तेंदूपत्ता पर मौसम की मार: आंधी, ओले और बारिश ने बिगाड़ी संग्राहकों की कमाई, 90 करोड़ रुपये का नुकसान संभावित

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जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में बेमौसम आंधी, बारिश और ओलों की मार ने तेंदूपत्ता संग्रहण को गहरी चोट पहुंचाई है। बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों में तेंदूपत्ता का उत्पादन निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे रह गया है, जिससे तेंदूपत्ता संग्राहकों को इस साल भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा से लगभग 90 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक नुकसान संभावित है।

संग्रहण लक्ष्य से पीछे, नुकसान में हजारों संग्राहक

बस्तर संभाग में इस वर्ष 2 लाख 70 हजार 600 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अब तक 101057 संग्राहकों द्वारा केवल 1 लाख 16 हजार 999 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण ही हो सका है। यानि लक्ष्य की तुलना में करीब 57% ही संग्रहण हो पाया है। इससे अब तक केवल 64 लाख 34 हजार 995 रुपये का ही पारिश्रमिक वितरित किया जा सका है।

वर्ष 2024 में 155 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक मिला था
पिछले साल इन चार जिलों के संग्राहकों को कुल 155 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक दिया गया था। लेकिन इस वर्ष मौसम की मार के कारण यह आंकड़ा काफी नीचे जाने की संभावना है। वन विभाग का अनुमान है कि इस बार संग्राहकों को केवल 65 करोड़ रुपये के आस-पास ही पारिश्रमिक मिल पाएगा।

मौसम की मार से तेंदूपत्ता की गुणवत्ता पर असर
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आंधी, ओले और बेमौसम बारिश के चलते तेंदूपत्तों की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों पर असर पड़ा है। तेंदूपत्ता के कोमल पत्तों पर पानी और ओलों के गिरने से छेद और गांठें बन रही हैं, जिससे वे उपयोग लायक नहीं रह जाते। मुख्य वन संरक्षक आरसी दुग्गा ने स्वयं सुकमा जिले के संग्रहण केन्द्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि तेंदूपत्ता की गुणवत्ता में कमी आने के कारण पूरा पत्ता तोड़ा नहीं जा सकता, जिससे संग्रहण भी सीमित हो गया है।

जिलावार संग्रहण स्थिति
बस्तर: 15 लाट में 17201.240 मानक बोरा

दंतेवाड़ा: 11 लाट में 17001.715 मानक बोरा

बीजापुर: 23 लाट में 11598.187 मानक बोरा

सुकमा: 43 लाट में 71198.774 मानक बोरा

उम्मीदों पर पानी फेर दिया
ग्रामीण संग्राहकों ने बताया कि बस्तर में “हरा सोना” कहे जाने वाले तेंदूपत्ते की फसल इस साल तेज हवाओं और ओलों की मार के कारण पूरी तरह प्रभावित हुई है। ये पत्ते उनके जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत हैं। कई संग्राहकों का कहना है कि बेमौसम बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। तेंदूपत्ता संग्रहण पर मौसम का असर अब केवल वन उत्पादों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह हजारों ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित कर रहा है। यदि यही स्थिति रही, तो आने वाले वर्षों में संग्रहण लक्ष्य और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

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