बिलासपुर। रिपोर्ट – पंकज गुप्ते।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि किसी शासकीय कर्मचारी के खिलाफ एक ही आरोप पर आपराधिक मामला न्यायालय में लंबित होने की स्थिति में विभागीय जांच एक साथ नहीं चलाई जा सकती। कोर्ट ने रायपुर के एएसआई एस.बी. सिंह के मामले में यह ऐतिहासिक आदेश पारित किया है।
क्या है पूरा मामला?
रायपुर निवासी एएसआई एस.बी. सिंह के खिलाफ 18 मार्च 2025 को उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय दंड संहिता की धारा 74 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी। इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के समक्ष आपराधिक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसके बाद 29 मई 2025 को पुलिस अधीक्षक रायपुर ने उनके खिलाफ विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी।
हालांकि, एएसआई सिंह ने इस विभागीय कार्रवाई को बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी और रिट याचिका दायर की।
याचिका में क्या दलील दी गई?
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह निर्णय दे चुका है कि एक ही प्रकरण में समान आरोपों को लेकर दोहरी कार्यवाही — आपराधिक और विभागीय — एक साथ नहीं चलाई जा सकती। याचिकाकर्ता ने SBI बनाम नीलम नाग केस का हवाला देते हुए यह बात रखी।
हाईकोर्ट का आदेश:
बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए 8 जुलाई 2025 को आदेश पारित कर एएसआई एस.बी. सिंह के विरुद्ध चल रही विभागीय जांच पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। अदालत ने माना कि लंबित आपराधिक मामले के समानांतर विभागीय कार्रवाई उचित नहीं है और इससे निष्पक्षता पर प्रश्न खड़े हो सकते हैं।
इस फैसले के क्या हैं व्यापक प्रभाव?
यह निर्णय सिर्फ एएसआई सिंह के लिए ही नहीं, बल्कि राज्यभर के उन शासकीय कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है जिनके खिलाफ एक ही आरोपों में आपराधिक केस और विभागीय जांच एकसाथ चल रही है। अब यह आदेश एक नजीर (precedent) के तौर पर भविष्य के मामलों में प्रस्तुत किया जा सकेगा।