रायपुर। ट्रेन में सफर के दौरान एसी कोच की सुख-सुविधाओं का आनंद उठाने वाले यात्रियों की एक बड़ी संख्या बेडशीट, कंबल, टॉवेल और तकिए जैसे सामान चोरी कर घर ले जा रही है। यह शर्मनाक चलन भारतीय रेलवे के सामने बड़ी चुनौती बन चुका है। हैरानी की बात यह है कि इस चोरी की भरपाई ट्रेन में सेवा देने वाले कोच अटेंडेंट की सैलरी से की जा रही है।
हर महीने 3 लाख का सामान चोरी, 73 लाख का कुल नुकसान!
रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, पिछले ढाई सालों में करीब ₹72.89 लाख का सामान एसी कोचों से चोरी हुआ है। रायपुर रेल मंडल की ट्रेनों में हर महीने औसतन ₹3 लाख के कंबल, बेडशीट, टॉवेल और पिलो कवर चोरी हो जाते हैं।
यह सब उस सिस्टम के तहत हो रहा है जिसमें ट्रेन के रवाना होने से पहले ठेका एजेंसी द्वारा सभी सामान की गिनती होती है और वापसी पर फिर गिनकर सौंपना होता है। यदि कोई सामान कम मिलता है तो एजेंसी पर पेनाल्टी लगती है और वह पेनाल्टी सीधे अटेंडेंट की सैलरी से काटी जाती है।
क्या कहते हैं अटेंडेंट?
रायपुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस के एक कोच अटेंडेंट विकास जायसवाल ने बताया:
“हमारी सैलरी 20,000 है। लेकिन महीने के अंत में बेडशीट, टॉवेल और तकिए की कटौती के बाद केवल 10-12 हजार ही हाथ में आता है। अब तक मेरी ट्रेन से 40 बेडशीट, 25 पिलो और 26 फेस टॉवेल गायब हो चुके हैं।”
एक अन्य अटेंडेंट आकाश कुमार बताते हैं:
“अगर कोई यात्री रेलवे में शिकायत कर दे कि उसे सामान नहीं मिला, तो हम पर ₹2000 का फाइन लग जाता है और एक हफ्ते तक ड्यूटी से भी हटा दिया जाता है। उस हफ्ते की सैलरी भी नहीं मिलती।”
क्यों नहीं मिल रहा टॉवेल?
बढ़ती चोरी की घटनाओं से परेशान होकर अब कई अटेंडेंट यात्रियों को फेस टॉवेल देना बंद कर चुके हैं। अटेंडेंट बताते हैं कि—
“नियम में टॉवेल देना अनिवार्य है, लेकिन अगर यात्री खुद न मांगे तो हम नहीं देते, क्योंकि चोरी होने पर हमें ही भुगतना पड़ता है।”
रायपुर मंडल की लंबी दूरी की 14 ट्रेनें सबसे ज्यादा प्रभावित
रायपुर रेल मंडल से चलने वाली 14 लंबी दूरी की ट्रेनों में यह समस्या अधिक देखने को मिल रही है। अकेले साल 2023 में 39 लाख और 2024 में 30 लाख रुपए का कंबल, बेडशीट और अन्य सामान चोरी हुआ।
️ कितनी होती है एक यूनिट की कीमत?
रेलवे द्वारा ठेका एजेंसी को दिए गए दामों के अनुसार:
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बेडशीट – ₹120 प्रति यूनिट
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फेस टॉवेल – ₹45 प्रति यूनिट
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पिलो कवर – ₹35 प्रति यूनिट
यही रकम अटेंडेंट की सैलरी से महीने के अंत में काट ली जाती है, चाहे सामान उसकी गलती से चोरी हुआ हो या नहीं।
रोकने के लिए नया नियम: स्टेशन पहुंचने से पहले समेटना होगा सामान
अब रेलवे ने आदेश जारी किया है कि ट्रेन के स्टेशन पहुंचने से 15 मिनट पहले सभी सामान इकट्ठा कर लिया जाए। अटेंडेंट को ट्रेन में ही सारा लेखा-जोखा करना होगा ताकि चोरी की घटनाओं को कम किया जा सके।
शर्मनाक प्रवृत्ति, जिम्मेदारी किसकी?
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन सुविधाओं को रेलवे यात्रियों की सुविधा के लिए देता है, वही यात्री उनका दुरुपयोग करके रेल कर्मचारियों की जेब पर भार डाल रहे हैं। इससे न सिर्फ रेलवे को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों का मनोबल भी गिर रहा है।