कुख्यात नक्सली हिड़मा के गांव की बेटी का ब्याह: जवान बने भाई, कैंप में थिरके

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बस्तर संभाग का सुकमा नक्सल प्रभावित जिला है, यहां के आदिवासी डर के साये में जीते रहे हैं। लेकिन हाल ही में यहां से जो तस्वीर सामने आई है, उसने दिल जीत लिया। नक्सल प्रभावित पूवर्ती गांव में एक अनोखा और भावनात्मक दृश्य सामने आया है। यह रोचक घटना उस गांव में घटी, जहां से सबसे खूंखार माने जाने वाले नक्सल कमांडर हिड़मा का नाता था।

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नक्सली हिड़मा के गांव में दुल्हन की विदाई में जवानों ने भाई का फर्ज निभाया। कैम्प में तैनात जवान न केवल शादी में शामिल हुए, बल्कि बेटी की विदाई के वक्त भी साथ खड़े रहे। नेग दिए, ग्रामीणों के साथ नाचे और खुशियां बांटी। बताया जा रहा है कि, गांव की एक बेटी की शादी के मौके पर जब उसकी विदाई का समय आया, तो परिजन और ग्रामीण नवविवाहित दुल्हन को जंगल स्थित कैंप में तैनात सीआरपीएफ की 150 वीं बटालियन के जवानों से मिलवाने पहुंचे। जैसे ही दुल्हन कैंप में पहुंची तो जवानों ने उसका स्वागत किया और रस्म अदायगी की।

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मजबूत होते संबंधों का प्रतीक
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि, हाल ही में सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में एक बेटी की शादी के अवसर पर पुवर्ती गांव में तैनात सुरक्षा बलों द्वारा दिखाया गया, भावुक और आत्मीय व्यवहार, सुरक्षा बलों और स्थानीय आदिवासी समुदायों के बीच मजबूत होते संबंधों का प्रतीक है। जब वधु पक्ष द्वारा पारंपरिक रस्मों के साथ बेटी की विदाई की तैयारी की जा रही थी, तब कैम्प से आए सुरक्षा जवान सिर्फ रक्षक बनकर नहीं, बल्कि भाई के रूप में आगे आए।

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नाच-गानों व उल्लास से गूंज उठा कैंप परिसर
कैम्प में मौजूद अधिकारियों और जवानों ने भी इस मौके को केवल एक मुलाकात नहीं रहने दिया, बल्कि भावनात्मक रूप से जुड़ते हुए भाई का फर्ज निभाया। उन्होंने दुल्हन को नेग दिया, आशीर्वाद दिया और ग्रामीणों के साथ मिलकर विवाह की खुशियां साझा की। दुल्हन ने भी जवान को भाई मानकर पैर छुए। कैंप परिसर नाच-गानों और उल्लास से गूंज उठा। यह दृश्य केवल एक विवाह समारोह नहीं था, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विश्वास और भाईचारे की बहाली का प्रतीक बन गया।

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