“छत्तीसगढ़ के सभी शहरी निकायों में मोहल्ला समितियां अनिवार्य, वार्ड विकास की बनेंगी रीढ़”

Spread the love

शहरी विकास अब केवल दफ्तरों में बैठकर नहीं, बल्कि अब वार्ड स्तर पर मोहल्लों के लोगों के निर्णय से होगा। प्रदेश सरकार ने नगरीय प्रशासन को जमीनी स्तर पर अधिक सशक्त बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है।

राज्य के सभी 192 नगरीय निकायों में मोहल्ला समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इनके माध्यम से आम नागरिक सीधे शहरी विकास और समस्याओं के समाधान में भागीदारी कर सकेंगे। समितियां विकास कार्यों की निगरानी भी करेंगी।

शासन का मकसद है कि शहरी विकास योजनाएं अब लोगों की जरूरतों के अनुसार बनें। समिति में महिलाओं की भागीदारी 50% होगी, जो एसटी, एससी और ओबीसी से होगी। समिति के सदस्य वार्ड विकास को लेकर सलाह देंगे, जिसे निगम आयुक्त या सीएमओ मंजूरी देंगे। मोहल्ला समिति की सिफारिशों से बुनियादी समस्याएं जैसे नाली, सफाई, बिजली, पानी का निराकरण होगा और लोगों को सुविधाएं मिलेगी।

शासन की यह व्यवस्था शहरी क्षेत्र में लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करेगी। राजधानी से लेकर सुदूर नगर पंचायतों तक होगा असर: इस नीति से रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे नगर पंचायतों तक हर जगह नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। इससे शासन और जनता के बीच की दूरी कम होगी और लोकतंत्र को वास्तविक धरातल मिलेगा।

समिति में आधी महिलाएं होंगी, वार्ड में 10 सदस्य

सरकार के निर्देशानुसार, समितियों में आधी महिलाएं होंगी। नगर निगम के प्रत्येक वार्ड में 10 सदस्य, नगर पालिका प्रत्येक वार्ड में 7 सदस्य और नगर पंचायतों के प्रत्येक वार्ड में 5 सदस्य संबंधित जिला कलेक्टरों की सिफारिश पर, जिला योजना समिति के अध्यक्ष के अनुमोदन के बाद नामांकित किए जाएंगे। विशेष ध्यान यह दिया गया है कि इन समितियों में विविध सामाजिक वर्गों की समान भागीदारी सुनिश्चित हो।

समिति गठित होने से ये फायदे होंगे

  • जनभागीदारी बढ़ेगी: आम नागरिकों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित होगी।
  • सशक्तिकरण: शहरी शासन में सभी वर्गों की आवाज सुनी जाएगी।
  • त्वरित हल: जमीनी जानकारी से प्रशासन तुरंत निर्णय लेगा।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: नगर निकायों के कार्यों पर नागरिकों की सीधी नजर रहेगी।
  • महिलाओं और वंचित वर्गों का सशक्तिकरण: आधे सदस्य वंचित वर्गों से होंगे, जिससे सामाजिक संतुलन और समावेशन बढ़ेगा।

मोहल्ला समितियों के ये कार्य होंगे

  • स्थानीय समस्याओं की पहचान करना (सड़क, सफाई, जल आपूर्ति, कचरा प्रबंधन)।
  • नगर निगम या नगरपालिका को सुझाव देना।
  • सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में निगरानी रखना।
  • नागरिकों की शिकायतों को संबंधित विभाग तक पहुंचाना।
  • वार्ड स्तरीय विकास कार्यों की प्राथमिकता तय करना।
  • सामाजिक समरसता व सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना।

हर निकायों में मोहल्ला स​मिति का गठन किया जाएगा। इस संबंध में आदेश जारी हो चुका है। नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में इनकी संख्या अलग-अलग होगी। सभी में 50% महिलाओं की भागीदारी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *