शराब घोटाले में बड़ा झटका: ढेबर की गिरफ्तारी रद्द करने की याचिका हाईकोर्ट से खारिज

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: हाईकोर्ट से अनवर ढेबर को बड़ा झटका, गिरफ्तारी व FIR रद्द करने की याचिका खारिज


इंट्रो (लघु परिचय):

छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ से अधिक के शराब घोटाले में फंसे कारोबारी अनवर ढेबर को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। ढेबर की गिरफ्तारी और FIR रद्द करने की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले में ED की जांच के आधार पर ACB द्वारा की गई FIR को पूरी तरह वैध माना गया है। इस घोटाले में नकली होलोग्राम से शराब बेचकर शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।


विस्तृत रिपोर्ट (Recreated News Content):

रायपुर।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में मुख्य आरोपी और पूर्व मेयर का भाई अनवर ढेबर को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। ढेबर ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा की गई गिरफ्तारी और दर्ज FIR को अवैध बताते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए गिरफ्तारी को उचित ठहराया है।

कोर्ट में क्या कहा गया?

सुनवाई के दौरान शासन की ओर से पेश दलीलों में बताया गया कि छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब दुकानों से डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची जा रही थी। इस घोटाले से राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। वहीं, अनवर ढेबर इस पूरे अवैध सिंडिकेट की मुख्य कड़ी के रूप में सामने आए हैं।

क्या-क्या मांगा था ढेबर ने?

अनवर ढेबर ने अपनी याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का हवाला देते हुए कहा था कि उसे बिना सूचना के 4 अप्रैल को हिरासत में लिया गया और उसके परिजनों को जानकारी नहीं दी गई। उसने यह भी दावा किया कि गिरफ्तारी का पंचनामा, केस डायरी की कॉपी और गिरफ्तारी कारण नहीं बताए गए, जो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइनों के खिलाफ है।

हाईकोर्ट का फैसला:

राज्य शासन की दलीलों और घोटाले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने ढेबर की याचिका को तीसरी बार खारिज कर दिया। इससे पहले भी उनकी दो जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं।


 क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?

यह घोटाला भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में सरकारी शराब दुकानों के जरिये अवैध शराब बिक्री, फर्जी होलोग्राम, और भारी कमीशनबाजी से जुड़ा है। जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस घोटाले को 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बताया है।


 सिंडिकेट की शुरुआत: फरवरी 2019 की ‘गुप्त बैठक’

ED की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2019 में रायपुर की जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में अनवर ढेबर ने डिस्टलरी मालिकों की गुप्त मीटिंग बुलाई। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ की प्रमुख डिस्टलरी कंपनियों के प्रतिनिधि, आबकारी विभाग के अधिकारी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर शामिल हुए।

यहाँ तय हुआ कि डिस्टलरी से जो शराब सरकारी दुकानों तक जाती है, उसमें प्रति पेटी कमीशन लिया जाएगा। इसके बदले उन्हें सरकारी रेट में वृद्धि का लाभ देने का वादा किया गया। पूरे सिस्टम को ए, बी और सी पार्ट में बांटकर पैसों का लेन-देन नियंत्रित किया गया।


 ED की बड़ी कार्यवाही

ED ने इस घोटाले में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी AP त्रिपाठी, और व्यापारी अनवर ढेबर को सिंडिकेट का सरगना बताया है। अनवर को 90 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ इस सिंडिकेट से मिला, जिसका हिसाब जांच एजेंसियों ने डॉक्यूमेंट में पेश किया है।

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