बिना परमिट दौड़ रही 1143 बसें! छत्तीसगढ़ में बड़ा खुलासा, परिवहन विभाग ने जारी किए नोटिस

Spread the love

रायपुर। छत्तीसगढ़ में यात्री परिवहन को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। 1,143 बसें ऐसी पाई गई हैं जो या तो बिना परमिट चल रही हैं या जिनके परमिट सालों पहले समाप्त हो चुके हैं। परिवहन विभाग ने अब इन सभी बस मालिकों और संचालकों को नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब देने का निर्देश दिया है।

इस पूरे मामले ने परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार को इस लापरवाही के चलते करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।


क्या है नियम और कब तक वैध होता है परमिट?

मोटरयान अधिनियम 1988 के तहत हर यात्री बस के परमिट की वैधता अधिकतम 5 वर्षों तक होती है।
नवीनीकरण के लिए परमिट की समाप्ति से 15 दिन पहले आवेदन अनिवार्य होता है।

हर परमिट के नवीनीकरण पर वही शुल्क देना होता है जो नए परमिट के लिए देय होता है। लेकिन कई बस मालिकों ने न तो समय पर नवीनीकरण कराया और न ही संचालन बंद किया।


1143 बसों को भेजा गया नोटिस, जवाब देने 7 दिन की मोहलत

परिवहन विभाग ने सभी 1143 बसों की एक सूची तैयार कर उनके मालिकों को नोटिस भेजा है। इसमें यह भी कहा गया है कि—

  • यदि परमिट का नवीनीकरण किया जा चुका है, तो दस्तावेजों के साथ सबूत जमा करें

  • यदि परमिट समर्पित किया गया है, तो उसकी ऑफलाइन रसीद विभाग में प्रस्तुत करें

  • जवाब 7 दिन के भीतर देना अनिवार्य है

  • संतोषजनक उत्तर न मिलने पर परमिट रद्द किया जाएगा


⚠️ उड़न दस्तों और नाकों की लापरवाही भी उजागर

परिवहन विभाग राज्य भर में दर्जनों चेक पोस्ट और उड़न दस्ते संचालित करता है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर गाड़ियां बिना परमिट कैसे चल रही थीं?

क्या यह अधिकारियों की जानबूझकर अनदेखी है या मिलीभगत? यह एक बड़ा सवाल बन गया है।


राजस्व नुकसान: करोड़ों का घाटा सरकार को

प्रत्येक परमिट नवीनीकरण के माध्यम से सरकार को शुल्क के रूप में आय प्राप्त होती है। अनुमान है कि इन 1143 बसों से जुड़े नवीनीकरण न होने की स्थिति में सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।


सरकार को अब क्या करना चाहिए?

  • दोषी अधिकारियों की जांच हो

  • उड़न दस्तों और जांच चौकियों की जवाबदेही तय हो

  • बिना परमिट वाहन संचालन पर सख्त कार्रवाई की जाए

  • नियमों को डिजिटल ट्रैकिंग से जोड़ा जाए


निष्कर्ष: सिस्टम में सुधार की जरूरत

यह मामला सिर्फ नियम उल्लंघन का नहीं, बल्कि सड़क सुरक्षा, सार्वजनिक संसाधनों और शासन की जवाबदेही से भी जुड़ा है। सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियां न दोहराई जाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *