जहां से बहती है जीवनधारा, वहीं से बदलेगी तस्वीर: सिहावा में महानदी संरक्षण का नया अध्याय

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नगरी/सिहावा, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा महानदी, जो सदियों से जनजीवन, संस्कृति और कृषि को सींचती आई है — अब खुद संरक्षण और सौंदर्यीकरण के ऐतिहासिक दौर से गुजर रही है। ‘माँ महानदी महाअभियान’ के अंतर्गत, सिहावा के श्रृंगी ऋषि पर्वत की गोद से बहने वाली इस नदी को सजाने-संवारने की दिशा में जिला प्रशासन ने प्रेरक और नवाचार से भरे कदम उठाए हैं।


धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सुंदरता की जीवंत चित्रकारी

उद्गम स्थल गणेश घाट की चट्टानों पर जब श्रृंगी ऋषि, सप्त ऋषि, वन्य जीव-जंतु और भगवान शिव, नंदी की चित्रकारी उकेरी गई, तो यह स्थान सिर्फ नदी का उद्गम स्थल नहीं रहा — यह एक जीवित विरासत में बदल गया।

इन चट्टानों पर बनाई गई रंग-बिरंगी कलाकृतियाँ न केवल छत्तीसगढ़ की संस्कृति और जैव विविधता को दर्शाती हैं, बल्कि हर उस आगंतुक को चमत्कृत कर रही हैं जो यहाँ आता है। यह क्षेत्र अब “सेल्फी पॉइंट” के रूप में युवाओं और पर्यटकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।


श्रद्धा, इतिहास और पर्यटन का संगम

कलेक्टर अविनाश मिश्रा के नेतृत्व में शुरू हुआ यह अभियान एक दृष्टिकोण का बदलाव है। उनके अनुसार:

“हम न केवल नदी को साफ और सुंदर बना रहे हैं, बल्कि अमरकंटक की तर्ज पर सिहावा को एक आध्यात्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर रहे हैं।”

कर्णेश्वर धाम जैसे हजारों वर्षों पुराने मंदिर, पौराणिक गाथाएं, और वनांचल की प्राकृतिक शांति — इन सबको एक साथ जोड़कर यहाँ सांस्कृतिक पर्यटन को नई पहचान दी जा रही है।


जल, जंगल, जमीन का समन्वय: रिवर कंजर्वेशन की मिसाल

सिर्फ सौंदर्यीकरण ही नहीं, बल्कि लगभग 30 किलोमीटर तक नदी की सफाई, तट संरक्षण, वृक्षारोपण और जल प्रबंधन जैसे ठोस कदम भी उठाए गए हैं। यह सिर्फ पर्यावरणीय कार्य नहीं, बल्कि एक जन-जागरण है।

नगरी क्षेत्र की उपयुक्त जलवायु को देखते हुए अब नारियल के पौधे भी लगाए जा रहे हैं — जो न केवल पर्यावरण को समृद्ध करेंगे, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का नया जरिया भी बनेंगे।


एक नया पर्यटन केंद्र: कैमरे, श्रद्धा और चेतना का संगम

गणेश घाट पर इन दिनों कोई भी आगंतुक बिना तस्वीर खींचे नहीं लौटता। सेल्फी पॉइंट बन चुके इन चित्रों के आगे लोग रुकते हैं, प्रकृति की कहानी पढ़ते हैं, और छत्तीसगढ़ की आत्मा को महसूस करते हैं।

“हमारे पास महानदी की एक कहानी है, जिसे हम रंगों और संस्कारों के जरिए दुनिया के सामने रख रहे हैं।” — जिला प्रशासन


मुख्य विशेषताएं एक नजर में:

विषय विवरण
अभियान का नाम माँ महानदी महाअभियान
स्थान सिहावा-नगरी, जिला धमतरी
नेतृत्व कलेक्टर अविनाश मिश्रा
कार्य सौंदर्यीकरण, चित्रकारी, वृक्षारोपण, जल संरक्षण
आकर्षण श्रृंगीऋषि पर्वत, गणेश घाट, कर्णेश्वर धाम
उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण + धार्मिक पर्यटन विकास
परिणाम पर्यटन में वृद्धि, रोजगार के अवसर, सांस्कृतिक पुनर्जागरण

आपका एक कदम, महानदी की दिशा बदल सकता है!

छत्तीसगढ़ की महानदी, अब संरक्षण, चेतना और संस्कृति की प्रतीक बन रही है। इस पहल से यह साफ हो गया है कि जब शासन और समाज साथ चलते हैं, तो नदियों की धाराएं भी नई दिशा ले सकती हैं।

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