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भिलाई के वैशाली नगर स्थित केनरा बैंक में 111 फर्जी खातों में 87 करोड़ रुपए का संदिग्ध लेनदेन।
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पुलिस ने 22 लाख रुपए की रकम को तुरंत होल्ड पर डाल दिया है।
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केनरा बैंक के मैनेजर ने ऑडिट के दौरान फर्जी खाते पकड़कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
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वैशाली नगर थाना में मामला दर्ज, सभी खाताधारकों से पूछताछ जारी।
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तीन महीने पहले दुर्ग के मोहन नगर में भी ठीक 111 फर्जी खातों में 86 लाख रुपए के लेनदेन का केस सामने आया था।
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गृह मंत्रालय के आदेश पर पहले भी हो चुकी है इस तरह की जांच।
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पुलिस को शक है कि यह एक बड़ा साइबर फ्रॉड रैकेट हो सकता है।
सरल और विस्तृत हिंदी में खबर:
भिलाई के वैशाली नगर इलाके में स्थित केनरा बैंक से एक बड़ी साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। बैंक की तरफ से की गई ऑडिट के दौरान पाया गया कि 111 अलग-अलग खातों में कुल 87 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है, जो संदिग्ध माना जा रहा है। ये खाते किसी संगठित साइबर फ्रॉड का हिस्सा हो सकते हैं।
इस मामले की शिकायत केनरा बैंक के ब्रांच मैनेजर रगुवीर सिंह सिंगोदिया ने की है। उन्होंने बताया कि बैंक की जांच के दौरान ये फर्जी खाते और उनमें हुआ बड़ा लेनदेन सामने आया। इसके बाद उन्होंने तत्काल वैशाली नगर थाना पुलिस को सूचित किया।
पुलिस ने तुरंत की कार्रवाई
शिकायत मिलते ही पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई की। वैशाली नगर थाना प्रभारी अमित अंदानी ने बताया कि पुलिस ने इन सभी खातों की जांच शुरू कर दी है और संबंधित खाताधारकों से पूछताछ की जा रही है। अगर पूछताछ के बाद यह साफ होता है कि ये लोग इस फर्जीवाड़े में शामिल थे, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
22 लाख रुपए होल्ड किए गए
हालांकि पुलिस की मुस्तैदी से इन फर्जी खातों में से कुछ को तुरंत ट्रैक कर लिया गया। पुलिस ने इनमें से 22 लाख रुपए की राशि को होल्ड पर डाल दिया है, यानी उस रकम को फिलहाल फ्रीज कर दिया गया है। पुलिस का कहना है कि जब तक इन पैसों की वैधता साबित नहीं हो जाती, तब तक ये रकम जारी नहीं की जाएगी।
दुर्ग में भी सामने आया था ऐसा ही मामला
यह पहला मामला नहीं है। ठीक तीन महीने पहले, 18 जनवरी को, दुर्ग जिले के मोहन नगर थाना क्षेत्र में भी बिल्कुल ऐसा ही एक मामला सामने आया था। वहां भी 111 संदिग्ध बैंक खाते पकड़े गए थे, जिनमें 86.33 लाख रुपए के लेनदेन हुए थे। उस वक्त यह सभी खाते दुर्ग स्थित कर्नाटक बैंक की स्टेशन रोड शाखा में पाए गए थे।
उस मामले में पुलिस ने कई लड़के और लड़कियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस को शक था कि इन युवाओं को फर्जी दस्तावेजों के जरिए बैंक खाते खुलवाने के लिए पैसे दिए गए थे। इन खातों का इस्तेमाल बड़ी साइबर ठगी के लिए किया गया।
गृह मंत्रालय की भी जांच जारी
दुर्ग मामले की जांच गृह मंत्रालय, भारत सरकार के आदेश पर शुरू की गई थी। गृह मंत्रालय के पोर्टल से भी इस पूरे नेटवर्क की जांच की जा रही है, और अब ये भिलाई में सामने आया मामला उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।
इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि कोई बड़ा और संगठित साइबर फ्रॉड रैकेट इन फर्जी खातों के जरिए काम कर रहा है। पुलिस को शक है कि इन खातों का उपयोग अपराधी लोगों या गैंग द्वारा ऑनलाइन ठगी, हवाला कारोबार या दूसरे गैरकानूनी कामों के लिए किया गया होगा।
जनता के लिए चेतावनी
इस मामले के सामने आने के बाद पुलिस ने आम लोगों से भी अपील की है कि वे किसी अजनबी के कहने पर अपना बैंक खाता किसी और को इस्तेमाल करने न दें। कई बार साइबर ठग युवाओं को पैसों का लालच देकर उनके नाम पर बैंक खाता खुलवाते हैं और फिर उनका दुरुपयोग करते हैं।
अगर कोई व्यक्ति आपको आपके खाते के बदले मोटी रकम देने की बात करे, तो तुरंत सतर्क हो जाएं और पुलिस को सूचना दें।
निष्कर्ष:
भिलाई और दुर्ग में 111-111 फर्जी खातों का दोहराया जाना और उनमें करोड़ों की रकम का लेन-देन यह दिखाता है कि कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा है। पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है और विस्तृत जांच चल रही है।
आम लोगों को भी चाहिए कि वे सतर्क रहें और किसी भी तरह के बैंकिंग फ्रॉड से खुद को बचाएं। अगर कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।