“डेंगू का कहर बरसात में बढ़ा: ये 10 लक्षण दिखें तो तुरंत सतर्क हो जाएं, बचाव के लिए अपनाएं 9 उपाय”

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बारिश के मौसम में डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान जगह-जगह जमा पानी एडीस एजिप्टी (Aedes Aegypti) नामक मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं। इन्हीं मच्छरों के काटने से डेंगू फैलता है, जो एक खतरनाक वायरल संक्रमण है।

डेंगू न केवल तेज बुखार का कारण बनता है, बल्कि गंभीर मामलों में यह किडनी, लिवर, लंग्स और हार्ट जैसे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। समय पर इलाज न मिलने पर डेंगू जानलेवा भी साबित हो सकता है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया में हर साल 10 से 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। इसमें से करीब 21,000 लोगों की मौत हो जाती है।

वहीं नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (NCVBDC) के अनुसार, भारत में साल 2024 में डेंगू के कुल 2,33,519 केस दर्ज हुए। इनमें से 297 लोगों की मौतें हुईं। इससे समझा जा सकता है कि डेंगू एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।

हालांकि अगर डेंगू के लक्षणों और बचाव के तरीकों को ठीक से समझ लिया जाए तो खुद को और अपने परिवार को इससे बचाया जा सकता है।

तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम डेंगू के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • बारिश में डेंगू का खतरा क्यों बढ़ जाता है?
  • इसके क्या लक्षण हैं?
  • इससे कैसे बचा जा सकता है?

    सवाल- डेंगू कैसे फैलता है?

    जवाब- जब एडीस मच्छर किसी डेंगू संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वायरस मच्छर के शरीर में चला जाता है। इसके बाद वही संक्रमित मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वायरस उस व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है और वह भी डेंगू से संक्रमित हो जाता है।

    डेंगू वायरस चार प्रकार के होते हैं DENV-1, DENV-2, DENV-3 और DENV-4। ये सभी एक ही वायरस फैमिली के अलग-अलग सीरोटाइप (serotypes) हैं।

    जब किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार से डेंगू होता है तो उसका शरीर उस विशेष प्रकार के वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी बना लेता है। लेकिन यह इम्यूनिटी अन्य प्रकारों के लिए पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है। ऐसे में अगर व्यक्ति किसी अन्य स्ट्रेन से दोबारा संक्रमित होता है तो उसे गंभीर डेंगू या डेंगू हेमोरैजिक फीवर (DHF) होने का खतरा बढ़ जाता है, जो जानलेवा भी हो सकता है।

    सवाल- मानसून में डेंगू का खतरा क्यों बढ़ जाता है?

    जवाब– इस दौरान डेंगू के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी होती है क्योंकि इस समय कूलर, पानी की टंकियों, गमलों, पुराने टायरों और छत जैसी जगहों पर पानी जमा हो जाता है, जो एडीस मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं।

    सवाल- डेंगू के मच्छर कैसे दिखते हैं?

    जवाब- डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की पहचान उनकी शरीर और पैरों पर मौजूद काले और सफेद धारियों से होती है। यह मच्छर दिखने में छोटे, लेकिन फुर्तीले होते हैं। इनके पंख पारदर्शी होते हैं और यह ज्यादा ऊंचाई तक उड़ने में सक्षम नहीं होते। यही वजह है कि ये अक्सर जमीन के पास या कम ऊंचाई वाले स्थानों पर ही दिखते हैं।

    सवाल- डेंगू के लक्षण क्या हैं?

    जवाब- डेंगू के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 4 से 10 दिन बाद दिखाई देते हैं। ये लक्षण व्यक्ति की इम्यूनिटी और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। अक्सर लोग शुरुआत में इसे सामान्य वायरल बुखार समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में गंभीर रूप ले सकता है। नीचे दिए गए ग्राफिक से डेंगू के प्रमुख लक्षणों को समझिए-

    सवाल- डेंगू का इलाज कैसे किया जाता है?

    जवाब- डेंगू वायरस का कोई खास एंटीवायरल इलाज नहीं है। इसलिए इसका उपचार लक्षणों को कंट्रोल करने और रिकवरी में मदद करने पर केंद्रित होता है। समय पर देखभाल से ज्यादातर मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

    डॉक्टर मरीज को नारियल पानी, ORS, जूस, सूप और पर्याप्त पानी जैसी लिक्विड चीजें लेने और पूरी तरह आराम करने की सलाह देते हैं। प्लेटलेट्स की निगरानी के लिए CBC टेस्ट जरूरी होता है। गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाता है, जहां डॉक्टर जरूरत पड़ने पर IV फ्लुइड्स, इलेक्ट्रोलाइट्स और प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन देते हैं।

    सवाल- डेंगू से कैसे बचा जा सकता है?

    जवाब- डेंगू से बचने के लिए मच्छरों को पनपने से रोकना और उनसे बचाव करना बेहद जरूरी है। इसके लिए घर और आसपास पानी जमा न होने दें। कूलर और गमलों की नियमित सफाई करें। दिन के समय फुल स्लीव्स के कपड़े पहनें और मच्छरदानी या रिपेलेंट का इस्तेमाल करें। नीचे दिए गए ग्राफिक से डेंगू से बचाव के जरूरी उपाय जानिए-

    सवाल- डेंगू का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं?

    जवाब- डेंगू की पुष्टि के लिए डॉक्टर आमतौर पर खून की जांच करवाते हैं। संक्रमण के शुरुआती 5 दिनों के भीतर NS1 एंटीजन टेस्ट किया जाता है, जिससे डेंगू वायरस की पुष्टि हो जाती है।

    अगर बुखार को 5 दिन से अधिक हो गए हों तो IgM और IgG एंटीबॉडी टेस्ट की सलाह दी जाती है। इससे यह पता चलता है कि शरीर के इम्यून सिस्टम पर वायरस का कितना प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा CBC (Complete Blood Count) टेस्ट से प्लेटलेट्स की संख्या और खून की अन्य जरूरी जानकारियां मिलती हैं, जो डेंगू की गंभीरता को समझने में मदद करती हैं।

    सवाल- क्या डेंगू छूने या सांस के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है?

    जवाब- नहीं, डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे को सीधे छूने, सांस लेने या साथ रहने से नहीं फैलता है। यह केवल एडीस मच्छर के काटने से फैलता है।

    सवाल- क्या डेंगू में हमेशा प्लेटलेट्स कम होना स्वाभाविक है?

    जवाब- नहीं, डेंगू में प्लेटलेट्स हमेशा कम हों, यह जरूरी नहीं है। हल्के मामलों में प्लेटलेट काउंट सामान्य बना रह सकता है। हालांकि कई मामलों में डेंगू वायरस इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे प्लेटलेट्स की संख्या घट सकती है। इसलिए डेंगू की पुष्टि होने पर नियमित रूप से प्लेटलेट काउंट की निगरानी जरूरी होती है ताकि समय रहते सही इलाज किया जा सके।

    सवाल- शरीर में प्लेटलेट्स की सामान्य मात्रा कितनी होनी चाहिए?

    जवाब: एक स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड में प्रति माइक्रोलीटर 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स होते हैं। इससे नीचे जाने पर सतर्कता जरूरी होती है।

    सवाल- इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए डाइट में कौन सी चीजें शामिल करनी चाहिए?

    जवाब- कमजोर इम्यून सिस्टम ही ज्यादातर बीमारियों की जड़ होता है। अगर ये स्ट्रॉन्ग हो तो शरीर वायरस, बैक्टीरिया और अन्य इन्फेक्शन से मजबूती से लड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं। जैसेकि-

    • आंवला, संतरा, नींबू, कीवी और पपीता जैसे विटामिन C से भरपूर फल।
    • लहसुन, अदरक और हल्दी।
    • दही, छाछ और घर की बनी कांजी।
    • ड्राईफ्रूट्स और सीड्स।
    • दालें और अंकुरित अनाज।

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