग्रही को यह अहसास हुआ कि उन पर मामला दर्ज हो चुका है, तो उन्होंने छत्तीसगढ़ छोड़ दिया और ओडिशा के बरगढ़ जिले में जाकर रहने लगीं। मगर EOW की टीम ने उनकी लोकल लोकेशन ट्रैक की और उन्हें वहां से गिरफ्तार कर छत्तीसगढ़ लाया गया। अब उन्हें पुलिस रिमांड पर रखा गया है ताकि पूछताछ में नए खुलासे हो सकें।


बैंक ने तुरंत की कार्रवाई

घोटाले की जानकारी सामने आते ही बैंक प्रबंधन ने तत्काल प्रभाव से अंकिता पाणिग्रही को सेवा से बर्खास्त कर दिया। इस फैसले के पीछे मकसद यही था कि बैंक की साख बनी रहे और भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके।


पूछताछ में क्या हो सकते हैं सवाल?

  • क्या इस घोटाले में कोई और बैंक कर्मचारी शामिल था?

  • फर्जी लोन की रकम कहां खर्च की गई?

  • इस योजना की शुरुआत कब और कैसे हुई?

  • क्या पहले भी किसी और शाखा में ऐसा घोटाला किया गया है?

EOW को उम्मीद है कि पूछताछ के बाद कई और राज़ सामने आ सकते हैं।


✅ मुख्य बिंदु (Highlights) –

  1. अंकिता पाणिग्रही, इंडियन ओवरसीज बैंक की सहायक प्रबंधक, फर्जी ज्वेल लोन घोटाले में गिरफ्तार।

  2. बैंक के बंद खातों के नाम पर बनाए गए फर्जी लोन, 1.65 करोड़ रुपये का गबन।

  3. EOW की टीम ने आरोपी को ओडिशा के बरगढ़ से गिरफ्तार किया।

  4. मामले में धारा 13(क) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धारा 409 भादवि के तहत केस दर्ज।

  5. साल 2023 में FIR दर्ज होने के बाद से ही आरोपी फरार थी।

  6. ऑडिट के दौरान बैंक को इस घोटाले की जानकारी हुई थी।

  7. पूछताछ से अन्य लोगों की भूमिका का भी खुलासा होने की संभावना।

  8. बैंक ने आरोपी को नौकरी से तत्काल बर्खास्त किया।


✍️ निष्कर्ष

यह मामला एक गंभीर चेतावनी है कि कैसे कुछ लोग अपने पद का गलत इस्तेमाल कर जनता की मेहनत की कमाई को ठग सकते हैं। ऐसी घटनाओं से यह सीख मिलती है कि नियमित ऑडिट और पारदर्शिता किसी भी संस्था के लिए कितनी जरूरी है। साथ ही, यह भी जरूरी है कि ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई इस तरह की हिम्मत न कर सके।

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