राजधानी रायपुर में वन विभाग इस साल एक पौधा नहीं लगा रहा है। क्योंकि इसके लिए सरकारी तौर पर खाली जगह ही नहीं है। नवा रायपुर में भी जगह की कमी के कारण ही कटौती करनी पड़ गई है। इस साल मानसूनी सीजन में नवा रायपुर में 43 हजार पौधे रोपने का प्लान था, लेकिन सर्वे के बाद 23 हजार ही लगाने का निर्णय लिया गया। पौधरोपण भी नवा रायपुर में किसी एक खास इलाके में ऑक्सीजोन के कांसेप्ट पर नहीं किया जाएगा। यानी झुंड में एक जगह नहीं होगा। रोड किनारे की खाली जगह पर रोपण किया जाएगा।
इस साल पहली बार नवा रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी एनआरडीए नहीं वन विकास निगम को पौधारोपण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वन विभाग फिलहाल सरकारी एजेंसियों और सामाजिक संस्थाओं को पौधा बांटने पर फोकस कर रहा है। पौधे तैयार कर संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों के दफ्तर तक पहुंचाकर दिए जा रहे हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण किया जा सके। नवा रायपुर में इस बार पहली बार पौधारोपण की जिम्मेदारी मिलने के बाद इसके लिए सर्वे का काम पूरा कर लिया है।
पौधे लगाने नवा रायपुर की अलग-अलग 13 सड़कों का चयन किया गया है। इनमें कुछ सड़क पुलिस मुख्यालय और स्वास्थ्य भवन की ओर आने वाली हैं। कुछ सड़कें सेक्टर-27 की ओर हैं। सर्वे के अनुसार मंत्रालय और एचओडी बिल्डिंग के आस-पास के इलाकों और सड़कों के किनारे पौधारोपण पहले ही किया जा चुका है।
नीम, करंज और कचनार जैसे पौधे ही ज्यादा रोपे जाते हैं क्योंकि…
वन विभाग सरकारी तौर पर नीम, करंज, कचनार, बादाम और जारुल पौधों का ज्यादा रोपण करवा रहा है, क्योंकि स्थानीय होने के कारण इन पौधों की ग्रोथ में ज्यादा दिक्कत नहीं आती और ये आसानी से बढ़ते हैं। फलदार होने के साथ ही ये पौधे छायादार होते हैं।
कलेक्टर पहुंचवा रहे पौधे
जिला प्रशासन स्तर पर जरूर शहर में पौधारोपण का अतिरिक्त प्रयास किया जा रहा है। कलेक्टर गौरव सिंह स्कूलों, सामाजिक संस्थाओं के साथ वे अस्पताल परिसर में पौधा रोपण करवा रहे हैं। इसके लिए पौधे पहुंचाकर दिए जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में प्रसव के बाद माता-पिता को भी पौधा रोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
1 हजार तक आता है एक पौधे में खर्च
ऑक्सीजोन के कांसेप्ट पर झुंड में पौधरोपण किया जाता है। वहां खर्च कम आता है। ये भी पौधों की साइज पर निर्भर करता है। जबकि रोड किनारे जहां एक-एक पौधों का रोपण किया जाता है वहां एक पौधे पर गड्ढे और सुरक्षा के इंतजाम मिलाकर करीब 1 हजार तक का खर्च आता है। अफसरों के अनुसार सबसे ज्यादा खर्च इकलौते पौधों की देखभाल में आता है। सुरक्षा घेरा सबसे अधिक खर्चीला है।