मुख्य बिंदु:
✅ नैनो डीएपी एक किफायती, प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल तरल उर्वरक है।
✅ पारंपरिक डीएपी की तुलना में कम लागत और अधिक पोषण प्रदान करता है।
✅ छत्तीसगढ़ सरकार ने खरीफ 2025 के लिए नैनो डीएपी और वैकल्पिक उर्वरकों का पर्याप्त भंडारण किया है।
✅ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसे खेती के लिए लाभकारी बताया है।
✅ किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता शिविरों के माध्यम से उपयोग की विधि बताई जा रही है।
रायपुर, 08 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ सरकार खरीफ 2025 के लिए किसानों को रासायनिक उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार सक्रिय है। इस बार डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की संभावित कमी को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने इसका व्यवहारिक और प्रभावशाली विकल्प – नैनो डीएपी – किसानों के लिए उपलब्ध कराया है।
राज्य सरकार ने न केवल नैनो डीएपी, बल्कि एनपीके (NPK) और सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का भी लक्ष्य से अधिक भंडारण कराया है। इसका उद्देश्य किसानों को उर्वरक की कमी से होने वाले नुकसान से बचाना है।
क्या है नैनो डीएपी और क्यों है यह खास?
नैनो डीएपी एक अत्याधुनिक, तरल और सूक्ष्म कणों वाला उर्वरक है, जो पौधों को सीधे पत्तियों के माध्यम से पोषक तत्व देने में सक्षम है। इसके उपयोग से:
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खेती की लागत में कमी आती है
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फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन बेहतर होता है
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पोषक तत्वों का तुरंत अवशोषण होता है
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यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होता है
उदाहरण के तौर पर, एक एकड़ धान की खेती में पारंपरिक डीएपी की एक बोरी की लागत लगभग 1350 रुपये होती है, जबकि नैनो डीएपी और 25 किलो ठोस डीएपी के मिश्रण की लागत केवल 1275 रुपये आती है। यानी लागत कम, लाभ अधिक।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का समर्थन
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के वैज्ञानिकों ने नैनो डीएपी की उपयोगिता को प्रमाणित करते हुए इसे अपनाने की सिफारिश की है। उनके अनुसार, एक एकड़ धान की खेती के लिए नैनो डीएपी की उपयोग विधि इस प्रकार है:
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बीज उपचार:
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30 किलो बीज को
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150 मिली नैनो डीएपी + 3 लीटर पानी में मिलाकर
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30 मिनट तक भिगोना और छांव में सुखाना
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फिर बुआई करें
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रोपाई के समय:
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50 लीटर पानी में 250 मिली नैनो डीएपी मिलाएं
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थरहा की जड़ों को 30 मिनट डुबोएं
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इसके बाद रोपाई करें
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फसल के 30 दिन बाद:
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125 लीटर पानी में 250 मिली नैनो डीएपी मिलाकर
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खड़ी फसल पर स्प्रे करें
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इस पूरी प्रक्रिया से पौधों को उचित पोषण मिल जाता है और फसल की वृद्धि बेहतर होती है।
सरकार की तैयारी और समर्थन
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार कृषि विभाग ने नैनो डीएपी और अन्य वैकल्पिक उर्वरकों का पर्याप्त भंडारण राज्य की समितियों में सुनिश्चित किया है। साथ ही, किसानों के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे वे इन उर्वरकों के सही उपयोग के बारे में जान सकें।
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे ठोस डीएपी की कमी को देखते हुए नैनो डीएपी, एनपीके और एसएसपी जैसे उर्वरकों का उपयोग करें।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम राज्य के किसानों के लिए खेती को आसान, सस्ता और अधिक उत्पादनकारी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। नैनो डीएपी न केवल डीएपी का स्मार्ट विकल्प है, बल्कि यह आधुनिक कृषि की ओर एक मजबूत कदम भी है।