रायपुर, छत्तीसगढ़।
राजधानी रायपुर के भनपुरी स्थित पाठ्यपुस्तक निगम डिपो में बुधवार को गरियाबंद और कांकेर जिलों से आए निजी स्कूलों के शिक्षकों ने जबरदस्त हंगामा कर दिया। कारण था – सरकारी किताबों के वितरण में की गई भारी अव्यवस्था, जिसमें शिक्षकों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर ज़मीन पर बैठाकर घंटों किताबें स्कैन करवाई गईं।
150 किलोमीटर दूर से बुलाए गए इन शिक्षकों को न छांव मिली, न पानी, न बैठने की व्यवस्था।
❝ शिक्षक बनने आए थे, मज़दूर बना दिया ❞
1 जुलाई को गरियाबंद जिले के करीब 80 निजी स्कूलों के शिक्षक पाठ्यपुस्तक लेने रायपुर डिपो पहुंचे थे। सुबह 8 बजे से लाइन लग गई थी। लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें बताया गया कि किताबें तभी मिलेंगी, जब हर किताब को स्कैन किया जाएगा।
यह सुनते ही हड़कंप मच गया। हर स्कूल को अपने सैकड़ों बच्चों के लिए हज़ारों किताबें लेनी थीं, जिन्हें एक-एक कर स्कैन करना था। ऊपर से सर्वर बार-बार डाउन हो रहा था। इससे काम की गति बेहद धीमी हो गई।
स्कैनिंग का झंझट, शिक्षक परेशान
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सर्वर की खराबी के चलते एक स्कूल को 7-8 घंटे तक स्कैनिंग में लग गए
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30 स्कूलों को ही पहले दिन किताबें मिल पाईं, बाकी वहीं रुक गए
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रात हो गई, पर इंतज़ार खत्म नहीं हुआ
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भूखे-प्यासे शिक्षक जमीन पर बैठे, कोई सुविधा नहीं थी
♂️ कांकेर से पहुंचे शिक्षक भी फंस गए, सब्र का बांध टूटा
अगले दिन कांकेर जिले के निजी स्कूलों के शिक्षक भी रायपुर डिपो पहुंचे। जब उन्हें भी यही हालात देखने को मिले तो वे भड़क उठे। कई शिक्षक किताबें लिए बिना लौट गए, लेकिन जो दूर-दराज से आए थे, उन्हें अपनी बारी का घंटों इंतज़ार करना पड़ा।
जब हालात बेकाबू हुए तो शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मौके पर पहुंची तहसीलदार और पुलिस टीम ने समझाइश दी, तब जाकर मामला शांत हुआ।
⚖️ सरकारी स्कूलों को विशेष सुविधा, निजी स्कूलों के साथ भेदभाव?
प्राइवेट स्कूल संचालक संघ के अध्यक्ष सुबोध राठी ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा—
“सरकारी स्कूलों की किताबें सीधे संकुल केंद्रों पर पहुंचाई गईं, वहीं से स्कूलों को बांटी गईं। लेकिन निजी स्कूलों के शिक्षकों को 150 किलोमीटर बुलाकर लाइन में बिठाया गया। क्या हमारा सम्मान कुछ नहीं?”
तीन दिन लगेंगे एक स्कूल को – फिंगेश्वर से पहुंचे शिक्षक का बयान
किशनलाल साहू, जो फिंगेश्वर से आए थे, ने कहा—
“हम सुबह 10 बजे पहुंचे, लेकिन किताब रात 10 बजे मिली। अब भी बहुत सी किताबों की स्कैनिंग बाकी है। ऐसा लगा जैसे शिक्षक नहीं, कोई लोडर हैं।”
निगम ने दी सफाई – बारकोड सिस्टम से गड़बड़ी रोकने का प्रयास
इस मामले में पाठ्यपुस्तक निगम रायपुर की नोडल अधिकारी नेहा कौशिक ने कहा:
“सरकार के निर्देश पर इस बार हर पुस्तक पर बारकोड लगाया गया है, ताकि भविष्य में अनियमितता रोकी जा सके। कुछ तकनीकी खामियां सामने आई हैं, जिन्हें सुधारा जा रहा है।”