ट्रेन की यात्रा में चोरी की घटनाएं आम हो चुकी हैं। चोरों ने हद पार कर दी है और एसी कोच में मिलने वाले कंबल और तकिया भी चुराने लगे हैं। इसे लेकर भारतीय रेलवे के नियम काफी सख्त हैं। कई लोग यात्रा के बाद अपने साथ इन चीजों को घर ले जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि रेलवे इन चीजों की चोरी को गंभीर अपराध मानता है, और इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है।
रेलवे के मुताबिक, हर साल लाखों रुपये का नुकसान सिर्फ यात्रियों द्वारा उठाए गए इन सामानों की वजह से होता है। कंबल, तकिए, चादर, टॉवल, मग और यहां तक कि पर्दे तक लोग चोरी कर लेते हैं। ऐसे मामलों में पहले रियायत देने वाला रेलवे अब सक्ती दिखा रहा है। आइए जानते हैं इसे लेकर रेलवे के नियम और सजा से जुड़ी अहम बातें।
रेलवे संपत्ति की चोरी है कानूनी अपराध
भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 141 के तहत कोई भी यात्री रेलवे की संपत्ति जैसे कंबल, तकिया, मग या चादर की चोरी करता है और उसे चोरी का दोषी माना जाता है। इस अपराध में पकड़े जाने पर 1 से 5 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
सीसीटीवी और अटेंडेंट की रिपोर्ट पर होती है कार्रवाई
भारतीय रेलवे ने खुद को काफी अपडेट किया है। अब ज्यादातर एसी कोच और स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं। इसके अलावा कोच अटेंडेंट को भी यह अधिकार होता है कि वह चोरी की शिकायत दर्ज करा सके। अटेंडेंट द्वारा दी गई सूचना पर आरपीएफ कार्रवाई कर सकती है।
बेडरोल की गिनती से होती है जांच
रेलवे हर ट्रेन में दिए गए बेडरोल की गिनती करता है। यदि यात्रा के बाद कोई सामान गायब मिलता है, तो उस कोच के यात्रियों की सूची चेक की जाती है। इसमें संदेह होने पर संबंधित यात्री से पूछताछ की जा सकती है।
ऑनलाइन टिकट से होती है ट्रेसिंग आसान
चूंकि ज्यादातर टिकट अब ऑनलाइन बुक होते हैं, ऐसे में रेलवे के पास हर यात्री का पूरा डेटा होता है। यदि कोई व्यक्ति बार-बार ऐसी हरकत करता है, तो उसका नाम ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है।
छोटी चोरी भी ले सकती है बड़ी सजा
यात्रियों को यह समझना चाहिए कि भले ही कंबल या चादर छोटी चीज लगे, लेकिन कानून के तहत यह सरकारी संपत्ति है। इस पर हाथ साफ करना गंभीर अपराध माना जाएगा और गिरफ्तारी तक की नौबत आ सकती है।