भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस की नाकेबंदी: चैतन्य की गिरफ्तारी के विरोध में हाईवे पर धरना!

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शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस ने मंगलवार को राज्यभर में आर्थिक नाकेबंदी की। दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा और बस्तर संभाग की प्रमुख सड़कों पर कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता धरने पर बैठे। राजधानी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समर्थकों के साथ वीआईपी तिराहे पर डटे रहे।

भूपेश बघेल ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “छत्तीसगढ़ की सरकार अहमदाबाद से चलाई जा रही है। षड्यंत्र के तहत जल-जंगल-जमीन को लूटा जा रहा है। भाजपा सरकार बनते ही सरगुजा और तमनार में जंगल कटवा दिए गए। पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है, लेकिन हसदेव अरण्य क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कोई एफआईआर नहीं हुई।”

उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ की प्रकृति और संसाधनों को बचाने की लड़ाई बताया। इस आंदोलन में पार्टी के शीर्ष नेता अलग-अलग संभागों में सड़क पर उतरे। पीसीसी चीफ दीपक बैज बस्तर में, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत बिलासपुर-जांजगीर में, भूपेश बघेल रायपुर में और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव अंबिकापुर में चक्काजाम में शामिल हुए।

कांग्रेस नेताओं के बीच सड़क पर ही भिड़ंत, सुशील शुक्ला और गिरीश दुबे के बीच गर्मा-गर्मी

आर्थिक नाकेबंदी के दौरान कांग्रेस के भीतर ही अंदरूनी कलह दिखी। कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला और रायपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश दुबे के बीच तीखी बहस हो गई। इस घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें दोनों नेताओं को एक-दूसरे से उलझते और कार्यकर्ताओं को बीच-बचाव करते देखा गया।

इस घटनाक्रम को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि “जब जनता कांग्रेस से नाराज हो चुकी है, अब उनके नेता भी आपस में ही लड़ रहे हैं।” भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये पार्टी अब खुद अपने अंदर से बिखर रही है।

इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि शराब घोटाले और चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी ने छत्तीसगढ़ की राजनीति को एक बार फिर गर्मा दिया है। कांग्रेस जहां इसे साजिश बता रही है, वहीं भाजपा इसे कानून का पालन बता रही है। आगामी दिनों में यह मामला और भी राजनीतिक तूल पकड़ सकता है।

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