सीतापुर। शासकीय राशन दुकान से हितग्राहियों को मिलने वाला सरकारी चना घोटाले की भेंट चढ़ गया। राशन दुकान संचालक ने पात्र हितग्राहियों को उनके हिस्से का चना देने के बजाए उसे कालाबाजारियों के हवाले कर दिया। इस संबंध में हितग्राहियों ने चना वितरण में धांधली का आरोप लगाते हुए खाद्य निरीक्षक से शिकायत की थी। हितग्राहियों की शिकायत पर जांच के बजाए खाद्य विभाग मामले की लीपापोती करने में जुटा हुआ है। खाद्य निरीक्षक ने इस मामले में न कोई जांच की और न ही हितग्राहियों को उनके हिस्से का चना दिला पाई। चना के अफरातफरी की शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नही होने से हितग्राहियों में आक्रोश व्याप्त है।
उल्लेखनीय है कि ग्राम बेलजोरा में संचालित शासकीय उचित मूल्य के राशन दुकान में चना वितरण में धांधली करने का मामला प्रकाश में आया है। राशन दुकान संचालक द्वारा राशन वितरण के दौरान भारी मात्रा में चना की अफरातफरी की गई है। हितग्राहियों को उनके हिस्से का चना देने के बजाए उन्हें आधा अधूरा चना दिया गया है। इस संबंध में मिली जानकारी अनुसार माह जनवरी से राशन दुकान में चना नही आया था। जिसकी वजह से माह अप्रैल में एक साथ चार माह का लगभग 65 क्विंटल चना वितरण के लिए राशन दुकान में आया था। जिसमें से पात्र हितग्राहियों को 4 माह के हिसाब से आठ किलो चना वितरण करना था। लेकिन दुकान संचालक द्वारा ऐसा न करते हुए वितरण के दौरान जमकर धांधली की गई। उसने व्यक्ति विशेष के हिसाब से किसी को चार माह का तो किसी को तीन माह का चना दे दिया। बाकी हितग्राहियों को उसने दो माह का चना देकर चलता कर दिया।
अब तक नहीं हुई है कोई जांच
इस बात की भनक लगते ही ग्रामीणों ने चना वितरण में धांधली का आरोप लगाते हुए पखवाड़े भर पहले खाद्य निरीक्षक से शिकायत की थी। ग्रामीणों ने राशन दुकान संचालक के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि अगर राशन दुकान की बारीकी से जांच हो जाये तो कई चौकाने वाले मामले सामने आयेंगे। शिकायत के इतने दिनों बाद भी जांच नही होने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। अब तक इस मामले की जांच नही होना भी कई सवालों को जन्म देता है। खाद्य निरीक्षक की बातों से ऐसा लगता है कि वो इस मामले की जांच को लेकर उदासिन है।खाद्य विभाग इस मामले में जांच के नाम पर लीपापोती करना चाहता है।
मंत्री बोलीं- ग्रामीणों से मिली थी शिकायत
इस संबंध में खाद्य निरीक्षक सरस्वती राजवाड़े ने बताया था कि ग्रामीणों की शिकायत प्राप्त हुई है। इस मामले की जांच के लिए 20 अप्रैल को गांव जाकर जांच करना था। लेकिन समय नहीं मिला इसलिए जांच करने नहीं नही गई।