शहर की दुकानें अब तक बंद नहीं की
राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही नवा रायपुर में बनने वाले राज्य के सबसे बड़े होलसेल कॉरीडोर पर संकट के बादल छा गए हैं। कारोबारी ही इसे लेकर दो भागों में बंट गए हैं। चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व पदाधिकारी खुलकर विरोध में आ गए हैं। 10 से ज्यादा कारोबारी संगठनों ने इस प्रोजेक्ट की मुखालफत शुरू कर दी है।
उनका तर्क है- जिनके पास अलग-अलग थोक बाजारों में दुकानें उन्हें फिर दे रहे। पात्र- अपात्र का कोई मापदंड नहीं तय नहीं। इसलिए पूरा प्रोजेक्ट नए सिरे से बनना चाहिए। इस पूरे घटनाक्रम को प्रदेश की राजनीति में हुए बदलाव से जोड़कर देखा जा रहा है। बदली हुई परिस्थिति को भांपते हुए अफसरों ने थोक बाजार से संबंधित फाइल को एक तरह डंप कर दिया है।
कांग्रेस सरकार ने भी अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में चुनावी आचार संहिता लगने ठीक पहले इस थोक बाजार के लिए 1000 एकड़ जमीन का लैंड यूज चेंज किया था। अब सरकार बदलने के साथ ही दस से ज्यादा व्यापारिक संगठनों ने इस योजना का कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा विरोध चैंबर के पूर्व पदाधिकारी ही कर रहे हैं। इस लिस्ट में शहर के बड़े व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी भी जुड़ गए हैं। छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन ने इस मामले को नए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तक पहुंचा दिया है।
बड़े राजनेताओं की जमीन होने की चर्चा
होलसेल कॉरीडोर के दायरे में और उसके आस-पास कुछ बड़े नेताओं और रसूखदारों की जमीन होने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि कॉरीडोर के लिए जगह का चयन सुनियोजित तरीके से किया गया है, ताकि कुछ खास लोगों को फायदा हो और उनकी जमीन की कीमत भी बढ़ जाए।
7866 दुकानों के लिए दिया है आवेदन
होलसेल कॉरीडोर के लिए 85 व्यापारी संगठनों ने 7866 से ज्यादा दुकानों की डिमांड की थी। बाद में यह लिस्ट बढ़ती ही जा रही थी। छत्तीसगढ़ चैंबर का दावा है कि राजधानी में थोक और चिल्हर का कारोबार अलग-अलग इलाकों में हो रहा है। इस वजह से बड़ी संख्या में बाजारों को शिफ्ट करना है।
डूमरतराई थोक बाजार में जिन कारोबारियों को पहले ही दुकानें दी जा चुकी हैं उन्हें फिर से नवा रायपुर में भी दुकानें दी जा रही हैं। बिना किसी ठोस नियम-कायदे के नाम तय कर लिए गए हैं। पूरी योजना फिर से बननी चाहिए। योगेश अग्रवाल, प्रदेशाध्यक्ष छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन
नए होलसेल कॉरीडोर में दुकानों के आवंटन के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। कौन व्यापारी पात्र होगा और कौन नहीं यह तक नहीं बताया गया। इस पूरी योजना पर पुनर्विचार होना चाहिए, नई योजना पर ही काम करें।हरख मालू, पूर्व अध्यक्ष रायपुर सराफा एसोसिएशन
जिन्हें दुकानों की जरूरत अनिवार्य है उन्हें दुकानें नहीं दे रहे हैं। मनमर्जी से लिस्ट तैयार की गई। पहले जिन्होंने आपत्ति की उनके नाम भी हटा दिए। नए सिरे से योजना बनाएं और ओपन आवेदन मंगाए जाए। राजेश वासवानी, प्रदेशाध्यक्ष छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन
इसे कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। एक हजार एकड़ जमीन का लैंड यूज चेंज हो चुका है। इसलिए यह योजना हर हाल में पूरी होगी। योजना में कुछ बदलाव करना है तो सुझाव मंगाए जा सकते हैं। इस पर कोई आपत्ति नहीं है। अमर पारवानी,प्रदेशाध्यक्ष छत्तीसगढ़ चैंबर
नया होलसेल कॉरीडोर बनने से पहले डूमरतराई में थोक बाजार बनाया गया था। यहां 650 से ज्यादा दुकानें थोक कारोबारियों को दी गई थी। लेकिन व्यापारियों ने डूमरतराई में दुकानें लेने के बावजूद शहर से कारोबार बंद नहीं किया। इस वजह से डूमरतराई थोक बाजार बनने का शहर के ट्रैफिक या बाकी कामों पर कोई असर नहीं हुआ। इसलिए इस बार नियम और सख्त करने के लिए कहा जा रहा है। ताकि जिन कारोबारियों को दुकानें मिले उन्हें शहर से अपना कारोबार बंद करना होगा। इसी शर्त पर ही दुकानों का आवंटन होना चाहिए।