विधानसभा चुनाव में इस बार नोटा को 1.26 फीसदी वोट मिले हैं। ये बसपा को छोड़कर शेष अन्य दलों और निर्दलीयों से कहीं ज्यादा है। यानी चुनाव में नोटा वाली सीटों पर मतदाताओं ने प्रमुख राजनीतिक दलों समेत सभी प्रत्याशियों को सिरे से नकार दिया। एक तरह से लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराया है।
मतदान स्थल पर पहुंचकर नोटा को वोट करने से यह पता लग रहा है कि लोगों को लोकतंत्र पर भरोसा है, लेकिन उस सीट पर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है। यहां सबसे िदलचस्प बात यह है कि टॉप-10 नोटा वाली सीटों में से छह बस्तर की हैं और सबसे ज्यादा नोटा दंतेवाड़ा सीट पर पड़े हैं।
मरवाही में कांग्रेस तीसरे नंबर पर:
मरवाही में भाजपा और जनता कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला रहा। यहां जनता कांग्रेस के उम्मीदवार गुलाब राज दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस के डा. केके ध्रुव तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें जनता कांग्रेस के उम्मीदवार से महज 661 वोट कम मिले। हालांकि यहां पर नोटा का वोट जीत-हार के अंतर से बहुत कम है।
10 में से 8 सीट पर जीती भाजपा
नोटा वोट पाने वाली टॉप-10 सीटों में से 8 पर भाजपा जीती है। इन सीटों पर जीत-हार का अंतर नोटा से अधिक है। यानी नोटा का प्रत्याशियों की जीत-हार पर बहुत अधिक असर नहीं हैं। यदि नोटा वोट नहीं पड़ते तो जीत-हार का अंतर और कम होता। जैसे दंतेवाड़ा में 8620 नोटा वोट पड़े। जबकि यहां जीत-हार का अंतर 16803 है। इसी तरह क्रमश: अन्य सात सीटों पर भी जीत-हार का अंतर नोटा से अधिक है, लेकिन इन सीटों पर हजारों नोटा ने नेताओं से नाराजगी सामने ला दी।
नोटा ने बचा दी कांग्रेस की दो सीट
टॉप-10 की दो सीटें कांग्रेस ने जीती है। दोनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने बहुत ही कम मार्जिन जीत हासिल की है। यदि नोटा के वोट किसी प्रत्याशी को मिलते तो परिणाम बदल सकता था। जैसे बिंद्रानवागढ़ में कांग्रेस के जनक ध्रुव ने 816 वोट से भाजपा के गोवर्धन मांझी को हराया। यहां पर नोटा वोट 3710 है। इसी तरह कोंटा में कांग्रेस के कवासी लखमा 1981 वोट से जीते। यहां नोटा वोट 3691 है। नोटा यदि भाजपा को मिलते तो परिणाम ही बदल जाता।
मरवाही में कांग्रेस तीसरे नंबर पर
मरवाही में भाजपा और जनता कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला रहा। यहां जनता कांग्रेस के उम्मीदवार गुलाब राज दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस के डा. केके ध्रुव तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें जनता कांग्रेस के उम्मीदवार से महज 661 वोट कम मिले। हालांकि यहां पर नोटा का वोट जीत-हार के अंतर से बहुत कम है।