नारियल स्कीम’ से प्रमोशन, 3% कमीशन पर बवाल: सवन्नी पर आरोप, वेंडर्स ने किया किनारा; कांग्रेस ने कहा- धमका कर खंडन कराया गया

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रायपुर।
छत्तीसगढ़ में नौकरशाही और भ्रष्टाचार से जुड़ा एक नया विवाद सामने आया है। तहसीलदारों की प्रमोशन प्रक्रिया और क्रेडा अध्यक्ष भूपेश सवन्नी पर वेंडर्स से 3% कमीशन मांगने के आरोप ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। इन दोनों मामलों पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा और “नारियल स्कीम” को भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया।


वायरल चैट: ‘50-50 नारियल’ से होगी कैबिनेट में फतह

तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के वॉट्सऐप ग्रुप “50-50” की कई चैट सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं।
इन चैट्स में ‘नारियल’ और ‘किलो’ जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल करते हुए प्रमोशन के बदले कथित चढ़ावे की योजना सामने आई है।

चैट में लिखा गया है:

“कमिटमेंट के 50% नारियल चढ़ा दिए गए हैं। कैबिनेट बैठक में सफलता की संभावना है। बाकी नारियल 2 दिन में चढ़ाने का समय मिला है।”

इसका तात्पर्य यह है कि प्रमोशन की प्रक्रिया में कुछ अधिकारियों को कथित ‘प्रसाद’ चढ़ाना पड़ रहा है, जो सीधे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।


सवन्नी पर 3% कमीशन का आरोप, कांग्रेस ने उठाए सवाल

छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (CREDA) के चेयरमैन भूपेश सवन्नी पर आरोप है कि उन्होंने वेंडर्स से टेंडर पास कराने के लिए काम के बदले 3% कमीशन मांगा। इस संबंध में वेंडर्स ने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को शिकायत पत्र भेजा, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।

हालांकि, बाद में वेंडर्स संघ की ओर से एक खंडन जारी हुआ जिसमें आरोपों को “झूठा और निराधार” बताया गया।


कांग्रेस बोली- धमकाकर कराया गया खंडन

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने आरोप लगाया कि:

“शिकायत करने वालों से नहीं, दबाव में लाए गए कुछ वेंडर्स से खंडन कराया गया है। ये सब धमकी और दवाब का परिणाम है। सवन्नी पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और उन्हें पद से हटाया जाए।”


दीपक बैज का तंज: कैबिनेट भगवान ले रहे हैं क्या?

नारियल स्कीम पर बैज ने तंज कसते हुए कहा:

“तहसीलदार प्रमोशन के लिए नारियल चढ़ा रहे हैं। यह कौन सा मंदिर है, जहां प्रसाद चढ़ाया जा रहा है? यह भ्रष्टाचार को नया नाम देने जैसा है।”

उन्होंने पूछा, “3% कमीशन किसके पास पहुंच रहा है? और 50-50 नारियल किसके चरणों में चढ़ रहे हैं?”


क्या है प्रमोशन फंडिंग स्कीम?

सूत्रों के अनुसार, तहसीलदार और नायब तहसीलदार 17 मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। इस बीच कुछ अधिकारियों ने जल्दी प्रमोशन पाने के लिए ‘प्रमोशन फंडिंग स्कीम’ नाम की एक योजना बनाई, जिसमें हर मेंबर से कथित रूप से “नारियल” और “किलो” के नाम पर वसूली की जा रही है।

इनका उद्देश्य है कि कैबिनेट की बैठक से पहले सभी ‘चढ़ावे’ पूरे कर दिए जाएं ताकि प्रमोशन की फेहरिस्त में नाम तय हो जाए


प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

इन गंभीर आरोपों के बीच अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। न कोई जांच बिठाई गई है, न ही सवन्नी के पद को लेकर निर्णय। विपक्ष लगातार सरकार पर “भ्रष्टाचार को संरक्षण देने” का आरोप लगा रहा है।


निष्कर्ष:

यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक पारदर्शिता, राजनीतिक नैतिकता और पदोन्नति प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या “नारियल” कोड वर्ड वाकई ‘प्रसाद’ है या यह केवल भ्रष्टाचार की नई परिभाषा?

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