बेमेतरा/अंबिकापुर | 4 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ में एक ही दिन दो चौंकाने वाली ठगी की घटनाएं सामने आई हैं।
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बेमेतरा जिले के नवागढ़ में एक डेयरी संचालक ने 20 से अधिक व्यापारियों से पारिवारिक परेशानी का बहाना बनाकर करीब 50 लाख रुपये की ठगी की।
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वहीं अंबिकापुर में एक CRPF के सब-इंस्पेक्टर साइबर ठगों के झांसे में आकर 22 लाख रुपये गवां बैठे।
दोनों ही मामलों ने आम लोगों से लेकर अधिकारियों तक को हिला कर रख दिया है।
नवागढ़ में डेयरी संचालक ने व्यापारियों से की 50 लाख की ठगी
बेमेतरा जिले के नवागढ़ कस्बे में डेयरी व्यवसाय करने वाले दुर्गेश गुप्ता पर ठगी का बड़ा आरोप लगा है। वह नगर के प्रतिष्ठित व्यापारियों से पारिवारिक संकट का बहाना बनाकर उधारी में लाखों रुपये लेकर फरार हो गया।
ठगी का पूरा खेल
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दुर्गेश ने नगर के 20 से अधिक व्यापारियों से धीरे-धीरे रकम उधार ली।
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कुल ठगी की राशि करीब 45 से 50 लाख रुपये आंकी गई है।
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लोगों का विश्वास जीतने के बाद उसने चुपचाप नवागढ़ छोड़ दिया।
व्यापारियों का गुस्सा और शिकायत
जब महीनों तक पैसा नहीं लौटाया गया और संपर्क भी बंद हो गया, तो व्यापारियों ने एकजुट होकर नवागढ़ थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़ित व्यापारी आरोपी की गिरफ्तारी और अपनी राशि की वापसी की मांग कर रहे हैं।
अंबिकापुर में CRPF SI से साइबर ठगों ने ऐंठे 22 लाख रुपये
दूसरी तरफ, सरगुजा जिले के अंबिकापुर में एक CRPF सब-इंस्पेक्टर साइबर ठगों के शातिर जाल में फंस गए।
उनसे आधार कार्ड और सिम से जुड़ी फर्जी FIR का डर दिखाकर 17 दिनों में 22 लाख रुपये हड़प लिए गए।
कैसे रची गई साजिश?
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अज्ञात कॉलर ने खुद को टेलीकॉम विभाग, दिल्ली का अधिकारी “रविशंकर” बताया।
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उसने कहा कि SI के आधार से जारी एक सिम कार्ड से गैरकानूनी गतिविधियां की जा रही हैं।
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कॉलर ने धमकी दी – “आपका नंबर बंद हो जाएगा और केस दिल्ली पुलिस को भेजा जाएगा।”
डर के साए में लगातार संपर्क
CRPF अधिकारी डर और भ्रम में आकर लगातार 17 दिनों तक ठगों के संपर्क में रहे और किश्तों में 22 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए।
FIR दर्ज, जांच जारी
जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ, तो उन्होंने गांधीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। फिलहाल पुलिस और साइबर सेल मामले की जांच कर रही है।
⚠️ सावधान रहें, सतर्क रहें
छत्तीसगढ़ में इन दोनों घटनाओं ने एक बार फिर चेताया है कि —
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ठगी अब सिर्फ कमजोर वर्ग तक सीमित नहीं, बल्कि अधिकारी, व्यापारी और शिक्षित वर्ग भी निशाना बन रहे हैं।
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डिजिटल फ्रॉड अब नई-नई तकनीकों के सहारे मासूम लोगों को जाल में फंसा रहा है।
सरकार और पुलिस को चाहिए कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरूक करें।