दुर्ग जिले में दो और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान हुई है। दोनों पिछले करीब 6-8 महीने से कैंप क्षेत्र में रह रहे थे। एसटीएफ और छावनी थाना की संयुक्त टीम ने घुसपैठियों की पहचान कर दोनों को पकड़ लिया। आरोपी करीब 12 साल पहले बॉर्डर पार से भारत में घुसे। इसके बाद मोहम्मद अली शेख और साथी शेख के नाम के दक्षिण 24 परगना (पं. बंगाल) के पते पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर ठिकाने बदल-बदल कर रहने लगे।
एएसपी पद्मश्री तंवर ने बताया कि दोनों संदिग्धों के कब्जे से मिले दस्तावेज और मोबाइल डेटा की जांच में पाया गया कि मोहम्मद अली शेख का असली नाम मोहम्मद अब्दुल रौब हुसैन पिता अब्दुल सत्तार खंदोकर निवासी ग्राम राजबाड़िया पोस्ट हरिदापोटा, झिकारगाछा, जिला जेस्सोर बांग्लादेश है। वह साल 2012 में भारत-बांग्लादेश सीमा को अवैध रूप से पारकर पश्चिम बंगाल के 24 परगना पहुंचा।
जहां हुसैन शेख नाम के व्यक्ति की लड़की से शादी कर उसकी मदद से मोहम्मद अली शेख के फर्जी नाम से जन्मतिथि बदलकर भारतीय नागरिकता संबंधी फर्जी एवं कूटरचित आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड समेत अन्य दस्तावेज बना लिए। आरोपी पिछले 5-6 महीने से भिलाई के कैंप-2 में रह रहा था।
जांच में पाया गया कि मोहम्मद अब्दुल रौब हुसैन मोबाइल इंटरनेट के माध्यम से बांग्लादेश में रहने वाले रिश्तेदारों से लगातार संपर्क में था। आरोपी से उसके बांग्लादेशी नागरिकता से संबंधित फोटो परिचय पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, बांग्लादेशी पासपोर्ट संबंधी दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
महिला साथी शेख 2014 में भारत में घुसी इसी तरह बांग्लादेशी महिला साथी शेख ने पूछताछ में अपना असली नाम साथी खातून पिता मोहम्मद जमशेर सरदार निवासी निरबासखुला, माटीकुमरा, झिकारगाछा जेस्सोर बांग्लादेश बताया, जो वर्ष 2014 में अवैध रूप से बार्डर पार कर भारत पहुंची। पिछले 7-8 माह से कैप-2 छावनी में किराए के मकान में रह रही थी।
उसने अपने मामा मोहम्मद अब्दुल रौब के सहयोग से भारतीय नागरिकता संबंधी फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक बनवाए। वह भी लगातार अपने बांग्लादेश में रहने वाले रिश्तेदारों से संपर्क में थी। अब टीम प्रकरण में दोनों बांग्लादेशियों को सहयोग करने, संरक्षण देने एवं फर्जी दस्तावेज तैयार करने के षडयंत्र में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने में जुट गई है।