स्पिन न्यूज़ स्टाइल में रिपोर्ट | शीर्षक: “दुर्ग जेल में बंद ननों से मिलीं वृंदा करात: बोलीं – BJP का टारगेट है ईसाई समुदाय, FIR को बताया फर्जी”

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दुर्ग/छत्तीसगढ़ से रिपोर्ट
दुर्ग रेलवे स्टेशन से मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार दो ननों का मामला अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने दुर्ग सेंट्रल जेल पहुंचकर दोनों ननों से मुलाकात की और आरोपों की झड़ी लगा दी।


“नकली केस, असली साजिश” – वृंदा करात का बड़ा बयान

मुलाकात के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए वृंदा करात ने कहा—

“ये दोनों नन सालों से गरीबों की सेवा कर रही थीं, उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इन्हें झूठे और गढ़े हुए केस में फंसाया गया है। ये न केवल गलत है, बल्कि मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।”


“बजरंग दल ने जबरन विदेशी बताया”

वृंदा करात ने कहा कि बजरंग दल ने इन ननों को गलत तरीके से विदेशी घोषित किया, जबकि वे पूरी तरह से भारतीय नागरिक हैं। उन्होंने कहा—

“ये BJP सरकार की सुनियोजित साजिश है, जिसका मकसद ईसाई समुदाय को टारगेट करना है।”


FIR वापस लेने और तत्काल रिहाई की मांग

ननों की तबीयत को लेकर करात ने चिंता जताते हुए कहा कि दोनों जमीन पर सोने को मजबूर हैं और शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं। साथ मौजूद CPI नेता एनी राजा ने भी मांग की कि—

“FIR तुरंत वापस ली जाए और ननों को रिहा किया जाए।”


पहले दिन नहीं मिली थी इजाज़त, दूसरे दिन मिली मुलाकात

29 जुलाई की शाम जब वृंदा करात और एनी राजा जेल पहुंचीं, तो समय सीमा पार हो जाने के कारण उन्हें मिलने की इजाजत नहीं मिली।
अगली सुबह 30 जुलाई को 9:30 बजे उन्हें ननों से बातचीत की अनुमति दी गई।


सिर्फ वामपंथ ही नहीं, कांग्रेस भी सक्रिय

इस मामले में सिर्फ वामपंथी दल ही नहीं, इंडिया गठबंधन के अन्य नेता भी सक्रिय हो चुके हैं।
29 जुलाई को केरल से आए चार सांसद—एन.के. प्रेमचंदन, सप्तगिरी शंकर उल्का, फ्रांसिस जॉर्ज, अनिल ए. थॉमस और विधायक रोजी एम. जॉन, साथ ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस की सह प्रभारी जरिता लेतफलांग भी दोनों ननों से मिलने पहुंचे।

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