छत्तीसगढ़ में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत हुए मुआवजा फर्जीवाड़े की जांच सुस्त पड़ गई है। जांच के लिए बनाई गई चार समितियों में से किसी ने भी तय समयसीमा में रिपोर्ट नहीं सौंपी। अब इस लापरवाही पर संभागायुक्त ने सख्त रुख अपनाते हुए जांच अफसरों को नोटिस देने की तैयारी कर ली है।
दरअसल, इस घोटाले में प्रभावित लोगों से दावा-आपत्तियां मंगाई गई थीं, जिनकी जांच के लिए संभागायुक्त ने 15 जून 2025 को 16 अफसरों की चार टीमें बनाई थी। इन्हें 15 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन डेढ़ महीने बीत जाने के बावजूद किसी भी टीम ने रिपोर्ट तैयार नहीं की है।
सूत्रों के मुताबिक, जिन अफसरों पर घोटाले में संलिप्तता के आरोप लग रहे हैं, वे अब रसूखदारों से फोन करवाकर जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। नतीजतन, जांच प्रक्रिया को जानबूझकर टालने का प्रयास हो रहा है ताकि मामला ठंडे बस्ते में चला जाए।
जांच समितियों में अपर कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदारों को शामिल किया गया है। उन्हें उन एसडीएम, तहसीलदार, आरआई और पटवारियों की सूची बनानी थी जो मुआवजा वितरण के समय मौके पर कार्यरत थे, साथ ही उनके कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार करनी थी।
अब कमिश्नर स्तर पर निर्देश दिए गए हैं कि रिपोर्ट न देने वाले अफसरों से जवाब-तलब किया जाए। संतोषजनक जवाब न मिलने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। मंत्रालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई केवल जांच रिपोर्ट के आधार पर ही होगी।
अब तक की स्थिति:
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जांच समिति बनी: 15 जून 2025
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रिपोर्ट देनी थी: 15 जुलाई 2025
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टीमों की संख्या: 4 समितियां (16 अफसर)