छत्तीसगढ़: पाठ्यपुस्तक वितरण में तकनीकी अड़चनें, प्राइवेट स्कूलों को बारकोड स्कैनिंग के लिए 7 दिन का समय

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रायपुर, 4 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ में इस साल शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में ही मुफ्त पाठ्यपुस्तकों के वितरण को लेकर तकनीकी समस्याएं सामने आई हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए सभी प्राइवेट स्कूलों को 7 दिन के भीतर बारकोड स्कैनिंग पूरी करने का निर्देश दिया है। स्कैनिंग पूरी होने के बाद ही किताबें उन्हें उपलब्ध कराई जाएंगी।


इस साल क्या नया है?

इस बार सरकार ने वितरण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए हर किताब पर दो बारकोड लगाए हैं:

  • पहला बारकोड प्रिंटिंग प्रेस (प्रिंटर) की पहचान के लिए है।

  • दूसरा बारकोड उस विद्यालय की पहचान के लिए है, जहां वह किताब भेजी गई है।

यह व्यवस्था पिछले वर्षों में हुई अनियमितताओं और गड़बड़ियों को रोकने के उद्देश्य से शुरू की गई है।


अब तक क्या हुआ?

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष राजा पांडेय के अनुसार:

  • इस वर्ष कुल 2.41 करोड़ किताबें मुद्रित की गई हैं।

  • ये किताबें 17-18 जून तक सभी जिला डिपो में पहुंचा दी गईं।

  • सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं और 10वीं की किताबें पहले ही पहुंचा दी गई हैं।

  • 90% बारकोड स्कैनिंग का काम सरकारी स्कूलों में पूरा हो चुका है।

  • आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 60% किताबें पहुंच चुकी हैं।


प्राइवेट स्कूलों के लिए नई चुनौती

इस वर्ष प्राइवेट स्कूलों को किताबें डिपो से तभी दी जाएंगी जब वे स्कैनिंग खुद अपने स्तर पर पूरा करेंगे। इससे पहले यह काम शिक्षा विभाग करता था। लेकिन अब बारकोड स्कैनिंग को अनिवार्य कर दिया गया है।

क्यों हो रही हैं दिक्कतें?

  • डिपो में जगह की कमी

  • स्कैनिंग तकनीक की समझ में कमी

  • तकनीकी स्टाफ का अभाव

इसके कारण किताब वितरण में देरी हो रही है। खासकर सरस्वती शिक्षा मंदिर जैसे 1,100 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों को किताबें नहीं मिल पा रही हैं।


मुख्यमंत्री का सख्त निर्देश

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने तत्काल निर्णय लेते हुए आदेश जारी किया है:

“प्रत्येक निजी विद्यालय 7 दिन के भीतर अपने स्कूल में बारकोड स्कैनिंग पूरी करे और इसके बाद ही डिपो से पुस्तकें प्राप्त करे।”

जिला शिक्षा अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है कि वे इस कार्य की निगरानी करें और समयसीमा में पूरी प्रक्रिया सुनिश्चित करें।


सरकार का उद्देश्य

यह कदम सरकारी वितरण व्यवस्था में:

  • पारदर्शिता

  • जवाबदेही

  • डिजिटल ट्रैकिंग

को सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।


निष्कर्ष

सरकार के नए प्रयासों से उम्मीद की जा रही है कि छात्रों तक समय पर और सही किताबें पहुंचेंगी। हालांकि, तकनीकी चुनौतियों को दूर करने के लिए डिपो स्तर पर बेहतर प्रशिक्षण और संसाधन की जरूरत बनी हुई है।

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