देश में सेमी कंडक्टर बनाने वाली कंपनी ने तमिलनाडु के बाद नवा रायपुर में अपनी आधारशिला शुक्रवार को रख दी है। इस पत्थर से ही छत्तीसगढ़ के उद्योग जगत की नई इमारत बनना शुरू होगी। सेमी कंडक्टर एक ऐसा हार्डवेयर होता है जिससे टीवी, फोन-ड्रोन जैसे इक्यूपमेंट बनते हैं। जिस जगह सेमी कंडक्टर बनता है, वहां यह कंपनियां अपने आप दौड़ी चली आती है।
चीन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से चार्ज करने वाली बैटरी और 5जी नेटवर्क में भी ये गैलियम नाइट्राइड सेमी-कंडक्टर लगाया जाता है। यानी अब साफ है कि इस इंडस्ट्री के शुरू होते ही प्रदेश के इंजीनियर्स को पलायन नहीं करना होगा। उद्योग विभाग के अफसरों की मानें तो अगले तीन साल में इतने उद्योग आ जाएंगे कि एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
बता दें कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नवा रायपुर में शुक्रवार को देश के पहले अल्ट्रा एज टेक्नोलॉजी आधारित गैलियम नाइट्राइड (जीएएन) आधारित सेमी-कंडक्टर संयंत्र का शिलान्यास किया। इस प्लांट से राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा में मदद मिलेगी, साथ ही नक्सल इलाकों में ट्रेनिंग में मदद मिल सकेगी। इस प्लांट का निर्माण पोलीमैटेक इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड का है। कंपनी के एमडी ईश्वरा राव नंदम ने राज्य में 10 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त निवेश की घोषणा भी की।
अब मेक इन इंडिया होगा पूरा: साय| सीएम साय ने कहा कि यह हमारे प्रदेश के लिए गर्व और प्रगति का ऐतिहासिक क्षण है। केंद्र सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ मिशन तब तक अधूरा था, जब तक सेमी-कंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर नहीं बनता। छत्तीसगढ़ में यूनिट स्थापित होने से भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत होगी।
अब मोबाइल, टेलीकॉम, रक्षा और ऑटो सेक्टर के लिए जरूरी चिप्स देश के भीतर ही बनने लगेंगे। इससे विदेशी निर्भरता घटेगी। आयात पर खर्च होने वाला अरबों डॉलर बच सकेगा। इस परियोजना से देश को सेमी-कंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भी सरकार से संपर्क साधा है।
हर साल बनेंगे 1000 करोड़ चिप्स {कंपनी छत्तीसगढ़ में 1,143 करोड़ रुपए की लागत से ये प्लांट लगा रही है। {डेढ़ लाख वर्ग फीट में बनने वाले प्लांट में वर्ष 2030 तक 10 अरब चिप्स तैयार होंगे। {सेंट्रल इंडिया में होने की वजह से रायपुर में मोबाइल-टेलीकॉल कंपनियां भी आएंगी। {ताइवान, जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया की कंपनियां भी निवेश की इच्छुक हुईं। {सेमी कंडक्टर आने की वजह से बंगलौर, हैदराबाद जैसा आईटी हब भी बनेगा नवा रायपुर।
‘चिप’ का कमाल : नक्सलवाद की जगह नवाचार| सेमी-कंडक्टर यूनिट को सीधे बस्तर से जोड़ना इस योजना की सबसे बड़ी खूबी है। सरकार की योजना है कि इस यूनिट से जुड़ी ट्रेनिंग, सहयोगी उत्पादन इकाइयां, पैकेजिंग-टेस्टिंग हब और स्किल डवलपमेंट सेंटर उन इलाकों में खोले जाएंगो। अब तक नक्सल प्रभावित रहे हैं। इससे वहां के युवाओं को उनके जिले में उच्चस्तर का तकनीकी प्रशिक्षण मिलेगा।